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एक ही लण्ड से कैसे बंध कर रह सकती हूँ - Ek lund daily kaise chalega
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शादी के बाद मैं बड़ी असमंजस में फंस गयी। मैं सोंचने लगी की अब शादी के बाद मैं किसी और से चुदवाती हूँ तो मेरा मियां बहन चोद नाराज़ हो जाएगा और अगर नहीं चुदवाती हूँ तो मेरी चूत नाराज़ हो जाएगी। अब मैं ऐसी परिस्थिति में क्या करूँ ? शादी के पहले तो मैं बिंदास बेधड़क इधर उधर सबसे चुदवाती रहती थी लेकिन अब मैं एक ही मर्द से और एक ही लण्ड से कैसे बंध कर रह सकती हूँ ? मेरा काम तो एक लण्ड से चलने वाला नहीं है। इससे न मैं खुश रह सकती हूँ और न मेरी चूत ? मुझे कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा और जल्दी करना पड़ेगा ? तभी मुझे ख्याल आया की एक बार मेरी एक सहेली ने बताया था की -
"मर्द, बहन चोद, परायी बीवी की चूत का बड़ा लालची होता है"
मैं सोंचने लगी की अगर मैं अपने मियां को अपनी शादी शुदा सहेलियों की चूत का लालच दू तो शायद वो इस लालच में फंस जाएगा और उन्हें चोदने लगेगा ? उसके बाद तो मुझे भी पराये मर्दों से चुदवाने का मौक़ा मिलने लगेगा ? इससे मेरा मियां भी खुश रहेगा, मैं भी खुश रहूंगी और मेरी चूत भी क्योंकि मैं किसी भी तरह अपने मियां से छुप छुप कर चुदवाना नहीं चाहती थी ? मैं उसे धोखा नहीं देना चाहती थी ? मैं यह खेल खुले आम खेलना चाहती हूँ। मैं चाहती हूँ की वह भी किसी और को चोदे और मुझे भी किसी और से चुदवाये ? मैं अपने मियां के सामने किसी और से चुदवाऊँ और मेरा मियां मेरे सामने किसी और को चोदे ? अगर ऐसा हो जाए तो मेरी तमन्ना पूरी हो जाएगी ?
बस मैं इसी काम पर लग गयी।
मैं रोज़ रात को अपने पति से मीठी मीठी बातें करके उसका लण्ड हिलाने लगी, उससे खूब गन्दी गन्दी प्यार से बातें करने लगी और मस्ती से चुदवाने लगी। एक दिन मौक़ा पाकर मैंने कहा सुनो जी मेरी एक सहेली है वह बहुत दिनों से मेरे पीछे पड़ी है। कहती है की यार निधि (मेरा नाम) किसी दिन अपने हसबैंड का लण्ड मुझे पकड़ाओ न ? मैं भी तो देखूं की पराये मरद का लण्ड कैसा होता है ? पहले तो मैं मजाक समझती रही लेकिन आजकल वह सच में बड़ी पीछे पड़ गयी है । अब बताओ न मुझे मेरे राजा, मैं क्या जबाब दूँ उसे ? उसने कहा अरे इसमें क्या ? यह तो बड़ी आसान बात है। वह कहती है तो पकड़ा दो उसे किसी दिन मेरा लण्ड ? उसकी तमन्ना पूरी हो जायेगी और तुमको भी अच्छा लगेगा ?
