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मेरे सामने ही मेरी माँ का भोसड़ा चोदा - Mere samne hi meri maa ka bhosda choda
मेरे सामने ही मेरी माँ का भोसड़ा चोदा - Mere samne hi meri maa ka bhosda choda , माँ बेटी की चुदाई , बेटी ने माँ को चुदवाया , मम्मी और बिटियाँ की कामवासना अन्तर्वासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी.
एक दिन अम्मी ने बड़ी मस्ती में कहा - बेटी, तेरी बुर चोदी अम्मी की बुर ?
तो मैंने भी उसी मस्ती में जबाब दिया - अम्मी तेरी बुर चोदी बिटिया की बुर ?
यह सब कैसे हुआ ? इसके लिए आगे पढ़िए :-
उन दिनों मैं 19 साल की हो गयी थी। मैं पूरी तरह जवान हो गयी थी। मेरे बूब्स बड़े बड़े हो गए थे। मेरी कमर पतली थी पर कूल्हे मोटे हो गए थे। मेरी जांघें भी मोटी मोटी हो गयीं थीं। उनके बीच की मस्तानी चूत के तो नखरे तो निराले ही थे। उस पर काली काली घनी घनी झांटें बहुत खूबसूरत ही नहीं बल्कि हॉट लग रहीं थीं। मैं गालियां भी देने लगी थी और लण्ड भी पकड़ने लगी थी. मैं सच में बड़ी बोल्ड हो गयी थी। लेकिन इस बात का इल्म मेरी अम्मी को नहीं था। वह समझ रहीं थीं की मैनै आज तक कोई लण्ड पकड़ा ही नहीं। जब की वह यह बात सुनने के लिए बेताब थी की अब मेरी बेटी लण्ड चूसने लगी है लण्ड पीने लगी है। वह चाहती थी की अब मेरी बेटी जवानी का पूरा मज़ा लेना शुरू कर दे ? एक दिन रात को उसने मुझे अपने कमरे में बुलाया , मैं जब गयी तो उसने मुझे अपने पास बैठाया और कहा बेटी नाज़नीन मेरे साथ फिल्म देखो। उसे टी वी ऑन कर दिया। जैसे ही फिल्म शुरू हुई तो उसमे एक बड़ा सा लण्ड आया ? मेरे मुंह से निकला बाप रे बाप ,,,,,,,, तो अम्मी मुस्कराकर बोली क्या बहुत बड़ा है बेटी नाज़नीन ? लण्ड तो इसे भी बड़े बड़े होतें हैं। फिर उसमे एक लण्ड और आ गया। तो मैं उठ कर जाने लगी वह बोली अरे जाती कहाँ है तू बुर चोदी नाज़नीन ? अब तू सायानी हो गयी है। लण्ड का मज़ा लेना सीख ले बेटी। माँ चुदाना सीख ले बेटी देख तेरी सहेली शबाना एक साल से अपनी माँ चुदा रही है।
मैंने कहा - सीख लूंगी जल्दी क्या है ?
वह बोली - जल्दी तुझे नहीं मुझे है बेटी ? मैं चाहती हूँ की तू जल्दी से जल्दी लण्ड दूसरों की चूत में पेलना शुरू कर दे। मेरे भोसड़ा में लण्ड पेलना शुरू कर दे। उसने मुझे बैठा लिया। फिल्म में एक लड़की आकर दो दो लण्ड बारी बारी से चूसने लगी। अम्मी ने कहा बेटी नाज़नीन तुम इस तरह लण्ड चूस लेती हो ? मेरे मुंह से निकला हां चूस लेती हूँ। वह बोली तेरी माँ का भोसड़ा तो फिर मेरे सामने चूसती क्यों नहीं ? इतने में बाथ रूम से एक अंकल निकल कर बाहर आ गए। वह बिलकुल नंगा था और उसका लण्ड खड़ा था। लण्ड देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया। मैं अपने होंठ चाटने लगी। अम्मी बोली ले पकड़ कर चूस ले न लण्ड। ये मेरी सहेली का शौहर है अल्ताफ। उसने मेरा हाथ लण्ड पर रख दिया और मैं मजे से लण्ड सहलाने लगी। फिर अम्मी पूरी तरह नंगी हो गयीं और मैं भी।
मैं लण्ड मुंह में भर कर चूसने लगी। इधर कई दिनों से मुझे कोई लण्ड मिला नहीं था इसलिए मैं उसे एन्जॉय करने लगी। अचानक मेरे फोन की घण्टी बज उठी तो अम्मी जान ने उसका स्पीकर ऑन कर दिया और कहा बेटी नाज़नीन तझे फोन पकड़ने की कोई जरुरत नहीं है। तू लण्ड पकड़े पकड़े बात कर ले।
एक दिन अम्मी ने बड़ी मस्ती में कहा - बेटी, तेरी बुर चोदी अम्मी की बुर ?
