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शहर की बीवियां खूब चोदती है गाँव के लण्ड - Shahar ki Ladkiyan Chudwati hai ganvon mein
मिसेज कामिनी दुबे, मिसेज पद्मा तिवारी और मिसेज कविता बाजपेयी तीनो ही आपस में पाकी दोस्त थीं। तीनो उच्च घराने से तलूक रखती थीं, इनके पास अपार धन दौलत थी। इन तीनो के पास सिवाय अपने मेकउप के अलावा और कुछ करने को है ही नहीं। अगर कुछ है तो ब्यूटी पार्लर जाना और अय्यासी करना। जब पैसा होता है ऐय्यासी अपने आप आ ही जाती है। जम कर शराब पीना, सिगरेट पीना और गैर मदों से लण्ड अदल बदल कर चुदवाना यह अय्यासी का सबसे बड़ा काम है । चुदाई के तरह तरह के खेल करना और करवाना इन तीनो का पसंदीदा काम है । इन्हे विदेशी लौंड़ों से खास प्यार हो गया है । दुनिया का कोई ऐसा लण्ड नहीं है जो इन लोगों ने अपनी चूत में पेला न हो ? एक दिन ये तीनो बैठी हुई आपस में बातें कर रहीं थीं । इनके एक हाथ में शराब का गिलास था और दूसरे हाथ में सिगरेट। सामने रखा था वेज और वेज का स्नैक्स।
मिसेज कामिनी बोली :- यार आजकल लड़कियां भी बड़ी बेशरम हो गयी हैं। लण्ड खुले आम पीती हैं और बड़े मजे से भकाभक चुदवाती हैं। मेरी एक दोस्त है उसकी बेटी तो अपनी माँ के सामने लड़कों के लण्ड पीती है। माँ ने कई बार टोंका भी लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ तो उसने भी अपनी बेटी के सामने चुदवाना शुरू कर दिया है। अब हाल यह है की माँ अपनी बेटी की बुर में लण्ड पेलती है और बेटी अपनी माँ की बुर में ? अब तो दोनों में अच्छी खासी दोस्ती हो गयी है। माँ कहती है बेटी, तेरी माँ का भोसड़ा ? बेटी कहती है माँ, तेरी बिटिया की बुर ? दोनों आपस में गालियों से बातें करतीं हैं और एन्जॉय करती हैं।
मिसेज पद्मा बोली :- यार देखो सेक्स एक ऐसी चीज है जिसमे बेशर्मी की सख्त जरुरत है। सेक्स का खेल बिना बेशर्मी के एन्जॉय नहीं किया जा सकता। अब देखो हम लोग भी तो मादर चोद कितनी बेशर्म है। बेशर्म है तभी तो पराये मर्दों के लण्ड एन्जॉय कर लेती हैं। मुझे पराये मर्दों के लण्ड के अलावा दुनियां में और कुछ अच्छा ही नहीं लगता। मैं चाहती हूँ मेरे आगे पीछे हमेशा मरद नंगे नंगे घूमते रहें।
मिसेज कविता बोली :- यार देखो, जहाँ तक लण्ड का सवाल है, मैं तो कहती हूँ की घोड़े के लण्ड जैसा लण्ड अगर आदमी का हो तो मज़ा आता है। पर ऐसा है नहीं। मेरा तो मन करता है की मैं किसी दिन घोड़े के लण्ड से चुदवा लूं।
मिसेज कामिनी ने कहा :- लण्ड तो गधे का भी बड़ा मस्त होता है यार ? गधे के लण्ड से बड़ा लण्ड तो दुनिया में किसी का होता ही नहीं। जब खड़ा होता है तो उसकी टांगों से भी बड़ा हो जाता है उसका लण्ड। मैंने एक बार एक गाँव में गधे का खड़ा लण्ड देखा था। मेरा तो मन कर रहा था की मैं दौड़ कर पकड़ लूं उसका लण्ड। सच में बड़ा प्यारा लग रहा था उसका लण्ड। मेरी तो चूत गनगना उठी थी और मुंह में पानी आ गया था।
कविता ने कहा :- यार तो क्या इसका मतलब यह है की गाँव के लोगों के लण्ड गधे के लण्ड के बराबर होतें हैं। पद्मा का धुआं निकालती हुई बोली :- नहीं ऐसा तो नहीं है पर एक बात जरूर है की गाँव वालों के लण्ड शहर वालों के लण्ड से बड़े जरूर होते हैं। उसका कारण है की गाँव वाले खूब मेहनत करते हैं उनका ब्लड पतला होता है तो लण्ड जल्दी खड़ा होता है और सख्त हो जाता है। शहर वाले लोग खाते खूब हैं और मेहनत ज्यादा नहीं करते इसलिए उनका ब्लड गाढ़ा होता है। उनके लण्ड न तो जल्दी खड़े होतें है न ही ज्यादा सख्त होतें हैं। लण्ड खड़ा होने का और उसका सख्त होने का काम शरीर में ब्लड ही करता है न ?
