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गुलाबी रस भरी चुत की चुदाई - Bhabhi ki ras bhari chut ki chudai
गुलाबी रस भरी चुत की चुदाई - Bhabhi ki ras bhari chut ki chudai , Antarvasna Sex Stories , Hindi Sex Story , Real Indian Chudai Kahani , choda chadi cudai cudi coda free of cost , Time pass Story , Adult xxx vasna kahaniyan.
हेल्लो दोस्तो, मेरा नाम मनीषा है मैं इतनी गोरी हूँ कि इस उम्र में भी कोई भी मुझे एक बार देख ले तो वो मेरा दीवाना हो जाये। मेरी शादी को 10 साल हो चुके है, और मेरे पति एक इंजिनियर है। मेरे दो छोटे–छोटे बच्चे है, एक 9 साल का और दूसरा 7 साल का। मैं एक संयुक्त परिवार से हूँ, मेरे पति से बड़ा उनका एक बड़ा भाई ओर है। उनके भी दो बेटे है, यह घटना मेरे जेठ के बड़े लड़के और मेरी बीच घटित हुई है। मेरे जेठ के बड़े बेटे का नाम वीरेन्द्र है, उस समय उसकी उम्र 22 साल थी और मैं 32 साल की थी।
वीरेन्द्र भी उस समय इंजीनियरिंग कर रहा था और वो होस्टल में रहा था। एक दिन मेरे जेठ और जेठानी और उनके दोनों लड़के हमारे घर आये और अपने बड़े बेटे को हमारे घर छोड़कर अपने छोटे बेटे को लेकर बाहर किसी रिश्तेदारी में दो दिन के लिए चले गए थे। मेरे पति ऑफिस में और मेरे बच्चे स्कूल गए थे। मेरे ससुर गाँव गए हुए थे, क्योंकि उनके बड़े भैया का स्वर्गवास हो गया था। उसी दिन सुबह दस बजे की बात है, मैं किचन में खाना बनाने की तैयारी कर रही थी। वीरेन्द्र भी वही पर किचन के बाहर शेविंग कर रहा था। हम दोनों अक्सर एक दूसरे से मजाक किया करते थे
उस दिन उसने अपनी शेविंग करने के बाद मुझसे ऐसे ही मजाक में कहा- क्या आपकी भी शेविंग कर दूँ? मैं वीरेन्द्र को प्यार से वीरू बुलाती थी, मैंने वीरू से कहा- मेरी शेव नहीं आती पर हाँ मेरी बगल के बाल बड़े हो गए है। तुम उन्हें शेविंग कर दोगे क्या?मेरी बार सुन कर वीरेन्द्र पहले तो थोड़ा शरमाया फिर कुछ सोच कर मुझसे बोला- ठीक है ! मैं वहाँ की शेविंग कर दूँगा। मैंने वीरेन्द्र से कहा- ठीक है, पर यहाँ नहीं ! किचन में शेव करोगे तो बाल यहाँ फैल जायेगे। अभी थोड़ी देर बाद बाथरूम में कर देना। वीरेन्द्र ने कहा- आप अभी चलिए न, फिर मैं नहाने जा रहा हूँ उसके बाद में नहीं कर पाऊँगा। मैंने भी सोचा ठीक है, आज घर पर कोई है भी नहीं, तो मैंने भी उसको कह दिया- ठीक है ! तुम बाथरूम में चलो, मैं अभी आती हूँ।
हम दोनों बाथरूम में पहुँच गए उस दिन मैंने शिफोन की काले रंग की प्रिन्ट वाली साड़ी और काले ही रंग का ब्लाउज पहना हुआ था। मेरे बाल खुले हुए थे, जोकि मेरी खूबसूरती में चार चाँद लगा रहे थे। वीरू ने मुझे अपना ब्लाउज उतारने को कहा ! मैंने ब्लाउज के बटन खोलने शुरू किये ही थे कि तभी मेरी नजर उसके शॉर्ट्स पर पड़ी, उसमें उसका लंड खड़ा हुआ था और मुझे उसमें खम्बा सा बना हुआ लग रहा था। मुझे वीरू का लंड शॉर्ट्स में देख कर बहुत अच्छा लगा क्योंकि वो मेरे पति से बड़ा लग रहा था। फिर मैंने अपना काले रंग का ब्लाउज उतार दिया। अब मैं वीरू के सामने सफ़ेद ब्रा में थी। वीरू ने मुझे अपना एक हाथ ऊपर उठाने को कहा तो मैंने अपना एक हाथ ऊपर कर दिया। फिर वीरू मेरी बगल के बाल साफ़ करने लगा मुझे उसके इस काम से एक मीठी सी गुदगुदी हो रही थी।
शेविंग करते समय वीरू का हाथ कभी-कभी मेरी बगल से मेरे स्तनों को स्पर्श हो रहा था। वीरू मेरे चूचों को देख रहा था, उसकी इस नज़र से ही मैं गर्म हो रही थी। उसके पास होने से उसकी गर्मी से मुझे बहुत आराम महसूस हो रहा था। तभी वीरू ने मुझे अपना दूसरा हाथ ऊपर करने के लिए कहा उसके कहने पर मैंने अपना दूसरा हाथ ऊपर कर दिया। फिर वो मेरी दूसरी बगल में भी शेव करने लगा। शेव करते वक़्त वीरू का हाथ बार बार मेरे बूब्स से छूने मात्र से ही मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी, अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो पा रहा था