तो मैंने भी उसी मस्ती में जबाब दिया - अम्मी तेरी बुर चोदी बिटिया की बुर ?
यह सब कैसे हुआ ? इसके लिए आगे पढ़िए :-
उन दिनों मैं 19 साल की हो गयी थी। मैं पूरी तरह जवान हो गयी थी। मेरे बूब्स बड़े बड़े हो गए थे। मेरी कमर पतली थी पर कूल्हे मोटे हो गए थे। मेरी जांघें भी मोटी मोटी हो गयीं थीं। उनके बीच की मस्तानी चूत के तो नखरे तो निराले ही थे। उस पर काली काली घनी घनी झांटें बहुत खूबसूरत ही नहीं बल्कि हॉट लग रहीं थीं। मैं गालियां भी देने लगी थी और लण्ड भी पकड़ने लगी थी. मैं सच में बड़ी बोल्ड हो गयी थी। लेकिन इस बात का इल्म मेरी अम्मी को नहीं था। वह समझ रहीं थीं की मैनै आज तक कोई लण्ड पकड़ा ही नहीं। जब की वह यह बात सुनने के लिए बेताब थी की अब मेरी बेटी लण्ड चूसने लगी है लण्ड पीने लगी है। वह चाहती थी की अब मेरी बेटी जवानी का पूरा मज़ा लेना शुरू कर दे ? एक दिन रात को उसने मुझे अपने कमरे में बुलाया , मैं जब गयी तो उसने मुझे अपने पास बैठाया और कहा बेटी नाज़नीन मेरे साथ फिल्म देखो। उसे टी वी ऑन कर दिया। जैसे ही फिल्म शुरू हुई तो उसमे एक बड़ा सा लण्ड आया ? मेरे मुंह से निकला बाप रे बाप ,,,,,,,, तो अम्मी मुस्कराकर बोली क्या बहुत बड़ा है बेटी नाज़नीन ? लण्ड तो इसे भी बड़े बड़े होतें हैं। फिर उसमे एक लण्ड और आ गया। तो मैं उठ कर जाने लगी वह बोली अरे जाती कहाँ है तू बुर चोदी नाज़नीन ? अब तू सायानी हो गयी है। लण्ड का मज़ा लेना सीख ले बेटी। माँ चुदाना सीख ले बेटी देख तेरी सहेली शबाना एक साल से अपनी माँ चुदा रही है।
मैंने कहा - सीख लूंगी जल्दी क्या है ?
वह बोली - जल्दी तुझे नहीं मुझे है बेटी ? मैं चाहती हूँ की तू जल्दी से जल्दी लण्ड दूसरों की चूत में पेलना शुरू कर दे। मेरे भोसड़ा में लण्ड पेलना शुरू कर दे। उसने मुझे बैठा लिया। फिल्म में एक लड़की आकर दो दो लण्ड बारी बारी से चूसने लगी। अम्मी ने कहा बेटी नाज़नीन तुम इस तरह लण्ड चूस लेती हो ? मेरे मुंह से निकला हां चूस लेती हूँ। वह बोली तेरी माँ का भोसड़ा तो फिर मेरे सामने चूसती क्यों नहीं ? इतने में बाथ रूम से एक अंकल निकल कर बाहर आ गए। वह बिलकुल नंगा था और उसका लण्ड खड़ा था। लण्ड देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया। मैं अपने होंठ चाटने लगी। अम्मी बोली ले पकड़ कर चूस ले न लण्ड। ये मेरी सहेली का शौहर है अल्ताफ। उसने मेरा हाथ लण्ड पर रख दिया और मैं मजे से लण्ड सहलाने लगी। फिर अम्मी पूरी तरह नंगी हो गयीं और मैं भी।
मैं लण्ड मुंह में भर कर चूसने लगी। इधर कई दिनों से मुझे कोई लण्ड मिला नहीं था इसलिए मैं उसे एन्जॉय करने लगी। अचानक मेरे फोन की घण्टी बज उठी तो अम्मी जान ने उसका स्पीकर ऑन कर दिया और कहा बेटी नाज़नीन तझे फोन पकड़ने की कोई जरुरत नहीं है। तू लण्ड पकड़े पकड़े बात कर ले।
- मैंने देखा की उसमे नज़मा का नाम था तो मैंने कहा वाओ, तू भोसड़ी की नज़मा, बोल क्या बात है।
- वह बोली - यार तूने सही कहा था। आज मैंने थामस सर का लण्ड पकड़ा वह सच में बहन चोद 9" का लण्ड है। मेरी तो गांड फट गई लण्ड देख कर। तूने इसे कैसे बर्दास्त किया होगा यार नाज़नीन ?