मिसेज कविता सिगरेट का एक लम्बा कस लेती हुई बोली :- हां पद्मा तुम सही कह रही हो। वैसे तो हम सबने हर तरह के लण्ड अपनी चूत में पेले हैं। देशी और विदशी लोगों से चुदवाया है। एक नहीं दो दो / तीन तीन लण्ड से एक साथ चुदवाया है लेकिन हमने कभी किसी गाँव वाले से नहीं चुदवाया।
कामिनी ने दो घूँट शराब पी कर कहा :- बात तो तुम्हारी बिलकुल सच है कविता। तो फिर चलो इस बार गाँव वालों से चुदवाया जाये ? पर ये गांव वाले भोसड़ी के मिलेगें कहाँ ?
मिसेज कविता ने कहा :- मैं एक औरत को जानती हूँ वह गाँव वालों के लण्ड का इंतज़ाम कर सकती है।
पद्मा बोली :- हाय दईया, तो फिर जल्दी से इंतज़ाम करवाओ कविता। मेरी तो चूत अभी से चुदवाने के लिए मचल उठी है।
मैं मिसेज कविता बाजपेई हूँ। मेरी शादी अभी दो साल पहले ही हुई है। मैं एक पढ़ी लिखी, बेहद खूबसूरत, सेक्सी और हॉट बीवी हूँ। गोरी चिट्टी हूँ, अच्छे नाक नक्श वाली हूँ, कद मेरा ५' ४" है. बदन छरहरा है और चूँचियाँ सुडौल और बड़ी बड़ी है। कमर पतली पर चूतड़ बड़े बड़े हैं, जांघें मोटी मोटी हैं। उनके बीच एक मस्त चूत है जिस पर काली काली मखमली झांटें हैं। मैं झांटें बिलकुल कभी साफ़ नहीं करती बल्कि ट्रिम कर लेती हूँ। या फिर पार्लर जाका छोटी छोटी करवा लेती हूँ. अथवा कोई डिजाइन बनवा लेती हूँ। मैं लण्ड की बेहद दीवानी हूँ। पागल रहती हूँ मैं लण्ड पाने के लिए। लण्ड कैसा भी मैं उसे पसंद करती हूँ। पराये मरद का लण्ड पाने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ। गांड भी मरवा सकती हूँ मैं, अपनी माँ भी चुदवा सकती हूँ मैं ? बस कोई मुझे लण्ड पकड़ा दे फिर वह जो कहे मैं कर दूँगी।
मेरी दो पक्की दोस्त है पद्मा और कामिनी। वो भी मेरी ही तरह लण्ड की शौक़ीन हैं। लण्ड के लिए कुछ भी कर सकती हैं इसलिए हम लोग अक्सर मिलकर ग़ैर मर्दों से चुदवाती रहती हैं। कभी पद्मा के घर में चुदवाती हूँ. कभी हम सब कामिनी के घर में चुदवाती हैं और कभी मेरे घर में हम तीनो चुदवाती हैं। बड़ा मज़ा आता है जब हम तीनो मिलकर लण्ड अदल बदल कर आमने सामने चुदवाती हैं। एक दूसरे की चूत में लण्ड पेलती है और एक दूसरे की बुर चोदती हैं। एक दूसरे की गांड सहलाती हैं। एक दूसरे को खूब गन्दी गन्दी गालियां देतीं हैं और खूब जम कर एन्जॉय करती हैं।
मैंने एक दिन एक लड़की से गाँव के लण्ड के बारे में बात की तो वह बोली अरे भाभी ये तो मेरे बाएं हाथ का खेल हैं। जितने कहो उतने लण्ड मैं इकठ्ठा कर दूँ। मेरा नाम समीना है मैं एक मुस्लिम लड़की हूँ। मुस्लिम लड़कियों से संपर्क में कई लण्ड होते हैं। हमारे यहाँ खुल कर चोदा चोदी होती है। कोई किसी की भी बुर चोद लेता है। हम लोगों को शर्म तो बिलकुल आती ही नहीं। मैं अपनी माँ चुदवाती