मेरी बगल की शेविंग करने से मेरी ब्रा पर कुछ बाल चिपक गए थे। वीरू ने उनको साफ़ करने के बहाने से उसने मेरे उरोजों को धीरे से दबा दिया। ‘आअह्ह्ह्ह !’ मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई। उसके इतना करने से मुझे कंट्रोल नहीं हुआ और मैंने वीरू का हाथ पकड़ कर अपने सीने पर दबा दिया। मेरी इस हरकत से वीरू समझ गया कि मैं उससे चुदने के लिए तैयार हूँ और फिर वो मेरे बूब्स को दबाने लगा और मेरे गाल और गर्दन पर चुम्बन करने लगा। मैंने वीरू का सर पकड़ कर अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए फिर मैं वीरू के होंठ को चूसना शुरू कर दिया और वीरू भी मेरा साथ देने लगा।
वीरू को भी कुछ कुछ होने लगा, उसने मुझे अपनी बाहों में उठाया तो मैं वीरू के गाल को चूमने लगी। वह मुझे उठाकर बेडरूम में ले गया और बेड पर लिटा दिया, फिर बेड पर मेरे पास बैठ गया और मेरे नंगे पेट पर हाथ फिरने लगा। फिर मेरे पेट पर झुक कर वीरू मेरे पेट को चूमने लगा। मैंने वीरू को पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया। वीरू मेरे ऊपर आते ही उसने अपना एक हाथ मेरी गर्दन के नीचे डाल दिया और मुझे थोड़ा सा ऊपर उठाते हुए मेरा निचला होंठ अपने होंठ में दबा कर चूसने लगा। मैं भी वीरू का साथ देने लगी, कभी वो मेरा ऊपर का होंठ चूसता तो कभी नीचे का होंठ, मेरा हाथ वीरू की गर्दन पर था। फिर उसके बाद वो मेरे गले को चूमने लगा।
मेरे गले को चूमता हुआ वो मेरी छाती पर पहुँच गया और मेरी ब्रा से बाहर निकल रहे बूब्स को चूमने लगा। वीरू मेरी छाती को चूमते हुए मेरी ब्रा पर पहुँच गया। अचानक उसके मुँह में मेरी बगल का एक बाल आ गया जोकि उसने कुछ देर पहले साफ़ किये थे। इसलिए वीरू ने अपना मुँह वहाँ से हटा लिया और अपने मुँह को साफ़ करने लगा। अपना मुँह साफ़ करने के बाद उसने मेरी साड़ी और मेरा पेटीकोट खोल कर उतार दिया और फिर मेरी ब्रा को भी उतार कर मेरे बदन से अलग कर दिया। अब मैं वीरू के सामने सिर्फ लाल रंग की पेंटी में बेड पर लेटी हुई थी। मेरी नग्न चूचियों को देखकर वो उसको अपने हाथो से दबाने लगा और फिर एक एक करके मेरी दोनों चूची को चूसने लगा। काफी देर तक वो मेरी चूची को पागलों की तरफ चूसता और दबाता रहा।
फिर वो मेरे पैरों की तरफ गया और मेरी लाल रंग की पेंटी को उतारने लगा, मैं अपनी पेंटी को उतारने में वीरू की मदद करने लगी। मैंने अपने दोनों पैर मोड़ कर अपने चूतड़ ऊपर उठा दिए और वीरू ने मेरे पैरो से मेरी पेंटी निकल दी। मैंने अपने कूल्हे अब भी ऊपर उठा रखे थे। वीरू ने अपने दोनों हाथ मेरी गांड के नीचे लगा कर मुझे सहारा दिया तो मैं वीरू को दिखाते हुए अपने दोनों हाथ अपनी चूत पर फिराने लगी
वीरू ने मुझे अपनी चूत पर हाथ फेरते देख उसने अपना एक हाथ मेरी गांड से हटा कर मेरी चूत पर रख दिया और मेरी चूत के दाने को अपने हाथ से रगड़ने लगा। उसके बाद वीरू मेरी चूत के ऊपर झुक गया और अपने होंठ मेरी चूत से लगा दिये। वीरू मेरी चूत को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा और मैं आनंद के सागर में गोते लगते हुए अपनी चूत को वीरू के मुँह पर रगड़ने लगी। वीरू अपनी जीभ को मेरी चूत की दरार में फिराने लगा। मैं उसकी इस हरकत से मस्ती में दोहरी हुए जा रही थी और मैं अपने ही हाथ से अपनी चूची को जोर जोर से दबाने लगी।
मेरी गुलाबी रस भरी चूत को वीरू चाटे ही जा रहा था और मैं मस्ती में उड़े जा रही थी। फिर वीरू ने अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर घुसा दी, मेरे मुँह से सिसकारियाँ और तेज हो गई। मेरे हाथ वीरू के सर के बाल सहला रहे थे। वीरू ने मेरी चूत चूस चूस कर पानी पानी कर दी थी अब तो मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था इसलिए मैंने वीरू को बेड पर पकड़ कर लिटा दिया। मैंने एक एक कर के वीरू के सारे कपड़े उतार दिए, अंडरवियर निकलते ही वीरू का लंड मेरे सामने खड़ा हो गया जोकि अभी कुछ देर पहले वो अंडरवियर की कैद में था। वीरू का लंड बहुत ही मनमोहक लग रहा था। वीरू का लंड लगभग सात इंच लम्बा और तीन इंच मोटा था। वीरू का लंड देखते ही उसको अपने मुँह में लेने की इच्छा होने लगी। मैंने कभी अपने पति का लण्ड तक अपने मुँह में नहीं लिया था पर वीरू का लंड देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा था।