- अच्छा ठीक है अब आगे बता क्या हुआ ?
- हुआ क्या मैंने लण्ड पकड़ कर मस्ती से हिलाया तो वह पूरा खड़ा हो गया और मैंने सुपाड़ा चाटा और फिर उसे मुंह में भर लिया। मैं बड़ी देर तक लण्ड चूसती रही।
- ओ के तो फिर आगे क्या हुआ ?
- फिर मैं मजे से लण्ड का सड़का मारने लगी। तो वह कुछ नहीं बोला और बड़े प्यार से सड़का मरवाने लगा।
- फिर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ?
- फिर क्या ? मैंने अपना मुंह लण्ड के आगे कर दया और उसका झड़ता हुआ लण्ड पीने लगी। मैं पूरा वीर्य पी गयी और फिर लण्ड का सुपाड़ा चाट चाट कर साफ़ कर दिया।
- आगे क्या हुआ ,,,,,,,,,,,,,,, ?
- मैं जब चलने लगी तो उसने मुझे रोक लिया और बोला आज चुदवाकर कर ही जाओ नज़मा। मैं चुदासी तो थी ही इसलिए रुक गयी। बस थोड़ी देर बाद उसका लौड़ा फिर से खड़ा हो गया। इस बार उसने लण्ड मेरी चूत में पेल दिया और चोदने लगा मुझे दर्द तो बहुत हुआ. मैं चिल्ला भी पड़ी लेकिन फिर जब मज़ा आने लगा तो खूब मस्ती से चुदवाने लगी।
- तू भोसड़ी की बहुत बड़ी चुदक्कड़ है मुझे मालूम है यार। तूने मेरे सामने महमूद सर से इसी तरह चुदवाया था। आगे बता क्या हुआ ?
- फिर मैंने अपनी अम्मी को सब बातें बता दीं। वह बोली नज़मा तेरी माँ की चूत ? तू भोसड़ी की अकेले अकेले चुदवाकर कर आ गयी मुझे बुला लिया होता तो मैं भी चुदवा लेती। फिर शाम को मैं अम्मी को लेकर थामस सर के घर गई और फिर उसने मेरे सामने ही मेरी माँ का भोसड़ा चोदा।
- इसका मतलब तू अपनी माँ चुदाने लगी है।
- हां यार तू सच कह रही है नाज़नीन। मैं माँ चुदाने लगी हूँ अपनी। यही बताने के लिए मैंने तुझे फोन किया।
तब तक किसी की आवाज़ आयी - तेरी माँ का भोसड़ा बाप का लौड़ा, नाज़नीन ? तेरी खाला की चूत, बहन का लण्ड। मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो वह मेरी खाला की बेटी नगमा थी। वह अपने शौहर असद के साथ आयी हुई थी। असद से मैं मिल चुकी थी। वह मेरा जीजू है। मैंने कहा अरे दीदी तुम सही वख्त पर आयी हो। यहाँ माँ बहन दोनों की चूत दांव पर लगी है। पता नहीं लण्ड पहले किसकी बुर में घुसेगा ? नगमा बोली - यार नाज़नीन मैं तो अपने शौहर से तेरी माँ का भोसड़ा चुदवाने आयी हूँ। इससे कल मैंने अपनी माँ चुदवाई आज तेरी माँ चुदवाने आयी हूँ। मैंने कहा अरी मेरी बुर चोदी नगमा दीदी तुम अपने शौहर से सबकी बुर चुदवाती रहती हो। कभी अपनी भी बुर चुदवाई तुमने ? वह बोली नहीं यार , मैं अपनी बुर इसके दोस्तों से चुदवाती हूँ, और भी कई मरद हैं मेरी बुर चोदने वाले। तेरा अब्बा भी अपना लण्ड मेरी बुर में पेलता है। मुझे बड़ा मज़ा आता है गैर मर्दों से चुदवाने में।
बस फिर मैंने असद जीजू की लुंगी खोल दी और उसका टन टनाता हुआ लण्ड पकड़ लिया। मैं लण्ड चाटने लगी तो अम्मी जान पेल्हड़। तब तक अल्ताफ अंकल ने लण्ड मेरी बुर में घुसा दिया। वह मुझे बड़े इत्मीनान से चोदने लगा और मैं भी मजे से चुदवाने लगी। नगमा दीदी भी नंगी होकर अल्ताफ के पेल्हड़ बैठ कर सहलाने लगी और उसका लण्ड मेरी बुर से निकाल निकाल कर चाटने लगी। मैंने पूंछा दीदी क्या तेरी माँ तेरे शौहर से चुदवाती है ? उसे इसमें कोई शर्म नहीं आती। वह बोली अरे नाज़नीन मेरी अम्मी जान बहुत ही बेशरम लेडी हैं। शर्म नाम की चीज तो उसके पास है नहीं। एक दिन उसने अपने नंदोई का लण्ड मुझे पकड़ाते हुए कहा बेटी नगमा लो अब तुम इससे अपनी माँ का भोसड़ा चोदो। नहो चोदोगी तो मैं तेरी माँ की बिटिया की बुर चोद डालूंगी। अम्मी की बेशरमी देख कर मैं भी बहन चोद बेशरम हो गयी और बोली मैं माँ का भोसड़ा भी चोदूँगी और उसकी बिटिया की बुर भी।