हूँ और मेरी माँ लण्ड मेरी बुर में पेल देती है। हमारे यहाँ लड़कियां अपने अब्बू से चुदवा लेती हैं। बड़ी बड़ी दाढ़ी रखने वाले मौलाना भोसड़ी के जाने किस किस की बीवियां, किस किस की लड़कियां किस किस की अम्मियाँ चोदा करते हैं। हमारे कुनबे में, नाते रिश्तेदारों में, और पास पड़ोस में कई लण्ड है जिन्हे मैं जानती ही नहीं बल्कि पहचानती भी हूँ। मैं आपको मुस्लिम लण्ड, हिन्दू लण्ड, क्रिश्चियन लण्ड, पंजाबी लण्ड, बंगाली लण्ड, पठानी लण्ड, मद्रासी लण्ड सब तरह के लण्ड दे सकती हूँ। बोलो किस तरह के लण्ड चाहती हो भाभी ? मैंने कहा लण्ड किसी भी जाति धर्म का हो पर हो वह गाँव का हो और लण्ड साफ़ सुथरा हो बस ? हां लण्ड अगर घोड़े के लण्ड की तरह हो तो बहुत अच्छा ? वह बोली हां मैं समझ गयी भाभी। मुझे बस दो दिन का वख्त दो। मैं इंतज़ाम कर दूँगी।
दो दिन बाद वह आयी और बोली भाभी जान मैंने ५ लण्ड का इंतज़ाम कर लिया है। सब गाँव के हैं और सबके लण्ड मेरी पसंद के हैं। मुझे यकीन हैं की आपको भी पसंद आयेगें। कहो तो मैं अभी बुला लूं । मैंने कहा नहीं आज नहीं कल शाम को ले आना ८ बजे। तब सब लोग सबसे मिलेगें। दूसरे दिन मैंने अपने ही घर में चुदाई का प्लान रखा था। एक तरफ से पद्मा आ गयी और दूसरी तरफ से कामिनी। दोनों ने जींस और बिना ब्रा का टॉप पहना था। दोनों ही बड़ी खूबसूरत और हॉट लग रही थी। मैंने तो बस एक गाउन डाल लिया बाकी मैं अंदर से बिलकुल नंगी थी।
शाम को समीना आ गयी और उसके पीछे कुछ लोग। पहले तो मैंने समीना को सबसे मिलवाया। वह खुद भी बहुत खूबसूरत थी। उसने एक एक करके सारे लोगों को मिलवाया। समीना बोली इनसे मिलो ये है मिस्टर रॉबर्ट। ४६ साल के हैं। मस्त है और हंसमुख है। इसके लण्ड के बारे में आप खुद जान जायेगीं। ये है २६ साल का ताहिर मियां। इसका लौड़ा कटा है पर जबरदस्त है। ये है २८ साल का बलबीर, पंजाबी है। मुझे इसका लण्ड बहुत पसंद है। ये है अब्बास ४५ साल का। यह मेरा अब्बू है। इसके लण्ड की हुलिया आप खुद देख कर जान जायेंगीं। मैं बस इतना बता दूँ की मेरी सभी सहेलियां बार बार इसका लण्ड पीने आती हैं। मेरे कुनबे की और नाते रिश्तेदारों की सभी बहू बेटियां अम्मियाँ, बीवियां इसके लण्ड की गुलाम हैं। आखिर में यह है २४ साल रतन। मैं तो इसके लण्ड की फोटो हमेशा अपने पर्श में रखती हूँ। ये सब गाँव के लोग हैं। अच्छा भोजन और अच्छा चोदन इनका पसंदीदा काम है। दिन भर खूब शारीरिक मेहनत करते है और रात भर खूब धकाधक बुर चोदते हैं।