मैं उसकी यह बात सुनकर बड़ी खुश हुई। मैंने तो उसका मन जानने के लिए यह मन गढंत कहानी उसे सुना दी थी। लेकिन यह बात मेरे मियां के दिल में घर कर गयी ? उसके बाद वह २/३ बार पूंछ चुका है की शन्नो कहाँ गयी वह तेरी सहेली जो मेरा लण्ड पकड़ना चाहती है ? मैंने यूं ही बहना बनाते हुए कहा अभी वह अपने माईके गयी है। जब वापस आएगी तो बात करूंगी उससे ? मैं यह तो जान गयी की मेटे पति के लण्ड में आग लग चुकी है। अब वह मेरी सहेली को लण्ड पकड़ाना चाहता है। अब मैं वाकई एक ऐसी सहेली को ढूंढने लगी जो वास्तव में मेरे पति का लण्ड पकड़ना चाहती हो और उससे चुदवाना चाहती हो ? मैं दिन रात बस यही सोंचने लगी।
एक दिन मैं अकेली शॉपिंग मॉल में घूम रही थी की अचानक किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया। मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो बोली वाओ, तू नीता अरे यार यहाँ कहाँ घूम रही है तू ? कॉलेज के दिनों के बाद आज मैं पहली बार तुझे देख रही हूँ। तू तो मस्त हो गयी है यार बड़ी खूबसूरत हो गयी है तू और फिर उसके कान में कहा तेरी बहन चोद चूंचियां बहुत बड़ी हो गयी है। वह भी हंसने लगी और बोली तेरी कम हैं क्या ? वह भी अकेली थी तो मैं उसे अपने घर ले आई। मुझे मालूम था की नीता ड्रिंक करती है इसलिए हमने व्हिस्की निकाली, दो पैग बनाया एक उसे दिया और एक मैं पीने लगी। थोड़ी देर के लिए मुझे लगा की मेरे कॉलेज के दिन वापस आ गये।
मैंने कहा :- जानते हो शेखर ये नीता भोसड़ी की बड़ी तेज और चालाक लड़की थी हमारे कॉलेज में ? लड़कों को तो खूब चिढ़ाया करती थी ?
नीता बोली :- अरे जीजा जी चिढ़ाती तो निधि भी थी खूब लड़कों को ? ये तो सबकी माँ बहन एक कर देती थी ?
शेखर बोला :- क्या मतलब नीता क्या कर देती थी ?
नीता बोली :- अरे माँ बहन चोदती थी सबकी, निधि ? लड़कों की गांड मारती थी यह।
शेखर बोला :- गांड तो अभी भी मारती है यह ? पहले लड़कों की मारा करती थी आजकल अपने हसबैंड की मारती है।
सब लोग खिलखिलाकर हंस पड़े ?
नीता बोली :- बड़े वो हो तुम जीजा जी ? हैंडसम तो तुम भी हो ? तुम किस किस की गांड मारते थे जीजा जी ?
शेखर बोला :- मैं गांड नहीं मारता था मैं तो ,,,,,,,,, था ?
नीता बोली :- हां हां पूरी बात कहो न डरते क्यों हो जीजा जी ?
तब मैंने कहा :- अरे नीता इसका कहना है की मैं गांड नहीं मारता था बुर चोदता था।
नीता बोली :- हाय राम, जीजा जी तुम कॉलेज की लड़कियों की बुर चोदते थे ?
शेखर थोड़ा शर्मा गया तो नीता बोली :- आये हाय, शर्माते हुए कितने अच्छे लग रहे हो जीजा जी। मेरा तो मन करता है की मैं तुझे अभी यहाँ से उठा ले जाऊं और तुमसे चुदवा लूँ ?
शराब का नशा भी काफी चढ़ चुका था। अब नीता बिलकुल खुल कर बोलने लगी।
इतने में नीता बाथ रूम गयी तो मैंने शेखर से कहा आज इसे पकड़ा दो अपना लण्ड ? अभी यह बड़ी मस्ती में है और मौक़ा भी बढ़िया है। उधर जब नीता लौट कर आई तो मैंने उसे आँख मार दी। उसने आते ही शेखर के लण्ड पर हाथ मार कर कहा अब दिखाओ न मुझे अपना 'लण्ड' जीजा जी ? मैं ज़रा तेरे 'लण्ड' के दर्शन तो कर लूँ ? (उसके मुंह से 'लण्ड' सुनकर शेखर को जोश आ गया ) तब तक मैंने कहा अच्छा नीता तू मजे से दर्शन कर मैं थोड़ा स्नैक्स बना कर ले आती हूँ। मैं अंदर किचेन में चली गयी।