इतने में अल्ताफ अंकल ने लण्ड मेरी चूत से निकाल कर नगमा दीदी की बुर में घुसेड़ दिया। उधर दीदी का शौहर मेरी माँ का भोसड़ा चोदने लगा। मुझे दोनों की चुदाई देख कर बहुत अच्छा लगने लगा।
अम्मी ने कहा - नगमा बेटी तेरे मियां का लौड़ा तो बहुत जबरदस्त है। देखो ने कितनी मस्ती से तेरी माँ की बहन चोद रहा है। नगमा ने कहा अरे खाला जान ये मरद भोसड़ी वाले सब एक जैसे ही होते हैं। इन्हे दूसरीं की बीवियां बेटियां और बहुओं की बुर चोदने मे बड़ा मज़ा आता है। वैसे जब इसके दोस्त मुझे चोदते हैं तो मुझे भी बड़ा मज़ा आता है।
अम्मी जान ने कहा - एक बात समझ लो नगमा हमारे समाज में शादी कोई जनम जनम का साथ या सात जनम का बंधन नहीं है। हमारे समाज में शादी तो बुर चोदने और बुर चुदाने का एक कॉन्ट्रैक्ट है बस। शादी तो बुर चोदने के लिए और बुर चुदवाने के लिए की जाती है। बुर में लौड़ा पेलने और पेलवाने के लिए की जाती है। तो फिर लौड़ा किसका है यह देखने की जरुरत नहीं है। बुर किसकी है यह भी जानने की जरुरत नहीं है. जो भी बुर मिले उसे चोदो। जो भी लण्ड मिले उसे चोदो। रात में न कोई बुर चोदी माँ, न कोई बुर चोदी बेटी, न बुर चोदी सास न बुर चोदी बहू । सबकी बुर चोदो। न कोई भोसड़ी का बाप, न कोई भाई, न कोई चाचा, न कोई मामा, न कोई फूफा, न कोई जीजा सबके लण्ड पेलो अपनी बुर में। शादी का केवल मतलब है बुर में लौड़ा पेलना और पेलवाना। इसीलिए हमारे समाज में लड़कियां अपने अब्बू का लण्ड बड़ी बेशर्मी से पकड़ लेतीं हैं और अब्बू जान अपनी बेटी को लण्ड बड़े प्यार से पकड़ा देतें हैं। अम्मी भी बड़े मजे से अपनी बेटी के शौहर से चुदवातीं हैं।
अम्मी की बातों से हमारी हिम्मत और बढ़ गयी बहन चोद। फिर क्या दनादन होने लगी चुदाई। कभी अम्मी की बुर चुदने लगी कभी मेरी। कभी दीदी की बुर चुदने लगी कभी अम्मी की गांड। कभी मेरी गांड चुदने लगी तो कभी दीदी की चूँची। खूब जम कर हम तीनो ने अय्यासी की। दो दिन बाद मेरी फूफी जान आ गई। उसका नाम है नुज़हत। उसके साथ उसका देवर भी था। देवर बहन चोद एक जवान आदमी था। उसकी उम्र ३० साले के लगभग होगी . देखने एम् बड़ा स्मार्ट और हैंडसम लग रहा था। मैं सोंचने लगी की इसका लौड़ा भी अगर इसी तरह से हैंडसम तो मज़ा आ जाये . मेरी फूफी बड़ी मजाकिया भी है और लण्ड की बड़ी शौक़ीन भी। वह अपने देवर से जरूर चुदवाती होगी।
आते ही बोली - अपनी माँ की नन्द का भोसड़ा देख ले बुर चोदी , नाज़नीन ? उसने अपनी सलवार खोल कर अपनी चूत दिखा दी मुझे।
मैंने भी कहा - तो ले तू भी देख के अपनी भाभी जान की बिटिया की बुर ? मैंने अपनी बुर दिखाते हुए उससे कहा। फिर हम दोनों हंसने लगीं।
वह बोली - हाय दईया, तू तो बड़ी हरामजादी हो गई है, नाज़नीन।
मैंने कहा - हां फूफी जान मैं हरामजादी हूँ, मैं बहुत बड़ी मादर चोद भी हूँ। तुम कुछ भी कहो मुझे, हरामजादी, छिनार, बेहाया, भोसड़ी वाली, लंड चुसनी, गांडू पर आज यहाँ अपने देवर का लण्ड मेरी बुर में पेल दे। मैं बहुत चुदासी हूँ फूफी जान।
वह बोली - मैं तो तेरी माँ चोदने आई हूँ। मैं तो पहले तेरी माँ चोदूँगी फिर तेरी बुर।
इतने में किसी ने डोर बेल बजा दी। मैंने दरवाजा खोला तो सामने मेरे दो बॉय फ्रेंड्स खड़े थे। मैं उन्हें सबके सामने ले आई जहाँ मेरी अम्मी जान, फूफी जान अपने देवर जासिर के साथ बैठी थीं और सबसे मिलवा दिया। एक का नाम था अतीक अहमद और दूसर का नाम था कासिम। मैंने कहा अम्मी जान ये दोनों मेरे दोस्त है पर सच्चाई यह है की मैंने अभी तक इनके लण्ड नहीं पकड़े हैं। मैं उनसे बातें करने लगी।
मैंने पूंछा - अतीक तुम क्या कर रहे थे ?