समीना सबको मिलवाकर चली गयी और मैंने फिर ड्रिंक्स चालू कर दी। सब लोग मजे से शराब का मज़ा लेने लगे। हम तीनो की नज़रें उन पांचो पर थी और वो पांचो भी हमें बड़ी ललचाई नज़रों से देख रहे थे। एक पैग शराब तो बातों में ही ख़तम हो गई । दूसरा जैसे ही चालू हुआ वैसे ही पद्मा ने ताहिर की जांघ पर हाथ रख दिया। शायद उसे मुस्लिम लण्ड देखने की बहुत जल्दी थी। उसे देख कर कामिनी ने रॉबर्ट अंकल को अपनी तरफ खींच लिया। मैंने भी सोंचा की क्यों न मैं समीना के अब्बू का लण्ड पहले पकड़ कर देखूं ? मैंने अपना हाथ उसकी जांघ पर रख कर आगे बढ़ा दिया और लण्ड ऊपर से दबा दिया। फिर मैंने दूसरा हाथ रतन के लण्ड की तरफ बढ़ा दिया। तब तक मैंने अपना गाउन खोल कर फेंक दिया था। मैं मादर चोद बिलकुल नंगी थी। मुझे नंगी देख कर उन लोगों को बड़ा मज़ा आया। तब तक कामिनी भी नंगी हो चुकी थी और पद्मा भी। हम तीनो की चूँचियाँ लगभग बराबर थीं और बड़ी बड़ी थीं।
मैंने फिर समीना के अब्बू अब्बास मियां का लण्ड बाहर निकाल ही लिया। लण्ड देख कर मुझे मज़ा आ गया। वह सही कह रही थी। लण्ड साला बड़ा लम्बा भी था और मोटा भी। उसके पेल्हड़ भी बड़े सेक्सी थे। सबसे अच्छी बात यह थी की झांटें बिलकुल साफ़ थी। इससे लण्ड साफ सुथरा लग रहा था, खूबसूरत लग रहा था और बड़ा भी लग रहा था। मैं तो उसका सुपाड़ा ही घुमा घुमा कर बड़ी देर तक देखती रही। फिर मैंने देखा की कामिनी रॉबर्ट का लौड़ा चारों तरफ से देख रही है और पद्मा ताहिर के लण्ड पर नज़रें गड़ाए हुए है। उसका लण्ड काफी कुछ अब्बास के लण्ड से मिलता जुलता था। पद्मा ने फ़ौरन बलबीर का लण्ड भी निकाल लिया। बलबीर पूरा नंगा हो चुका था। पद्मा दो लण्ड पाकर मस्ती करने लगी। दोनों लण्ड बारी बारी से चाटने लगी और अपने नंगे बदन पर फिराने लगी।
मेरे पास भी दो लण्ड थे। मैं भी उन्हें चाटने लगी और पेल्हड़ चूमने लगी। कामिनी तो रॉबर्ट अंकल के लण्ड से खेलने में जुट गयी।
- जब मेरी निगाह सभी लौंड़ों पर पड़ी तो मैंने कहा :- यार पद्मा और कामिनी, समीना सच कह रही थी की मैं तुम्हे घोड़े के लण्ड जैसे लण्ड दूँगी। यहाँ मैं देख रही हूँ की सब मादर चोदो के लण्ड घोड़ों के लण्ड जैसे हैं। मुझे तो वाकई मज़ा आ रहा है।
- पद्मा बोली - हां कविता तू सच कह रही है। गाँव वालों के लण्ड इतने तगड़े तगड़े होगें मुझे नहीं मालूम था।
- कामिनी बोली :- सबसे बड़ा तो उदहारण तेरे हाथ का लन्ड है कविता। वह तो समीना के अब्बू का ही लण्ड है।
- मैंने कहा - हां अब मालूम हो रहा है की इसके लण्ड पर लड़कियां क्यों मरती हैं ?
- तब अब्बास बोला - मेरी बेटी समीना है न वह तो लण्ड पकड़ने में बड़ी माहिर है। भोसड़ी वाली सबके लण्ड पकड़ती है। सबके लण्ड पीती है। और सबसे चुदवाती भी है।
- मैंने कहा - तो तेरा भी लण्ड पीती होगी समीना, अंकल ?
- वह बोला - हां पीती है और मुझसे चुदवाती भी है। मेरे सभी दोस्तों से चुदवाती है समीना। वह अपनी माँ के भोसड़ा में भी पेल देती है सबके लण्ड ?