मैंने वीरू का लंड अपने हाथ से पकड़ा और उसके खड़े लंड को मुठ्ठी में पकड़ कर उसके लंड की खाल नीचे कर दी। वीरू के लंड का सुपारा फ़ूल कर और भी मोटा हो गया था और उसके लंड का सुपारा टमाटर की तरह लाल हो चुका था। मैंने अपना मुँह खोला और वीरू के लंड पर झुक गई और उसके लंड के सुपाड़े को अपनी जीभ से चाटने लगी। वीरू के लंड का स्वाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मुझे पहले पता होता तो मैं अपने पति का लंड चूसे बिना नहीं छोड़ती और उसको मैं रोजाना चूसती।
फिर मैं वीरू का लंड नीचे से ऊपर को चाटने लगी। वीरू मेरी इस हरकत बड़ी ही गौर से देख रहा था उसने मेरा एक हाथ पकड़ लिया और हल्के से मेरा हाथ दबाने लगा। फिर मैं वीरू का लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। वीरू का लंड चूसते हुए मैं अपना मुँह उसके लंड पर ऊपर नीचे कर रही थी जिससे मेरी चूचियाँ वीरू की जाँघ से टकरा रही थी। वीरू अपना एक हाथ मेरे नंगे चूतड़ों पर फिरा रहा था और मेरे सर के बाल आगे की तरह आ गए थे और वो वीरू की छाती पर रेंग रहे थे, मैं भी पूरे तन मन से वीरू का लंड चूस रही थी। जब मेरा मुँह वीरू का लंड चूसते हुए थक गया तो मैंने वीरू का लंड अपने मुँह से निकाल दिया।
मेरा मन अभी और वीरू का लंड चूसने का कर रहा था पर मेरा मुँह ही दर्द करने लगा था। तो मैंने उसका लंड चूसना बंद कर दिया, मैं अपने घुटने के बल सीधी हुई और अपने बालों को पीछे की ओर सही से किया। मेरी चूत पहले से ही इतना पानी बहा चुकी थी कि मुझे अपने ऊपर ही काबू नहीं हुआ और खुद ही मैं वीरू से चुदने के लिए उसके कंधों पर हाथ रख कर उसके लंड पर बैठ गई। मेरे दोनों पैरों के बीच में वीरू लेटा था और मैं घुटने के बल खड़ी हुई थी। वीरू ने मुझे अपने ऊपर झुका लिया उस समय वीरू के हाथ मेरी गांड सहला रहे थे और मेरे बाल वीरू का चेहरे पर थे।
वीरू के लंड पर बैठते ही मुझे असीम सुखद सुख की अनुभूति हुई। वीरू का लंड मेरी चूत की गहराई में पूरा उतर चुका था। वीरू ने अपने दोनों हाथो से मेरी कमर को पकड़ा हुआ था और मैंने अपने दोनों हाथ अपने चूतड़ों पर रखे हुए थे। फिर मैं वीरू के लंड पर ऊपर नीचे उठने और बैठने लगी। फिर मैंने अपना एक हाथ अपने पैरो के बीच में नीचे से निकलते हुए वीरू का लंड पकड़ लिया और अपनी चूत के छेद पर लगाया और फिर से घुटने के बल खड़ी हो गई मेरे बाल जोकि सामने की तरह आ गए थे। मैंने उनको अपने हाथ से पीछे किया और फिर मैं वीरू के लंड पर ‘आआआऐई ईईईईई’ बैठ गई।
वीरू के लंड पर बैठते ही मुझे असीम सुखद सुख की अनुभूति हुई। वीरू का लंड मेरी चूत की गहराई में पूरा उतर चुका था। वीरू ने अपने दोनों हाथो से मेरी कमर को पकड़ा हुआ था और मैंने अपने दोनों हाथ अपने चूतड़ों पर रखे हुए थे। फिर मैं वीरू के लंड पर ऊपर नीचे उठने और बैठने लगी। वीरू का लंड मेरे पतिदेव से बड़ा और मोटा था तो मुझे उसका लंड अपनी चूत में डालकर बहुत ही मज़ा आ रहा था। फिर वीरू ने अपने पैरो को मोड़ लिया और अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरी चूत में अपना लंड पेलने लगा वीरू के हाथ मुझे उसके लंड पर उठने बैठने में सहयोग कर रहे थे। वीरू और मेरी इस क्रिया से चूत में लंड बहुत ही तीव्र गति से आ जा रहा था।