वह बोला - मैं कासिम की बीवी चोद रहा था।
मैंने फिर कासिम से पूंछा - कासिम तुम क्या कर रहे थे ?
वह बोला - मैं अतीक की बीवी चोद रहा था।
मैं बोली - वाओ, तुम लोग एक दूसरे की बीवी चोदते हो।
मैंने कहा - कहाँ चोद रहे हे तुम एक दूसरे की बीवी ?
कासिम बोला - मैं अतीक के घर अपनी बीवी के साथ गया था। पहले तो कुछ बातें हुई फिर अतीक ने मेरी
बीवी की चूँचियाँ दबा दीं। मेरी बीवी ने उसका लण्ड दबा दिया। उधर उसकी बीवी ने मेरे लण्ड पर हाथ मारा और बोली तो फिर अब खोल कर दिखा दो न मुझे अपना लण्ड। बात आगे बढ़ी तो मैं उसकी बीवी उसके सामने चोदने लगा और वह मेरी बीवी मेरे सामने चोदने लगा।
मैंने कहा - चलो ठीक है अब तुम दोनों मेरी माँ का भोसड़ा चोदो और मेरी फूफी की बुर में लण्ड पेलो। मेरी बात सुनकर सब लोग हंसने लगे। कहा बेटी नाज़नीन अब इन्हे थोड़ा दारू तो पिलाओ। मैंने दारू का सेट लगा दिया और फिर हम सब लोग दारू पीने लगे।
अम्मी ने कहा - नाज़नीन तो तूने आज सबके सामने अपनी माँ चुदाने के लिए इन दोनों लड़कों को बुलाया है। इतने में फूफी जान बोली - अरे भाभी जान मैं भी अपने देवर को नाज़नीन की माँ चोदने के लिए लायी हूँ।
अम्मी ने कहा - हाय अल्लाह, आज तो सब लोग मेरे भोसड़ा के पीछे ही पड़े हैं, बेटी नाज़नीन। सब लोग अगर तेरी माँ के भोसड़ा में लण्ड पेलेगें तो तेरी माँ का भोसड़ा साला बोल जाएगा।
मैंने कहा - अरे अम्मी जान चिंता न करो ये साले तेरी बिटिया की बुर भी चोदेंगें। और फिर हमारे सामने हमारी फूफी जान का भोसड़ा भी है न ? उसमें तो लण्ड मैं घुसेड़ूँगी।
इस तरह चुदाई का पूरा माहौल बन चुका था। मेरी नज़र जासिर के लण्ड पर थी . मैं सबसे पहले उसका लौड़ा देखना चाहती थी। अम्मी जान अतीक के लण्ड की तरफ लपक लीं और फूफी जान कासिम की तरफ बढ़ गयीं। मैंने जासिर अंकल का पैजामा खोला और हाथ अंदर घुसेड़ दिया। मैं अंदर ही अंदर लण्ड सहलाने लगी। मुझे मालूम हो गया की लण्ड दमदार है। मैंने उसे पेल्हड़ सहित बाहर निकाल लिया और सबको दिखाती हुई लण्ड की कई बार चुम्मी ली और फिर जबान निकाल कर सुपाड़ा चाटने लगी। लण्ड एकदम टन्ना चुका था। मैंने उसे पूरी तरह नंगा कर दिया था और खुद भी नंगी हो गयी थी। मुझे देख कर फूफी जान भी नंगी हुई और कासिम का लण्ड मुठियाने लगीं। उधर अम्मी जान भी मस्ती से अतीक का लौड़ा सहलाने में जुट गईं , वह बोली बेटी नाज़नीन तेरे दोस्त का लौड़ा तो बड़ा मोटा तगड़ा है यार। तेरी माँ की चूत की आज ख़ैर नहीं है। मैंने कहा अम्मी जान तेरी बिटिया की बुर की भी आज ख़ैर नहीं है। देखो न जासिर अंकल का लण्ड कैसे उसकी बुर चोदने के लिए हिन् हिना रहा है।