- पद्मा बोली :- उसे शर्म नहीं आती क्या अंकल ?
- वह बोला - हमारे यहाँ शर्म नाम की कोई जगह नहीं है। सबको सबकी बुर चोदने की आज़ादी है। सबको सबके लण्ड अपनी बुर में घुसाने की आज़ादी है। न कोई बुरा मनाता है और न कोई बुरा मानती है। मेरे दोस्त भी मादर चोद अपनी बेटियों की बुर लेते हैं। दूसरी की बेटियां चोदते है। बेटियों की माँ चोदते है। अपनी बीवियां अपने सामने दूसरों से चुदवाते हैं। अपनी बहू बेटियां भी चुदवाते हैं। हमारे यहाँ यह सब जायज़ माना जाता है। बल्कि ऐसा करने से सब लोग खुश होतें है चाहे आदमी या औरत ? अपने ही कुनबे में और अपने नाते रिश्ते दारों में चोदा चोदी दिन भर होती रहती है। लोग आते रहते है और चोदते रहते हैं। बहू बेटियां भी बिंदास चुदवाती रहतीं हैं।
- मैंने पूंछा - ताहिर क्या तुम्हारे यहाँ भी ऐसा ही होता है ? ताहिर पद्मा की चूँचियाँ मसलता हुआ बोला हां भाभी हमारे यहाँ भी ऐसा ही होता है। समाज तो एक ही हैं न ? मैंने भी अपने घर में अपनी खाला की बुर लेता हूँ, अपनी फूफी का भोसड़ा चोदता हूँ। फूफी की बेटी बुर चोदता हूँ। अपने दोस्तों की बीवियां चोदता हूँ और मेरे दोस्त मेरी बीवी चोदते हैं। बड़ा मज़ा आता है हम सबको ? हम लोग तो वाकई चोदा चोदी खूब एन्जॉय करते हैं।
- इतने में रॉबर्ट बोला - जवानी में तो अक्सर लड़कियां लण्ड पकड़ लेती हैं। और जो लड़की लण्ड पकड़ लेती है वह चुदवाती जरूर है। हमारे यहाँ भी ऐसा ही होता है। मैं अपने दोस्तों की बीवियां भी चोदता हूँ और उसकी बेटियां भी चोदता हूँ। क्योंकि बेटियां अंकल अंकल कह कर मेरे लण्ड पर हाथ रख देतीं हैं। मैं समझ जाता हूँ की यह मुझसे चुदवाने के मूड में है।
पद्मा बोली :- अब मज़ा आया न गाँव वाले लोगों के लण्ड का ? देखो मेरी भी चूत में ताहिर का लण्ड घुसा है और मैं बलबीर का लण्ड चूस भी रही हूँ। मुझे तो आज सबसे ज्यादा मज़ा आ रहा ैहै । ऐसा मज़ा पहले कभी नहीं आया।
तब मैं भी भकाचक चुदवाने लगी थी। रतन अपना लण्ड मेरे मुंह में घुसेड़े हुए था। मैंने देखा की कामिनी भी गचर गचर रॉबर्ट से चुदवा रही है और बोल रही है हाय मेरे राजा खूब कस कस के चोदो मुझे। पूरा लण्ड पेल के चोदो। मैं तेरी बीवी हूँ अंकल मुझे चोदो। मैं तेरी भाभी हूँ भोसड़ी के मुझे चोदो। तेरा लौड़ा मुझे अच्छा लग रहा है। मादर चोद अंदर तक घुस गया है। मुझे तूफ़ान मेल की तरह चोदो। चाहो तो मेरी गांड भी मार लो। मैं तो तेरे लण्ड की दीवानी हो गयी हूँ। कामिनी तो अपनी गांड उठा उठा के मस्त चुदवा रही थी। हम तीनो गाँव वालों के लण्ड का मज़ा लूट रहीं थीं और बार बार समीना की तारीफ कर रहीं थीं।
अचानक रॉबर्ट ने पद्मा की चूत में लण्ड घुसेड़ दिया। उधर से बलबीर ने आकर मेरी बुर में लण्ड पेला और ताहिर ने लण्ड मेरे मुंह में घुसा दिया। समीना का अब्बू कामिनी की तरफ बढ़ा और उसकी बुर में लौड़ा घुसा दिया। वह कामिनी की बुर चोदने लगा। रतन ने लण्ड कामिनी के मुंह में घुसेड़ दिया। कामिनी दो दो लण्ड का मज़ा लेने लगी। हम तीनो के लण्ड बदल गए तो मज़ा दूना हो गया।
इतने में समीना आ गयी। उसने हम सबको चुदवाते हुए देखा तो बोली कविता आ रहा है न ? आप सबको गाँव के लण्ड कैसे लगे ? मैंने कहा - पहले तू बता की तू इतनी रात गए क्या करके आ रही है ?