मैं अंदर से देखती रही की नीता कहाँ तक पहंची ? नीता ने अपनी बाहें शेखर के गले में डाल दीं और प्यार से उसका चुम्मन ले लिया। शेखर भी उसके गाल चूमने लगा। फिर होंठ से होंठ भी टकराये। शेखर का एक हाथ नीता की चूंचियों पर चला गया और नीता का हाथ उसके लण्ड पर। फिर धीरे से शेखर ने हाथ उसकी ब्रा के अंदर घुसेड़ दिया और चूंचियां दबाने लगा। दोनों मस्ती में आ गये । तब तक मैं उनके सामने पहंच गयी। मैंने कहा यार तुम दोनों अपना अपना गिलास तो खाली करो पहले ? और फिर सीधे बेड में रूम में चलो ? लेकिन नीता वहीँ बैठी रही। शराब तो खत्म कर दी उसने लेकिन उसका हाथ शेखर का लण्ड अभी भी टटोल रहा था। मैंने फिर आहिस्ते से नीता की साड़ी खींच ली। वह पेटीकोट में आ गयी।
उधर शेखर ने उसकी ब्रा खींच कर बाहर कर दी। नीता की मस्तानी बड़ी बड़ी चूंचियां देख कर तो शेखर जैसे पागल हो गया। वह चूंचियों पर हमला कर बैठा। नीता को भी अपनी चूंचियां मसलवाने में मज़ा आने लगा। बस तभी नीता ने झटके से उसकी पेंट खोल दी और उसे उतार कर फेंक दिया। शेखर अब केवल एक चड्ढी में आ गया। उसके लण्ड के उभार को नीता बड़े गौर से देख रही थी। उसने उसी उभार पर अपना हाथ रगड़ना शुरू कर दिया और चूमना भी। शेखर को यह सब बहुत अच्छा लग रहा था। अचानक नीता ने चड्ढी के दोनों तरफ अपनी उंगलियां फंसा कर चड्ढी को नीचे घसीट दिया तो वह नंगा हो गया और उसका लण्ड टन्ना कर नीता के गाल पर लगा। ऐसा लगा जैसे किसी ने थप्पड़ मारा हो। नीता ने लण्ड पकड़ लिया और उसकी ताबड़तोड़ कई चुम्मियाँ ले लीं ? मैं भी मस्ती में आ गयी और नीता का पेटीकोट खोल डाला।
उसकी नंगी चूत देख कर शेखर का लण्ड साला और सख्त हो गया बिलकुल लोहे की तरह ? नीता ने बड़े प्यार से लण्ड पूरा अपने मुंह में घुसाया और चूसने लगी। उसे देख कर ऐसा लग रहा था जैसे उसे कोई खोयी हुई चीज मिल गयी है। मैंने भी अपने कपडे उतार फेंकें। मैं नीता की चूत चाटने लगी। आज मैं मन ही मन बड़ी खुश हो रही थी की चलो आज से मेरी सेक्स लाइफ का एक नया अध्याय शुरू हुआ। नीता को इस बात की बिलकुल परवाह नहीं थी की मेरी चूत कहाँ है, मेरी गांड कहाँ है, मेरी चूंचियां कहाँ है वो तो बस लण्ड में ऐसे समा गयी जैसे दूध में पानी। उसे दुनिया में लण्ड के अलावा कुछ भी नहीं दिख रहा था। और फिर क्यों न हो ? गैर मरद के लण्ड का मज़ा ऐसा ही होता है ? नीता तो लण्ड मुंह से निकाल ही नहीं रही थी। और अगर निकालती तो तुरंत उसे अंदर घुसा लेती।
नीता बोली :- निधि यार तेरे पति का लण्ड बड़ा बढ़िया है, मुझे बहुत पसंद है ? अब मैं अक्सर इससे खेलती रहूंगी।
मैंने कहा :- हां हां तू जब चाहे तब खेल ले मेरे पति से लण्ड से। तुझे कौन माँ की लौड़ी मना कर सकती है ?
अचानक शेखर बोला अरे नीता भाभी अब मैं निकल जाऊंगा। लण्ड मुंह से बाहर निकालो नहीं तो मैं ,,,,,,,,,,,,,? नीता ने इशारा किया हां तू अंदर ही निकल जा भोसड़ी के लेकिन मैं लौड़ा बाहर नहीं निकालूंगी। बस हुआ भी यही। शेखर के लण्ड ने उगल दिया मक्खन उसके मुंह में और वह भी बड़ी मस्ती से पी गयी। बाद में लौड़ा बाहर निकाल कर चाटने लगी।
उसके बाद नीता अपनी कार में बैठ कर चली गयी।
रात में पति जी बोले यार अब मेरा मन उसे चोदने का हो रहा है। वह चली क्यों गयी ? चुदवाकर जाती तो अच्छा होता।
मैंने कहा :- वह शायद अपने हसबैंड से बात करने के बाद ही चुदवाएगी ?