थोड़ी देर में जासीर अंकल ने लण्ड मेरी बुर में घुसा ही दिया। मैं आह करके रह गयी। लण्ड सरसराता हुआ पूरा अंदर घुस गया। वह मुझे झमाझम चोदने लगा। मैंने पूंछा अंकल क्या तुम अपनी भाभी की बुर भी इसी तरह चोदते हो ? उसने जबाब देने के पहले ही फूफी जान बोल पड़ी हां नाज़नीन ये साला मुझे इसी तरह चोदता है और मेरी बेटी की बुर इसी तरह लेता है। मैंने कहा वाओ, ये बहन चोद तेरी बेटी भी चोदता है फूफी जान। वह बोली - अरे नहीं नाज़नीन मेरी बेटी को इसका लण्ड बहुत पसंद है। अब तो उसकी शादी हो गयी है पर वह जब जब आती है तो इससे चुदवाती जरूर है। मैंने कहा भोसड़ी के जासिर तुम माँ का भोसड़ा भी चोदते हो और बिटिया की बुर भी। वह बोला मैं क्या करूं जब दोनों प्यार से चुदवाती हैं तो मैं चोदता हूँ।
मैंने देखा की मेरी अम्मी जान भकाभक अतीक से चुदवा रहीं है और फूफी जान भी कासिम से चुदवाने में कोई कसर उठा नहीं रख रहीं हैं। ऐसा लग रहा था की जैसे दोनों आमने सामने चुदवाने का कम्पटीशन कर रहीं हों । कौन कितनी जल्दी लण्ड को खलास कर देती है ?
इस तरह हम तीनो रात भर लण्ड अदल बदल कर चुदवाती रहीं।
बस फिर मैंने असद जीजू की लुंगी खोल दी और उसका टन टनाता हुआ लण्ड पकड़ लिया। मैं लण्ड चाटने लगी तो अम्मी जान पेल्हड़। तब तक अल्ताफ अंकल ने लण्ड मेरी बुर में घुसा दिया। वह मुझे बड़े इत्मीनान से चोदने लगा और मैं भी मजे से चुदवाने लगी। नगमा दीदी भी नंगी होकर अल्ताफ के पेल्हड़ बैठ कर सहलाने लगी और उसका लण्ड मेरी बुर से निकाल निकाल कर चाटने लगी। मैंने पूंछा दीदी क्या तेरी माँ तेरे शौहर से चुदवाती है ? उसे इसमें कोई शर्म नहीं आती। वह बोली अरे नाज़नीन मेरी अम्मी जान बहुत ही बेशरम लेडी हैं। शर्म नाम की चीज तो उसके पास है नहीं। एक दिन उसने अपने नंदोई का लण्ड मुझे पकड़ाते हुए कहा बेटी नगमा लो अब तुम इससे अपनी माँ का भोसड़ा चोदो। नहो चोदोगी तो मैं तेरी माँ की बिटिया की बुर चोद डालूंगी। अम्मी की बेशरमी देख कर मैं भी बहन चोद बेशरम हो गयी और बोली मैं माँ का भोसड़ा भी चोदूँगी और उसकी बिटिया की बुर भी।
इतने में अल्ताफ अंकल ने लण्ड मेरी चूत से निकाल कर नगमा दीदी की बुर में घुसेड़ दिया। उधर दीदी का शौहर मेरी माँ का भोसड़ा चोदने लगा। मुझे दोनों की चुदाई देख कर बहुत अच्छा लगने लगा।
अम्मी ने कहा - नगमा बेटी तेरे मियां का लौड़ा तो बहुत जबरदस्त है। देखो ने कितनी मस्ती से तेरी माँ की बहन चोद रहा है। नगमा ने कहा अरे खाला जान ये मरद भोसड़ी वाले सब एक जैसे ही होते हैं। इन्हे दूसरीं की बीवियां बेटियां और बहुओं की बुर चोदने मे बड़ा मज़ा आता है। वैसे जब इसके दोस्त मुझे चोदते हैं तो मुझे भी बड़ा मज़ा आता है।