वह बोली :- मैं अपने ससुर से चुदवाकर आ रही हूँ भाभी। उसके पहले मैंने अपने नंदोई से चुदवाया था। कामिनी ने पूंछा :- तो फिर तेरा मियां क्या कर रहा था।
वह बोली :- मेरा मियां भोसड़ी का अपनी भाभी की बुर ले रहा था। मेरा भाई जान अपनी सास का भोसड़ा चोद रहा था। मेरा जीजू मेरी माँ चोद रहा था और मेरी दीदी मेरे खालू से चुदवा रही थी। मैं बच बचा कर आ गयी भाभी, नहीं तो मेरा मामू अपना लण्ड खड़ा किये हुए मेरी ही तरफ आ रहा था। वह मुझे चोदने के मूड में था।
तब मैंने उसे बलबीर का लौड़ा पकड़ा दिया।
तब मैं भी भकाचक चुदवाने लगी थी। रतन अपना लण्ड मेरे मुंह में घुसेड़े हुए था। मैंने देखा की कामिनी भी गचर गचर रॉबर्ट से चुदवा रही है और बोल रही है हाय मेरे राजा खूब कस कस के चोदो मुझे। पूरा लण्ड पेल के चोदो। मैं तेरी बीवी हूँ अंकल मुझे चोदो। मैं तेरी भाभी हूँ भोसड़ी के मुझे चोदो। तेरा लौड़ा मुझे अच्छा लग रहा है। मादर चोद अंदर तक घुस गया है। मुझे तूफ़ान मेल की तरह चोदो। चाहो तो मेरी गांड भी मार लो। मैं तो तेरे लण्ड की दीवानी हो गयी हूँ। कामिनी तो अपनी गांड उठा उठा के मस्त चुदवा रही थी। हम तीनो गाँव वालों के लण्ड का मज़ा लूट रहीं थीं और बार बार समीना की तारीफ कर रहीं थीं।
अचानक रॉबर्ट ने पद्मा की चूत में लण्ड घुसेड़ दिया। उधर से बलबीर ने आकर मेरी बुर में लण्ड पेला और ताहिर ने लण्ड मेरे मुंह में घुसा दिया। समीना का अब्बू कामिनी की तरफ बढ़ा और उसकी बुर में लौड़ा घुसा दिया। वह कामिनी की बुर चोदने लगा। रतन ने लण्ड कामिनी के मुंह में घुसेड़ दिया। कामिनी दो दो लण्ड का मज़ा लेने लगी। हम तीनो के लण्ड बदल गए तो मज़ा दूना हो गया।
इतने में समीना आ गयी। उसने हम सबको चुदवाते हुए देखा तो बोली कविता आ रहा है न ? आप सबको गाँव के लण्ड कैसे लगे ? मैंने कहा - पहले तू बता की तू इतनी रात गए क्या करके आ रही है ?
वह बोली :- मैं अपने ससुर से चुदवाकर आ रही हूँ भाभी। उसके पहले मैंने अपने नंदोई से चुदवाया था। कामिनी ने पूंछा :- तो फिर तेरा मियां क्या कर रहा था।
वह बोली :- मेरा मियां भोसड़ी का अपनी भाभी की बुर ले रहा था। मेरा भाई जान अपनी सास का भोसड़ा चोद रहा था। मेरा जीजू मेरी माँ चोद रहा था और मेरी दीदी मेरे खालू से चुदवा रही थी। मैं बच बचा कर आ गयी भाभी, नहीं तो मेरा मामू अपना लण्ड खड़ा किये हुए मेरी ही तरफ आ रहा था। वह मुझे चोदने के मूड में था।
तब मैंने उसे बलबीर का लौड़ा पकड़ा दिया।
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