उसने कहा :- तो बात कर ले न ? अधिक से अधिक वह कहेगा की मैं भी शेखर की बीवी चोदूंगा ? तो मैं तो तैयार हूँ ? वह चोद ले मेरी बीवी लेकिन मैं उसकी बीवी जरूर चोदूंगा ? मुझ अब नीता की बुर किसी भी कीमत पर चोदनी है।
मैं मन ही मन बड़ी खुश हुई ? मैंने दूसरे दिन नीता को फोन किया और कहा यार इतवार को तू अपने हसबैंड को लेकर मेरे घर आ जाना। मेरा हसबैंड तुम्हे चोदने के लिए बेताब हो रहा है और तब मैं भी तेरे पति से चुदवा लूंगी। मैंने शेखर से कहा तुम्हे अगर दूसरों की बीवियां चोदना है तो फिर मेरी सहेलियां चोदो ? लेकिन तुम्हे भी अपनी बीवी चुदवानी पड़ेगी ? वह मान गया और कहा हां यार मैं अपनी बीवी चुदवा लूंगा ?
उसके बाद हमने बड़ी मस्ती से "बीवियों की अदला बदली" और " पतियों की अदला बदली" शुरू कर दी ।
आज मैं बहुत खुश हूँ और हर हफ्ते किसी न किसी पराये मरद से झूम के चुदवाती हूँ।
"मर्द, बहन चोद, परायी बीवी की चूत का बड़ा लालची होता है"
मैं सोंचने लगी की अगर मैं अपने मियां को अपनी शादी शुदा सहेलियों की चूत का लालच दू तो शायद वो इस लालच में फंस जाएगा और उन्हें चोदने लगेगा ? उसके बाद तो मुझे भी पराये मर्दों से चुदवाने का मौक़ा मिलने लगेगा ? इससे मेरा मियां भी खुश रहेगा, मैं भी खुश रहूंगी और मेरी चूत भी क्योंकि मैं किसी भी तरह अपने मियां से छुप छुप कर चुदवाना नहीं चाहती थी ? मैं उसे धोखा नहीं देना चाहती थी ? मैं यह खेल खुले आम खेलना चाहती हूँ। मैं चाहती हूँ की वह भी किसी और को चोदे और मुझे भी किसी और से चुदवाये ? मैं अपने मियां के सामने किसी और से चुदवाऊँ और मेरा मियां मेरे सामने किसी और को चोदे ? अगर ऐसा हो जाए तो मेरी तमन्ना पूरी हो जाएगी ?
बस मैं इसी काम पर लग गयी।
मैं रोज़ रात को अपने पति से मीठी मीठी बातें करके उसका लण्ड हिलाने लगी, उससे खूब गन्दी गन्दी प्यार से बातें करने लगी और मस्ती से चुदवाने लगी। एक दिन मौक़ा पाकर मैंने कहा सुनो जी मेरी एक सहेली है वह बहुत दिनों से मेरे पीछे पड़ी है। कहती है की यार निधि (मेरा नाम) किसी दिन अपने हसबैंड का लण्ड मुझे पकड़ाओ न ? मैं भी तो देखूं की पराये मरद का लण्ड कैसा होता है ? पहले तो मैं मजाक समझती रही लेकिन आजकल वह सच में बड़ी पीछे पड़ गयी है । अब बताओ न मुझे मेरे राजा, मैं क्या जबाब दूँ उसे ? उसने कहा अरे इसमें क्या ? यह तो बड़ी आसान बात है। वह कहती है तो पकड़ा दो उसे किसी दिन मेरा लण्ड ? उसकी तमन्ना पूरी हो जायेगी और तुमको भी अच्छा लगेगा ?