अम्मी जान ने कहा - एक बात समझ लो नगमा हमारे समाज में शादी कोई जनम जनम का साथ या सात जनम का बंधन नहीं है। हमारे समाज में शादी तो बुर चोदने और बुर चुदाने का एक कॉन्ट्रैक्ट है बस। शादी तो बुर चोदने के लिए और बुर चुदवाने के लिए की जाती है। बुर में लौड़ा पेलने और पेलवाने के लिए की जाती है। तो फिर लौड़ा किसका है यह देखने की जरुरत नहीं है। बुर किसकी है यह भी जानने की जरुरत नहीं है. जो भी बुर मिले उसे चोदो। जो भी लण्ड मिले उसे चोदो। रात में न कोई बुर चोदी माँ, न कोई बुर चोदी बेटी, न बुर चोदी सास न बुर चोदी बहू । सबकी बुर चोदो। न कोई भोसड़ी का बाप, न कोई भाई, न कोई चाचा, न कोई मामा, न कोई फूफा, न कोई जीजा सबके लण्ड पेलो अपनी बुर में। शादी का केवल मतलब है बुर में लौड़ा पेलना और पेलवाना। इसीलिए हमारे समाज में लड़कियां अपने अब्बू का लण्ड बड़ी बेशर्मी से पकड़ लेतीं हैं और अब्बू जान अपनी बेटी को लण्ड बड़े प्यार से पकड़ा देतें हैं। अम्मी भी बड़े मजे से अपनी बेटी के शौहर से चुदवातीं हैं।
अम्मी की बातों से हमारी हिम्मत और बढ़ गयी बहन चोद। फिर क्या दनादन होने लगी चुदाई। कभी अम्मी की बुर चुदने लगी कभी मेरी। कभी दीदी की बुर चुदने लगी कभी अम्मी की गांड। कभी मेरी गांड चुदने लगी तो कभी दीदी की चूँची। खूब जम कर हम तीनो ने अय्यासी की। दो दिन बाद मेरी फूफी जान आ गई। उसका नाम है नुज़हत। उसके साथ उसका देवर भी था। देवर बहन चोद एक जवान आदमी था। उसकी उम्र ३० साले के लगभग होगी . देखने एम् बड़ा स्मार्ट और हैंडसम लग रहा था। मैं सोंचने लगी की इसका लौड़ा भी अगर इसी तरह से हैंडसम तो मज़ा आ जाये . मेरी फूफी बड़ी मजाकिया भी है और लण्ड की बड़ी शौक़ीन भी। वह अपने देवर से जरूर चुदवाती होगी।
आते ही बोली - अपनी माँ की नन्द का भोसड़ा देख ले बुर चोदी , नाज़नीन ? उसने अपनी सलवार खोल कर अपनी चूत दिखा दी मुझे।
मैंने भी कहा - तो ले तू भी देख के अपनी भाभी जान की बिटिया की बुर ? मैंने अपनी बुर दिखाते हुए उससे कहा। फिर हम दोनों हंसने लगीं।
वह बोली - हाय दईया, तू तो बड़ी हरामजादी हो गई है, नाज़नीन।
मैंने कहा - हां फूफी जान मैं हरामजादी हूँ, मैं बहुत बड़ी मादर चोद भी हूँ। तुम कुछ भी कहो मुझे, हरामजादी, छिनार, बेहाया, भोसड़ी वाली, लंड चुसनी, गांडू पर आज यहाँ अपने देवर का लण्ड मेरी बुर में पेल दे। मैं बहुत चुदासी हूँ फूफी जान।
वह बोली - मैं तो तेरी माँ चोदने आई हूँ। मैं तो पहले तेरी माँ चोदूँगी फिर तेरी बुर।
इतने में किसी ने डोर बेल बजा दी। मैंने दरवाजा खोला तो सामने मेरे दो बॉय फ्रेंड्स खड़े थे। मैं उन्हें सबके सामने ले आई जहाँ मेरी अम्मी जान, फूफी जान अपने देवर जासिर के साथ बैठी थीं और सबसे मिलवा दिया। एक का नाम था अतीक अहमद और दूसर का नाम था कासिम। मैंने कहा अम्मी जान ये दोनों मेरे दोस्त है पर सच्चाई यह है की मैंने अभी तक इनके लण्ड नहीं पकड़े हैं। मैं उनसे बातें करने लगी।
मैंने पूंछा - अतीक तुम क्या कर रहे थे ?
वह बोला - मैं कासिम की बीवी चोद रहा था।
मैंने फिर कासिम से पूंछा - कासिम तुम क्या कर रहे थे ?
वह बोला - मैं अतीक की बीवी चोद रहा था।
मैं बोली - वाओ, तुम लोग एक दूसरे की बीवी चोदते हो।
मैंने कहा - कहाँ चोद रहे हे तुम एक दूसरे की बीवी ?