पूरे बेडरूम में हम दोनों की सिसकारियों के अलावा और कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था। फिर कुछ देर बाद ही मैं वीरू के लंड पर झड़ने लगी। मेरी चूत का रस वीरू के लंड को भिगोता हुआ बाहर निकल रहा था। मेरी गति लंड पर कम हो गई थी पर वीरू तो अब भी उसी तीव्र गति से मुझे चोदे जा रहा था। मैंने भी उसको मना नहीं किया क्योंकि मुझे ऐसा जानदार लंड पहली बार जो मिला था और फिर मुझे ऐसा लंड कब नसीब हो या न हो वीरू मुझे चोदता रहा और मैं कुछ देर बाद फिर से उत्तेजित हो गई और मैं भी उसका सहयोग करने लगी फिर कुछ देर के बाद वीरू ने मुझे नीचे बेड पर अपने आगे लिटा दिया। फिर उसने मेरे एक पैर को अपने एक हाथ से उठाया और पीछे से मेरी चूत मैं अपना लंड डाल दिया
जब वीरू का लंड मेरी चूत में पूरा अन्दर पहुँच गया तो उसने अपना एक हाथ नीचे से मेरी बगल से निकल कर मेरी मस्ती से भरी हुई चूची को पकड़ लिया और उसको वीरू दबाने लगा। मैंने अपने एक हाथ से अपने पैर को जोकि वीरू ने पकड रखा था उसको पकड़ लिया। अब मेरा एक पैर मुड़ा हुआ था और दूसरा पैर मैंने अपने हाथ की सहयता से ऊपर उठा रखा था। फिर वीरू ने अपना वो हाथ मेरे पैर से हटा लिया और मेरी दूसरी चूची को पकड़ कर और उनको जोर जोर से दबाने लगा और साथ साथ पीछे से मेरी चूत मैं अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा। जैसे ही वीरू का लंड अन्दर मेरी चूत मैं जाता तो वीरू मेरी चुचियो को बहुत जोर से दबा देता। वीरू के इस तरह करने से मेरी सिसकारियाँ और तेज हो जाती थी। फिर कुछ देर बाद वीरू ने मुझे अपनी बाहों का सहारा देते हुए ऊपर की ओर उठाया और मेरे होंठ को चूसने लगा। उसका लंड अब भी मेरी चूत के अन्दर बाहर हो रहा था और मैं अपने एक हाथ से अपनी चूत के दाने को अपनी उंगलियों से मसल रही थी। जब वीरू को लगा कि वो झड़ने वाला है। तो उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकल लिया और मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा।
मैंने अपने एक हाथ को अपने मुँह में देकर अपनी उंगलियों को अपने थूक से गीला किया और वीरू के लंड को अपने थूक से गीला करने लगी। जब मैं वीरू के लंड को अपने थूक से गीला कर रही थी तो वीरू मेरे ऊपर वाला होंठ चूस रहा था और मैं उसका नीचे वाला होंठ चूस रही थी। जब वीरू कुछ सामान्य हुआ तो उसने अपना लंड फिर से मेरी चूत की गहराई मैं उतार दिया और मेरी चूची को पकड़ कर मुझे चोदने लगा। सच में मुझे ऐसा सुख कभी नहीं मिला और न ही कभी मेरे पतिदेव ने मुझे ऐसे चोदा। मेरी जिंदगी में कुछ पल इतने हसीन होगे मैंने कभी सोचा भी नहीं था पर आज वीरू की वजह से ये हसीन पल मेरी जिंदगी का हिस्सा बन रहे थे।
कुछ देर तक वीरू ऐसे ही मुझे चोदता रहा फिर वो मेरे पैरों के बीच में आकर घुटनों के बल खड़ा हो गया और उसने मेरे पैरों को ऊपर की ओर उठा कर मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया। वीरू मेरे पैरों को ऊपर हवा में उठाकर मेरी चूत पर जोर जोर से धक्के मारने लगा। फिर उसने अपने दोनों हाथ बेड पर मेरे दायें और बायें टिका दिए और मुझे चूमते हुए मेरी चूत पर जमकर प्रहार करने लगा। वीरू जब जब मेरी चूत पर अपने लंड से धक्के लगता तो मेरी चूचियाँ जोर जोर से हिलने लगती। बड़ा ही हसीन नजारा था उस समय मन तो कर रहा था। समय यहीं थम जाये पर समय को कौन रोक सका है, जो मैं रोक लेती। मैं अपना सर उठा कर वीरू के मोटे लम्बे लंड को अपनी चूत में आते जाते देख रही थी। वीरू के धक्के लगाने की स्पीड से मुझे अंदाजा हो गया था कि अब वीरू झड़ने वाला है।
मेरी चूत भी एक बार फिर झड़ने की कगार पर थी। कुछ ही धक्के मारने के बाद वीरू के लंड ने अपनी पिचकारी मेरी चूत में छोड़ दी और उसी पल मेरी चूत ने भी वीरू के लंड पर काम रस की बारिश कर दी। वीरू और मैं हम दोनों ही चरम सीमा पर साथ साथ पहुँचे थे। वीरू के लंड से निकला हुआ वीर्य मुझे अपनी चूत में मुझे महसूस हो रहा था। मेरी चूत वीरू के वीर्य से भर गई थी और उसका वीर्य और मेरा काम रस मिश्रण होकर बाहर निकल रहा था। उस दिन मैं वीरू से एक बार ओर चुदी और फिर शाम को मेरे पतिदेव जी आ गए। फिर अगले दिन मेरे पतिदेव जी की छुट्टी थी तो उस दिन भी मेरी और वीरू की चुदाई नहीं हो पाई।