मैं उसकी यह बात सुनकर बड़ी खुश हुई। मैंने तो उसका मन जानने के लिए यह मन गढंत कहानी उसे सुना दी थी। लेकिन यह बात मेरे मियां के दिल में घर कर गयी ? उसके बाद वह २/३ बार पूंछ चुका है की शन्नो कहाँ गयी वह तेरी सहेली जो मेरा लण्ड पकड़ना चाहती है ? मैंने यूं ही बहना बनाते हुए कहा अभी वह अपने माईके गयी है। जब वापस आएगी तो बात करूंगी उससे ? मैं यह तो जान गयी की मेटे पति के लण्ड में आग लग चुकी है। अब वह मेरी सहेली को लण्ड पकड़ाना चाहता है। अब मैं वाकई एक ऐसी सहेली को ढूंढने लगी जो वास्तव में मेरे पति का लण्ड पकड़ना चाहती हो और उससे चुदवाना चाहती हो ? मैं दिन रात बस यही सोंचने लगी।
एक दिन मैं अकेली शॉपिंग मॉल में घूम रही थी की अचानक किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया। मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो बोली वाओ, तू नीता अरे यार यहाँ कहाँ घूम रही है तू ? कॉलेज के दिनों के बाद आज मैं पहली बार तुझे देख रही हूँ। तू तो मस्त हो गयी है यार बड़ी खूबसूरत हो गयी है तू और फिर उसके कान में कहा तेरी बहन चोद चूंचियां बहुत बड़ी हो गयी है। वह भी हंसने लगी और बोली तेरी कम हैं क्या ? वह भी अकेली थी तो मैं उसे अपने घर ले आई। मुझे मालूम था की नीता ड्रिंक करती है इसलिए हमने व्हिस्की निकाली, दो पैग बनाया एक उसे दिया और एक मैं पीने लगी। थोड़ी देर के लिए मुझे लगा की मेरे कॉलेज के दिन वापस आ गये।
- मैंने पूंछा तेरी शादी कब हुई यार ? तेरा हसबैंड कहाँ है ?
- वह बोली अभी दो साल पहले हुई है। मेरे हसबैंड अधिकतर टूर पर रहतें हैं इसलिए अक्सर मैं घर में अकेली ही रहती हूँ। कितने अच्छे थे कॉलेज के वो दिन यार, कितनी मस्ती थी और कितना मज़ा आता था मादर चोद लड़कों को चिढ़ाने में ?
- हां यार और जब हम तुम मिलकर लड़कों को गालियां सुनाती थी तो उन सालों की वाकई माँ चुद जाती थी ?
- याद है वो दिन, जब मैंने और तूने सिनेमा हाल में उस लड़के का लण्ड बारी बारी से पकड़ा था ?
- हां याद है यार ? एक बात है, लौड़ा साले का बड़ा मोटा था। मुझे आज भी याद है उसका लण्ड ?
- अरे मुझे अगर कोई उसका लण्ड आज भी पकड़ा दे, तो मैं उसे अँधेरे में भी पहचान लूंगी। मेरा तो मन उससे चुदवाने का हो गया था।
- हां यार लेकिन चुदवाने में बड़े झंझट थे इसलिए चुदवा तो पाती नहीं थी लेकिन लण्ड पकड़ने का मज़ा तो खूब लिया हम दोनों ने ?
- एक बात पूंछूं बुरा तो नहीं मानेगी तू निधि ?
- पूंछ न यार, तेरी बात का जो बुरा माने उसकी माँ का भोसड़ा ? हम दोनों में कुछ भी छुपा नहीं है। बोल न ?
- ये बता की तेरे पति का लण्ड कैसा है ? उसके लण्ड का साइज़ क्या है ? मेरे पति से लण्ड का साइज़ ८" x ५ १/२" है ?
- वाओ, तब तो बड़ा मस्त होगा तेरे पति का लौड़ा ? मेरे पति के लण्ड का साइज़ ८ १/२" x ५ १/२" लेकिन इसमें थोड़ा बहुत ऊपर नीचे कर ले ? क्योंकि लण्ड की लम्बाई चौड़ाई घटती बढ़ती रहती है।
- अच्छा ये बता क्या मैं तेरे पति का लण्ड पकड़ सकती हूँ ?
- अरे यार तूने तो मेरे मुंह की बात छीन ली। मैं तो यही तुमसे कहने वाली थी। आजकल मेरा पति मेरी सहेली को अपना लण्ड पकड़ाने के लिए बड़ा उतावला है। रोज़ ही मुझे याद दिलाता है की अपनी सहेली को मेरा लण्ड पकड़ाओ।
- फिर क्या ? कहो तो मैं आज ही पकड़ लूँ तेरे पति का लौड़ा क्योंकि आज मेरा पति भी घर पर नहीं है।
- ओ के तो फिर तू मेरे घर आ जा आज शाम को मैं तुम्हे अपने पति से मिलवाती हूँ।
मैंने कहा :- जानते हो शेखर ये नीता भोसड़ी की बड़ी तेज और चालाक लड़की थी हमारे कॉलेज में ? लड़कों को तो खूब चिढ़ाया करती थी ?