कासिम बोला - मैं अतीक के घर अपनी बीवी के साथ गया था। पहले तो कुछ बातें हुई फिर अतीक ने मेरी
मैंने कहा - चलो ठीक है अब तुम दोनों मेरी माँ का भोसड़ा चोदो और मेरी फूफी की बुर में लण्ड पेलो। मेरी बात सुनकर सब लोग हंसने लगे। कहा बेटी नाज़नीन अब इन्हे थोड़ा दारू तो पिलाओ। मैंने दारू का सेट लगा दिया और फिर हम सब लोग दारू पीने लगे।
अम्मी ने कहा - नाज़नीन तो तूने आज सबके सामने अपनी माँ चुदाने के लिए इन दोनों लड़कों को बुलाया है। इतने में फूफी जान बोली - अरे भाभी जान मैं भी अपने देवर को नाज़नीन की माँ चोदने के लिए लायी हूँ।
अम्मी ने कहा - हाय अल्लाह, आज तो सब लोग मेरे भोसड़ा के पीछे ही पड़े हैं, बेटी नाज़नीन। सब लोग अगर तेरी माँ के भोसड़ा में लण्ड पेलेगें तो तेरी माँ का भोसड़ा साला बोल जाएगा।
मैंने कहा - अरे अम्मी जान चिंता न करो ये साले तेरी बिटिया की बुर भी चोदेंगें। और फिर हमारे सामने हमारी फूफी जान का भोसड़ा भी है न ? उसमें तो लण्ड मैं घुसेड़ूँगी।
इस तरह चुदाई का पूरा माहौल बन चुका था। मेरी नज़र जासिर के लण्ड पर थी . मैं सबसे पहले उसका लौड़ा देखना चाहती थी। अम्मी जान अतीक के लण्ड की तरफ लपक लीं और फूफी जान कासिम की तरफ बढ़ गयीं। मैंने जासिर अंकल का पैजामा खोला और हाथ अंदर घुसेड़ दिया। मैं अंदर ही अंदर लण्ड सहलाने लगी। मुझे मालूम हो गया की लण्ड दमदार है। मैंने उसे पेल्हड़ सहित बाहर निकाल लिया और सबको दिखाती हुई लण्ड की कई बार चुम्मी ली और फिर जबान निकाल कर सुपाड़ा चाटने लगी। लण्ड एकदम टन्ना चुका था। मैंने उसे पूरी तरह नंगा कर दिया था और खुद भी नंगी हो गयी थी। मुझे देख कर फूफी जान भी नंगी हुई और कासिम का लण्ड मुठियाने लगीं। उधर अम्मी जान भी मस्ती से अतीक का लौड़ा सहलाने में जुट गईं , वह बोली बेटी नाज़नीन तेरे दोस्त का लौड़ा तो बड़ा मोटा तगड़ा है यार। तेरी माँ की चूत की आज ख़ैर नहीं है। मैंने कहा अम्मी जान तेरी बिटिया की बुर की भी आज ख़ैर नहीं है। देखो न जासिर अंकल का लण्ड कैसे उसकी बुर चोदने के लिए हिन् हिना रहा है।
थोड़ी देर में जासीर अंकल ने लण्ड मेरी बुर में घुसा ही दिया। मैं आह करके रह गयी। लण्ड सरसराता हुआ पूरा अंदर घुस गया। वह मुझे झमाझम चोदने लगा। मैंने पूंछा अंकल क्या तुम अपनी भाभी की बुर भी इसी तरह चोदते हो ? उसने जबाब देने के पहले ही फूफी जान बोल पड़ी हां नाज़नीन ये साला मुझे इसी तरह चोदता है और मेरी बेटी की बुर इसी तरह लेता है। मैंने कहा वाओ, ये बहन चोद तेरी बेटी भी चोदता है फूफी जान। वह बोली - अरे नहीं नाज़नीन मेरी बेटी को इसका लण्ड बहुत पसंद है। अब तो उसकी शादी हो गयी है पर वह जब जब आती है तो इससे चुदवाती जरूर है। मैंने कहा भोसड़ी के जासिर तुम माँ का भोसड़ा भी चोदते हो और बिटिया की बुर भी। वह बोला मैं क्या करूं जब दोनों प्यार से चुदवाती हैं तो मैं चोदता हूँ।
मैंने देखा की मेरी अम्मी जान भकाभक अतीक से चुदवा रहीं है और फूफी जान भी कासिम से चुदवाने में कोई कसर उठा नहीं रख रहीं हैं। ऐसा लग रहा था की जैसे दोनों आमने सामने चुदवाने का कम्पटीशन कर रहीं हों । कौन कितनी जल्दी लण्ड को खलास कर देती है ?
इस तरह हम तीनो रात भर लण्ड अदल बदल कर चुदवाती रहीं।
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