उसे अगले दिन सुबह ही मेरे जेठ और जेठानी वापस आ गए और वो वीरू को साथ लेकर अपने घर वापस लौट गए फिर उसके बाद मुझे और वीरू को कभी ऐसा मौक़ा नहीं मिला। बस वो दिन और आज का दिन है, उसके बाद मैं वीरू से नहीं चुदी।
हेल्लो दोस्तो, मेरा नाम मनीषा है मैं इतनी गोरी हूँ कि इस उम्र में भी कोई भी मुझे एक बार देख ले तो वो मेरा दीवाना हो जाये। मेरी शादी को 10 साल हो चुके है, और मेरे पति एक इंजिनियर है। मेरे दो छोटे–छोटे बच्चे है, एक 9 साल का और दूसरा 7 साल का। मैं एक संयुक्त परिवार से हूँ, मेरे पति से बड़ा उनका एक बड़ा भाई ओर है। उनके भी दो बेटे है, यह घटना मेरे जेठ के बड़े लड़के और मेरी बीच घटित हुई है। मेरे जेठ के बड़े बेटे का नाम वीरेन्द्र है, उस समय उसकी उम्र 22 साल थी और मैं 32 साल की थी।
वीरेन्द्र भी उस समय इंजीनियरिंग कर रहा था और वो होस्टल में रहा था। एक दिन मेरे जेठ और जेठानी और उनके दोनों लड़के हमारे घर आये और अपने बड़े बेटे को हमारे घर छोड़कर अपने छोटे बेटे को लेकर बाहर किसी रिश्तेदारी में दो दिन के लिए चले गए थे। मेरे पति ऑफिस में और मेरे बच्चे स्कूल गए थे। मेरे ससुर गाँव गए हुए थे, क्योंकि उनके बड़े भैया का स्वर्गवास हो गया था। उसी दिन सुबह दस बजे की बात है, मैं किचन में खाना बनाने की तैयारी कर रही थी। वीरेन्द्र भी वही पर किचन के बाहर शेविंग कर रहा था। हम दोनों अक्सर एक दूसरे से मजाक किया करते थे
उस दिन उसने अपनी शेविंग करने के बाद मुझसे ऐसे ही मजाक में कहा- क्या आपकी भी शेविंग कर दूँ? मैं वीरेन्द्र को प्यार से वीरू बुलाती थी, मैंने वीरू से कहा- मेरी शेव नहीं आती पर हाँ मेरी बगल के बाल बड़े हो गए है। तुम उन्हें शेविंग कर दोगे क्या?मेरी बार सुन कर वीरेन्द्र पहले तो थोड़ा शरमाया फिर कुछ सोच कर मुझसे बोला- ठीक है ! मैं वहाँ की शेविंग कर दूँगा। मैंने वीरेन्द्र से कहा- ठीक है, पर यहाँ नहीं ! किचन में शेव करोगे तो बाल यहाँ फैल जायेगे। अभी थोड़ी देर बाद बाथरूम में कर देना। वीरेन्द्र ने कहा- आप अभी चलिए न, फिर मैं नहाने जा रहा हूँ उसके बाद में नहीं कर पाऊँगा। मैंने भी सोचा ठीक है, आज घर पर कोई है भी नहीं, तो मैंने भी उसको कह दिया- ठीक है ! तुम बाथरूम में चलो, मैं अभी आती हूँ।
हम दोनों बाथरूम में पहुँच गए उस दिन मैंने शिफोन की काले रंग की प्रिन्ट वाली साड़ी और काले ही रंग का ब्लाउज पहना हुआ था। मेरे बाल खुले हुए थे, जोकि मेरी खूबसूरती में चार चाँद लगा रहे थे। वीरू ने मुझे अपना ब्लाउज उतारने को कहा ! मैंने ब्लाउज के बटन खोलने शुरू किये ही थे कि तभी मेरी नजर उसके शॉर्ट्स पर पड़ी, उसमें उसका लंड खड़ा हुआ था और मुझे उसमें खम्बा सा बना हुआ लग रहा था। मुझे वीरू का लंड शॉर्ट्स में देख कर बहुत अच्छा लगा क्योंकि वो मेरे पति से बड़ा लग रहा था। फिर मैंने अपना काले रंग का ब्लाउज उतार दिया। अब मैं वीरू के सामने सफ़ेद ब्रा में थी। वीरू ने मुझे अपना एक हाथ ऊपर उठाने को कहा तो मैंने अपना एक हाथ ऊपर कर दिया। फिर वीरू मेरी बगल के बाल साफ़ करने लगा मुझे उसके इस काम से एक मीठी सी गुदगुदी हो रही थी।
शेविंग करते समय वीरू का हाथ कभी-कभी मेरी बगल से मेरे स्तनों को स्पर्श हो रहा था। वीरू मेरे चूचों को देख रहा था, उसकी इस नज़र से ही मैं गर्म हो रही थी। उसके पास होने से उसकी गर्मी से मुझे बहुत आराम महसूस हो रहा था। तभी वीरू ने मुझे अपना दूसरा हाथ ऊपर करने के लिए कहा उसके कहने पर मैंने अपना दूसरा हाथ ऊपर कर दिया। फिर वो मेरी दूसरी बगल में भी शेव करने लगा। शेव करते वक़्त वीरू का हाथ बार बार मेरे बूब्स से छूने मात्र से ही मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी, अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो पा रहा था