नीता बोली :- अरे जीजा जी चिढ़ाती तो निधि भी थी खूब लड़कों को ? ये तो सबकी माँ बहन एक कर देती थी ?
शेखर बोला :- क्या मतलब नीता क्या कर देती थी ?
नीता बोली :- अरे माँ बहन चोदती थी सबकी, निधि ? लड़कों की गांड मारती थी यह।
शेखर बोला :- गांड तो अभी भी मारती है यह ? पहले लड़कों की मारा करती थी आजकल अपने हसबैंड की मारती है।
सब लोग खिलखिलाकर हंस पड़े ?
नीता बोली :- बड़े वो हो तुम जीजा जी ? हैंडसम तो तुम भी हो ? तुम किस किस की गांड मारते थे जीजा जी ?
शेखर बोला :- मैं गांड नहीं मारता था मैं तो ,,,,,,,,, था ?
नीता बोली :- हां हां पूरी बात कहो न डरते क्यों हो जीजा जी ?
तब मैंने कहा :- अरे नीता इसका कहना है की मैं गांड नहीं मारता था बुर चोदता था।
नीता बोली :- हाय राम, जीजा जी तुम कॉलेज की लड़कियों की बुर चोदते थे ?
शेखर थोड़ा शर्मा गया तो नीता बोली :- आये हाय, शर्माते हुए कितने अच्छे लग रहे हो जीजा जी। मेरा तो मन करता है की मैं तुझे अभी यहाँ से उठा ले जाऊं और तुमसे चुदवा लूँ ?
शराब का नशा भी काफी चढ़ चुका था। अब नीता बिलकुल खुल कर बोलने लगी।
इतने में नीता बाथ रूम गयी तो मैंने शेखर से कहा आज इसे पकड़ा दो अपना लण्ड ? अभी यह बड़ी मस्ती में है और मौक़ा भी बढ़िया है। उधर जब नीता लौट कर आई तो मैंने उसे आँख मार दी। उसने आते ही शेखर के लण्ड पर हाथ मार कर कहा अब दिखाओ न मुझे अपना 'लण्ड' जीजा जी ? मैं ज़रा तेरे 'लण्ड' के दर्शन तो कर लूँ ? (उसके मुंह से 'लण्ड' सुनकर शेखर को जोश आ गया ) तब तक मैंने कहा अच्छा नीता तू मजे से दर्शन कर मैं थोड़ा स्नैक्स बना कर ले आती हूँ। मैं अंदर किचेन में चली गयी।
मैं अंदर से देखती रही की नीता कहाँ तक पहंची ? नीता ने अपनी बाहें शेखर के गले में डाल दीं और प्यार से उसका चुम्मन ले लिया। शेखर भी उसके गाल चूमने लगा। फिर होंठ से होंठ भी टकराये। शेखर का एक हाथ नीता की चूंचियों पर चला गया और नीता का हाथ उसके लण्ड पर। फिर धीरे से शेखर ने हाथ उसकी ब्रा के अंदर घुसेड़ दिया और चूंचियां दबाने लगा। दोनों मस्ती में आ गये । तब तक मैं उनके सामने पहंच गयी। मैंने कहा यार तुम दोनों अपना अपना गिलास तो खाली करो पहले ? और फिर सीधे बेड में रूम में चलो ? लेकिन नीता वहीँ बैठी रही। शराब तो खत्म कर दी उसने लेकिन उसका हाथ शेखर का लण्ड अभी भी टटोल रहा था। मैंने फिर आहिस्ते से नीता की साड़ी खींच ली। वह पेटीकोट में आ गयी।
उधर शेखर ने उसकी ब्रा खींच कर बाहर कर दी। नीता की मस्तानी बड़ी बड़ी चूंचियां देख कर तो शेखर जैसे पागल हो गया। वह चूंचियों पर हमला कर बैठा। नीता को भी अपनी चूंचियां मसलवाने में मज़ा आने लगा। बस तभी नीता ने झटके से उसकी पेंट खोल दी और उसे उतार कर फेंक दिया। शेखर अब केवल एक चड्ढी में आ गया। उसके लण्ड के उभार को नीता बड़े गौर से देख रही थी। उसने उसी उभार पर अपना हाथ रगड़ना शुरू कर दिया और चूमना भी। शेखर को यह सब बहुत अच्छा लग रहा था। अचानक नीता ने चड्ढी के दोनों तरफ अपनी उंगलियां फंसा कर चड्ढी को नीचे घसीट दिया तो वह नंगा हो गया और उसका लण्ड टन्ना कर नीता के गाल पर लगा। ऐसा लगा जैसे किसी ने थप्पड़ मारा हो। नीता ने लण्ड पकड़ लिया और उसकी ताबड़तोड़ कई चुम्मियाँ ले लीं ? मैं भी मस्ती में आ गयी और नीता का पेटीकोट खोल डाला।