मेरी बगल की शेविंग करने से मेरी ब्रा पर कुछ बाल चिपक गए थे। वीरू ने उनको साफ़ करने के बहाने से उसने मेरे उरोजों को धीरे से दबा दिया। ‘आअह्ह्ह्ह !’ मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई। उसके इतना करने से मुझे कंट्रोल नहीं हुआ और मैंने वीरू का हाथ पकड़ कर अपने सीने पर दबा दिया। मेरी इस हरकत से वीरू समझ गया कि मैं उससे चुदने के लिए तैयार हूँ और फिर वो मेरे बूब्स को दबाने लगा और मेरे गाल और गर्दन पर चुम्बन करने लगा। मैंने वीरू का सर पकड़ कर अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए फिर मैं वीरू के होंठ को चूसना शुरू कर दिया और वीरू भी मेरा साथ देने लगा।
वीरू को भी कुछ कुछ होने लगा, उसने मुझे अपनी बाहों में उठाया तो मैं वीरू के गाल को चूमने लगी। वह मुझे उठाकर बेडरूम में ले गया और बेड पर लिटा दिया, फिर बेड पर मेरे पास बैठ गया और मेरे नंगे पेट पर हाथ फिरने लगा। फिर मेरे पेट पर झुक कर वीरू मेरे पेट को चूमने लगा। मैंने वीरू को पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया। वीरू मेरे ऊपर आते ही उसने अपना एक हाथ मेरी गर्दन के नीचे डाल दिया और मुझे थोड़ा सा ऊपर उठाते हुए मेरा निचला होंठ अपने होंठ में दबा कर चूसने लगा। मैं भी वीरू का साथ देने लगी, कभी वो मेरा ऊपर का होंठ चूसता तो कभी नीचे का होंठ, मेरा हाथ वीरू की गर्दन पर था। फिर उसके बाद वो मेरे गले को चूमने लगा।
मेरे गले को चूमता हुआ वो मेरी छाती पर पहुँच गया और मेरी ब्रा से बाहर निकल रहे बूब्स को चूमने लगा। वीरू मेरी छाती को चूमते हुए मेरी ब्रा पर पहुँच गया। अचानक उसके मुँह में मेरी बगल का एक बाल आ गया जोकि उसने कुछ देर पहले साफ़ किये थे। इसलिए वीरू ने अपना मुँह वहाँ से हटा लिया और अपने मुँह को साफ़ करने लगा। अपना मुँह साफ़ करने के बाद उसने मेरी साड़ी और मेरा पेटीकोट खोल कर उतार दिया और फिर मेरी ब्रा को भी उतार कर मेरे बदन से अलग कर दिया। अब मैं वीरू के सामने सिर्फ लाल रंग की पेंटी में बेड पर लेटी हुई थी। मेरी नग्न चूचियों को देखकर वो उसको अपने हाथो से दबाने लगा और फिर एक एक करके मेरी दोनों चूची को चूसने लगा। काफी देर तक वो मेरी चूची को पागलों की तरफ चूसता और दबाता रहा।
फिर वो मेरे पैरों की तरफ गया और मेरी लाल रंग की पेंटी को उतारने लगा, मैं अपनी पेंटी को उतारने में वीरू की मदद करने लगी। मैंने अपने दोनों पैर मोड़ कर अपने चूतड़ ऊपर उठा दिए और वीरू ने मेरे पैरो से मेरी पेंटी निकल दी। मैंने अपने कूल्हे अब भी ऊपर उठा रखे थे। वीरू ने अपने दोनों हाथ मेरी गांड के नीचे लगा कर मुझे सहारा दिया तो मैं वीरू को दिखाते हुए अपने दोनों हाथ अपनी चूत पर फिराने लगी
वीरू ने मुझे अपनी चूत पर हाथ फेरते देख उसने अपना एक हाथ मेरी गांड से हटा कर मेरी चूत पर रख दिया और मेरी चूत के दाने को अपने हाथ से रगड़ने लगा। उसके बाद वीरू मेरी चूत के ऊपर झुक गया और अपने होंठ मेरी चूत से लगा दिये। वीरू मेरी चूत को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा और मैं आनंद के सागर में गोते लगते हुए अपनी चूत को वीरू के मुँह पर रगड़ने लगी। वीरू अपनी जीभ को मेरी चूत की दरार में फिराने लगा। मैं उसकी इस हरकत से मस्ती में दोहरी हुए जा रही थी और मैं अपने ही हाथ से अपनी चूची को जोर जोर से दबाने लगी।
मेरी गुलाबी रस भरी चूत को वीरू चाटे ही जा रहा था और मैं मस्ती में उड़े जा रही थी। फिर वीरू ने अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर घुसा दी, मेरे मुँह से सिसकारियाँ और तेज हो गई। मेरे हाथ वीरू के सर के बाल सहला रहे थे। वीरू ने मेरी चूत चूस चूस कर पानी पानी कर दी थी अब तो मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था इसलिए मैंने वीरू को बेड पर पकड़ कर लिटा दिया। मैंने एक एक कर के वीरू के सारे कपड़े उतार दिए, अंडरवियर निकलते ही वीरू का लंड मेरे सामने खड़ा हो गया जोकि अभी कुछ देर पहले वो अंडरवियर की कैद में था। वीरू का लंड बहुत ही मनमोहक लग रहा था। वीरू का लंड लगभग सात इंच लम्बा और तीन इंच मोटा था। वीरू का लंड देखते ही उसको अपने मुँह में लेने की इच्छा होने लगी। मैंने कभी अपने पति का लण्ड तक अपने मुँह में नहीं लिया था पर वीरू का लंड देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा था।
मैंने वीरू का लंड अपने हाथ से पकड़ा और उसके खड़े लंड को मुठ्ठी में पकड़ कर उसके लंड की खाल नीचे कर दी। वीरू के लंड का सुपारा फ़ूल कर और भी मोटा हो गया था और उसके लंड का सुपारा टमाटर की तरह लाल हो चुका था। मैंने अपना मुँह खोला और वीरू के लंड पर झुक गई और उसके लंड के सुपाड़े को अपनी जीभ से चाटने लगी। वीरू के लंड का स्वाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मुझे पहले पता होता तो मैं अपने पति का लंड चूसे बिना नहीं छोड़ती और उसको मैं रोजाना चूसती।
फिर मैं वीरू का लंड नीचे से ऊपर को चाटने लगी। वीरू मेरी इस हरकत बड़ी ही गौर से देख रहा था उसने मेरा एक हाथ पकड़ लिया और हल्के से मेरा हाथ दबाने लगा। फिर मैं वीरू का लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। वीरू का लंड चूसते हुए मैं अपना मुँह उसके लंड पर ऊपर नीचे कर रही थी जिससे मेरी चूचियाँ वीरू की जाँघ से टकरा रही थी। वीरू अपना एक हाथ मेरे नंगे चूतड़ों पर फिरा रहा था और मेरे सर के बाल आगे की तरह आ गए थे और वो वीरू की छाती पर रेंग रहे थे, मैं भी पूरे तन मन से वीरू का लंड चूस रही थी। जब मेरा मुँह वीरू का लंड चूसते हुए थक गया तो मैंने वीरू का लंड अपने मुँह से निकाल दिया।
मेरा मन अभी और वीरू का लंड चूसने का कर रहा था पर मेरा मुँह ही दर्द करने लगा था। तो मैंने उसका लंड चूसना बंद कर दिया, मैं अपने घुटने के बल सीधी हुई और अपने बालों को पीछे की ओर सही से किया। मेरी चूत पहले से ही इतना पानी बहा चुकी थी कि मुझे अपने ऊपर ही काबू नहीं हुआ और खुद ही मैं वीरू से चुदने के लिए उसके कंधों पर हाथ रख कर उसके लंड पर बैठ गई। मेरे दोनों पैरों के बीच में वीरू लेटा था और मैं घुटने के बल खड़ी हुई थी। वीरू ने मुझे अपने ऊपर झुका लिया उस समय वीरू के हाथ मेरी गांड सहला रहे थे और मेरे बाल वीरू का चेहरे पर थे।
वीरू के लंड पर बैठते ही मुझे असीम सुखद सुख की अनुभूति हुई। वीरू का लंड मेरी चूत की गहराई में पूरा उतर चुका था। वीरू ने अपने दोनों हाथो से मेरी कमर को पकड़ा हुआ था और मैंने अपने दोनों हाथ अपने चूतड़ों पर रखे हुए थे। फिर मैं वीरू के लंड पर ऊपर नीचे उठने और बैठने लगी। फिर मैंने अपना एक हाथ अपने पैरो के बीच में नीचे से निकलते हुए वीरू का लंड पकड़ लिया और अपनी चूत के छेद पर लगाया और फिर से घुटने के बल खड़ी हो गई मेरे बाल जोकि सामने की तरह आ गए थे। मैंने उनको अपने हाथ से पीछे किया और फिर मैं वीरू के लंड पर ‘आआआऐई ईईईईई’ बैठ गई।
वीरू के लंड पर बैठते ही मुझे असीम सुखद सुख की अनुभूति हुई। वीरू का लंड मेरी चूत की गहराई में पूरा उतर चुका था। वीरू ने अपने दोनों हाथो से मेरी कमर को पकड़ा हुआ था और मैंने अपने दोनों हाथ अपने चूतड़ों पर रखे हुए थे। फिर मैं वीरू के लंड पर ऊपर नीचे उठने और बैठने लगी। वीरू का लंड मेरे पतिदेव से बड़ा और मोटा था तो मुझे उसका लंड अपनी चूत में डालकर बहुत ही मज़ा आ रहा था। फिर वीरू ने अपने पैरो को मोड़ लिया और अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरी चूत में अपना लंड पेलने लगा वीरू के हाथ मुझे उसके लंड पर उठने बैठने में सहयोग कर रहे थे। वीरू और मेरी इस क्रिया से चूत में लंड बहुत ही तीव्र गति से आ जा रहा था।
पूरे बेडरूम में हम दोनों की सिसकारियों के अलावा और कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था। फिर कुछ देर बाद ही मैं वीरू के लंड पर झड़ने लगी। मेरी चूत का रस वीरू के लंड को भिगोता हुआ बाहर निकल रहा था। मेरी गति लंड पर कम हो गई थी पर वीरू तो अब भी उसी तीव्र गति से मुझे चोदे जा रहा था। मैंने भी उसको मना नहीं किया क्योंकि मुझे ऐसा जानदार लंड पहली बार जो मिला था और फिर मुझे ऐसा लंड कब नसीब हो या न हो वीरू मुझे चोदता रहा और मैं कुछ देर बाद फिर से उत्तेजित हो गई और मैं भी उसका सहयोग करने लगी फिर कुछ देर के बाद वीरू ने मुझे नीचे बेड पर अपने आगे लिटा दिया। फिर उसने मेरे एक पैर को अपने एक हाथ से उठाया और पीछे से मेरी चूत मैं अपना लंड डाल दिया