उसकी नंगी चूत देख कर शेखर का लण्ड साला और सख्त हो गया बिलकुल लोहे की तरह ? नीता ने बड़े प्यार से लण्ड पूरा अपने मुंह में घुसाया और चूसने लगी। उसे देख कर ऐसा लग रहा था जैसे उसे कोई खोयी हुई चीज मिल गयी है। मैंने भी अपने कपडे उतार फेंकें। मैं नीता की चूत चाटने लगी। आज मैं मन ही मन बड़ी खुश हो रही थी की चलो आज से मेरी सेक्स लाइफ का एक नया अध्याय शुरू हुआ। नीता को इस बात की बिलकुल परवाह नहीं थी की मेरी चूत कहाँ है, मेरी गांड कहाँ है, मेरी चूंचियां कहाँ है वो तो बस लण्ड में ऐसे समा गयी जैसे दूध में पानी। उसे दुनिया में लण्ड के अलावा कुछ भी नहीं दिख रहा था। और फिर क्यों न हो ? गैर मरद के लण्ड का मज़ा ऐसा ही होता है ? नीता तो लण्ड मुंह से निकाल ही नहीं रही थी। और अगर निकालती तो तुरंत उसे अंदर घुसा लेती।
नीता बोली :- निधि यार तेरे पति का लण्ड बड़ा बढ़िया है, मुझे बहुत पसंद है ? अब मैं अक्सर इससे खेलती रहूंगी।
मैंने कहा :- हां हां तू जब चाहे तब खेल ले मेरे पति से लण्ड से। तुझे कौन माँ की लौड़ी मना कर सकती है ?
अचानक शेखर बोला अरे नीता भाभी अब मैं निकल जाऊंगा। लण्ड मुंह से बाहर निकालो नहीं तो मैं ,,,,,,,,,,,,,? नीता ने इशारा किया हां तू अंदर ही निकल जा भोसड़ी के लेकिन मैं लौड़ा बाहर नहीं निकालूंगी। बस हुआ भी यही। शेखर के लण्ड ने उगल दिया मक्खन उसके मुंह में और वह भी बड़ी मस्ती से पी गयी। बाद में लौड़ा बाहर निकाल कर चाटने लगी।
उसके बाद नीता अपनी कार में बैठ कर चली गयी।
रात में पति जी बोले यार अब मेरा मन उसे चोदने का हो रहा है। वह चली क्यों गयी ? चुदवाकर जाती तो अच्छा होता।
मैंने कहा :- वह शायद अपने हसबैंड से बात करने के बाद ही चुदवाएगी ?
उसने कहा :- तो बात कर ले न ? अधिक से अधिक वह कहेगा की मैं भी शेखर की बीवी चोदूंगा ? तो मैं तो तैयार हूँ ? वह चोद ले मेरी बीवी लेकिन मैं उसकी बीवी जरूर चोदूंगा ? मुझ अब नीता की बुर किसी भी कीमत पर चोदनी है।
मैं मन ही मन बड़ी खुश हुई ? मैंने दूसरे दिन नीता को फोन किया और कहा यार इतवार को तू अपने हसबैंड को लेकर मेरे घर आ जाना। मेरा हसबैंड तुम्हे चोदने के लिए बेताब हो रहा है और तब मैं भी तेरे पति से चुदवा लूंगी। मैंने शेखर से कहा तुम्हे अगर दूसरों की बीवियां चोदना है तो फिर मेरी सहेलियां चोदो ? लेकिन तुम्हे भी अपनी बीवी चुदवानी पड़ेगी ? वह मान गया और कहा हां यार मैं अपनी बीवी चुदवा लूंगा ?
उसके बाद हमने बड़ी मस्ती से "बीवियों की अदला बदली" और " पतियों की अदला बदली" शुरू कर दी ।
आज मैं बहुत खुश हूँ और हर हफ्ते किसी न किसी पराये मरद से झूम के चुदवाती हूँ।
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