जब वीरू का लंड मेरी चूत में पूरा अन्दर पहुँच गया तो उसने अपना एक हाथ नीचे से मेरी बगल से निकल कर मेरी मस्ती से भरी हुई चूची को पकड़ लिया और उसको वीरू दबाने लगा। मैंने अपने एक हाथ से अपने पैर को जोकि वीरू ने पकड रखा था उसको पकड़ लिया। अब मेरा एक पैर मुड़ा हुआ था और दूसरा पैर मैंने अपने हाथ की सहयता से ऊपर उठा रखा था। फिर वीरू ने अपना वो हाथ मेरे पैर से हटा लिया और मेरी दूसरी चूची को पकड़ कर और उनको जोर जोर से दबाने लगा और साथ साथ पीछे से मेरी चूत मैं अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा। जैसे ही वीरू का लंड अन्दर मेरी चूत मैं जाता तो वीरू मेरी चुचियो को बहुत जोर से दबा देता। वीरू के इस तरह करने से मेरी सिसकारियाँ और तेज हो जाती थी। फिर कुछ देर बाद वीरू ने मुझे अपनी बाहों का सहारा देते हुए ऊपर की ओर उठाया और मेरे होंठ को चूसने लगा। उसका लंड अब भी मेरी चूत के अन्दर बाहर हो रहा था और मैं अपने एक हाथ से अपनी चूत के दाने को अपनी उंगलियों से मसल रही थी। जब वीरू को लगा कि वो झड़ने वाला है। तो उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकल लिया और मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा।
मैंने अपने एक हाथ को अपने मुँह में देकर अपनी उंगलियों को अपने थूक से गीला किया और वीरू के लंड को अपने थूक से गीला करने लगी। जब मैं वीरू के लंड को अपने थूक से गीला कर रही थी तो वीरू मेरे ऊपर वाला होंठ चूस रहा था और मैं उसका नीचे वाला होंठ चूस रही थी। जब वीरू कुछ सामान्य हुआ तो उसने अपना लंड फिर से मेरी चूत की गहराई मैं उतार दिया और मेरी चूची को पकड़ कर मुझे चोदने लगा। सच में मुझे ऐसा सुख कभी नहीं मिला और न ही कभी मेरे पतिदेव ने मुझे ऐसे चोदा। मेरी जिंदगी में कुछ पल इतने हसीन होगे मैंने कभी सोचा भी नहीं था पर आज वीरू की वजह से ये हसीन पल मेरी जिंदगी का हिस्सा बन रहे थे।
कुछ देर तक वीरू ऐसे ही मुझे चोदता रहा फिर वो मेरे पैरों के बीच में आकर घुटनों के बल खड़ा हो गया और उसने मेरे पैरों को ऊपर की ओर उठा कर मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया। वीरू मेरे पैरों को ऊपर हवा में उठाकर मेरी चूत पर जोर जोर से धक्के मारने लगा। फिर उसने अपने दोनों हाथ बेड पर मेरे दायें और बायें टिका दिए और मुझे चूमते हुए मेरी चूत पर जमकर प्रहार करने लगा। वीरू जब जब मेरी चूत पर अपने लंड से धक्के लगता तो मेरी चूचियाँ जोर जोर से हिलने लगती। बड़ा ही हसीन नजारा था उस समय मन तो कर रहा था। समय यहीं थम जाये पर समय को कौन रोक सका है, जो मैं रोक लेती। मैं अपना सर उठा कर वीरू के मोटे लम्बे लंड को अपनी चूत में आते जाते देख रही थी। वीरू के धक्के लगाने की स्पीड से मुझे अंदाजा हो गया था कि अब वीरू झड़ने वाला है।
मेरी चूत भी एक बार फिर झड़ने की कगार पर थी। कुछ ही धक्के मारने के बाद वीरू के लंड ने अपनी पिचकारी मेरी चूत में छोड़ दी और उसी पल मेरी चूत ने भी वीरू के लंड पर काम रस की बारिश कर दी। वीरू और मैं हम दोनों ही चरम सीमा पर साथ साथ पहुँचे थे। वीरू के लंड से निकला हुआ वीर्य मुझे अपनी चूत में मुझे महसूस हो रहा था। मेरी चूत वीरू के वीर्य से भर गई थी और उसका वीर्य और मेरा काम रस मिश्रण होकर बाहर निकल रहा था। उस दिन मैं वीरू से एक बार ओर चुदी और फिर शाम को मेरे पतिदेव जी आ गए। फिर अगले दिन मेरे पतिदेव जी की छुट्टी थी तो उस दिन भी मेरी और वीरू की चुदाई नहीं हो पाई।
उसे अगले दिन सुबह ही मेरे जेठ और जेठानी वापस आ गए और वो वीरू को साथ लेकर अपने घर वापस लौट गए फिर उसके बाद मुझे और वीरू को कभी ऐसा मौक़ा नहीं मिला। बस वो दिन और आज का दिन है, उसके बाद मैं वीरू से नहीं चुदी।
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