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अपने भाई के लंड से अपनी ननद को चुदवा दिया - Bhai se nanad ko chudwaya
अपने भाई के लंड से अपनी ननद को चुदवा दिया - Bhai se nanad ko chudwaya , बहन की ननद की चुदाई , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी.
मेरी शादी के कुछ ही दिन हुए थे। मैं अपनी ससुराल में थी । एक दिन मेरा भाई जान आ गया। मैंने उसे अपनी सास और नन्द से मिलवाया। वह भी बहुत खुश हुआ। मैंने उसी दिन सोंच लिया की मैं आज रात को मैं अपने भाई जान का लण्ड अपनी नन्द की बुर में पेल दूँगी। मैं यह सोंच कर आयी थी की जल्दी से जल्दी मैं पहले अपनी नन्द की बुर चोदूँगी और फिर सास का भोसड़ा ? उसके बाद तो मेरा रास्ता अपने आप खुल जायेगा।
मेरा नाम है हुमा खान मैं २४ साल की हूँ और अभी दो महीने पहले मेरी शादी नावेद नाम के आदमी से हुई हैं। मेरी नन्द का नाम अदा खान है उसकी भी शादी हो चुकी है। उसके शौहर का नाम है मासूक अली। मेरा भाई जान है बसीर। मुझसे दो साल बड़ा है। उसकी शादी रेशमा नाम की लड़की से हुई है। मेरी सास हैं रखसाना बेगम और ससुर है हज़रत मंसूर अली। अब मैं आपको पहले यह बताऊँगी की मैं कब से और कैसे अपने भाभी जान का लौड़ा पकड़ने लगी और उससे चुदवाने लगी ? एक बात तो सबको मालूम है की हमारे समाज में कौन सा भाई जान कब किस बहन का शौहर बन जाए ? देवर बन जाए या फिर जेठ बन जाए कुछ कहा नहीं जा सकता ? ऐसे में किसी भी भाई जान का लौड़ा पकड़ने में कोई हर्ज़ नहीं है। ऐसा मेरी अम्मी भी कहतीं हैं। भाईयों का लौड़ा पकड़ना उनसे चुदवाना हमारे मुसलमानों में बड़ी आम बात है। इसमें किसी को कोई हैरानीं नही होनी चाहिए। यही बात मुझे अंदर ही अंदर उत्तेजित करती रही की मैं अपने भाई जान का लण्ड जल्दी से जल्दी पकड़ लूं और उससे चुदवा लूं।
एक दिन की बात है। गर्मी के दिन थे। मैं दोपहर को घर ज़रा जल्दी आ गयी। मैनें अपने कपडे बदले और फ़ौरन A /C रूम में जाने लगी। तभी मुझे अंदर से कुछ आवाज़ आयी तो मैं रुक गई और झाँक कर देखने लगी। मैंने देखा की मेरे भाई जान का लण्ड मेरी ही सहेली पी रही है। लण्ड आधे स अधिक उसक मुंह में घुसा था। मैं लण्ड पूरा का पूरा देखना चाहती थी इसलिए थोड़ी देर तक खड़ी रही। जब लण्ड उसके मुंह निकला तो मेरी लार टपकने लगी, मैं ललचा गयी मेरी चूत बहन चोद गीली हो गयी। मेरी झांटें भी सुलगने लगीं। मैंने सोंचा की ये लण्ड मेरे घर का है और मौज़ ले रही है मेरी बहन चोद सहेली आलिया। इसकी माँ की चूत ? मैं इसे अभी सबक सिखाती हूँ।
ऐसा मन में ठान कर मैं बेधड़क अंदर घुस गई और बोली आलिया तुझे मेरे ही भाई जान का लण्ड मिला था पेलने को ? अपने बाप का लण्ड पेल लिया होता अपनी चूत में ? तेरी माँ का भोसड़ा ? ला इधर मुझे दे मेरे भाई जान का लण्ड ? मैंने उससे लण्ड छीन लिया और उसका सुपाड़ा चाटने लगी। मेरा भाई जान भी कुछ बोल न सका। मैंने आलिया को आँख मारी तो वह मेरा मतलब समझ गयी। फिर हम दोनों उसका लौड़ा चाटती चूसती रही। मैंने ही बाद में लण्ड उसकी चूत में पेल दिया और चुदवाने लगी उसकी बुर। थोड़ी देर बाद उसने लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया तो मैं भी बिना हिचक के चुदवाने लगी। मेरी चूत में आग लगी थी। ऐसे में सब कुछ और कुछ भी हो सकता है। उसके बाद तो रास्ता खुल गया। उस दिन से मैं उसके लण्ड का पूरा मज़ा लेने लगी।
उसी दिन शाम को मेरी भाभी जान रेशमा भी आ गयी। मैंने उस देख कर बहुत खुश हुई , मेरा नंदोई मासूक अली भी घर पर मौजूद था। मेरा शौहर नावेद तो था ही । इत्तिफाक से मेरा ससुर नहीं था और मेरी सास भी नहीं थीं। दोनों कहीं बाहर गए हुए थे। शाम होते ही मेरी चूत कुलबुलाने लगी। यही हाल मेरी नन्द की चूत का भी था। वह भी बड़े मूड में दिख रही थी। वह भी बुर चोदी लण्ड की बड़ी शौक़ीन है। रात को एक बड़े कमरे में बिस्तर ज़मीन पर ही लगा दिया गया। इसी बिस्तर पर मैं और मेरा मियां, मेरी नन्द और नदोई, मेरा भाई जान और भाभी सबको लेटना था। यानी तीन कपल को एक बिस्तर पर रात गुज़ारनी थी। तीनो कपल जब जवान हों, लगभग एक ही उम्र के हों और बिस्तर एक हो तो फिर क्या हो सकता है यह आप भली भाँती जानतें हैं मेरे प्यारे दोस्तों ? गर्मी के दिन थे इसलिए कपडे सबने बहुत कम ही पहने थे। मरद तो सारे एक एक पजामा पहन कर नंगे बदन ही लेट गए। हम सबने एक एक सलवार पहन ली और ऊपर एक छोटी सी ब्रा। ब्रा तो केवल सिर्फ नाम मात्र की थी। उसमे सिर्फ निपल्स ही छुप रहे थे बाकी कुछ भी नहीं।
मैंने मजाक करते हुए कहा - तू बुर चोदी बिना ब्रा के ज्यादा खूब सूरत लगती है नन्द रानी। उतार दे न इसे ? नंगी होने में तेरी गांड फटती है क्या ? तेरी माँ का भोसड़ा, नन्द रानी ?
वह बोली - हाय दईया भाभी जान तू भोसड़ी की अपनी चूत क्यों सलवार में छुपा के बैठी है ? उतार दे न उसे और दिखा दे सबको अपनी मस्तानी बुर ? तेरी बहन की बुर भाभी जान ?
बस माहौल में गर्मी छा गयी। मर्दों के लण्ड पाजामे में ही उछलने लगे।
मैंने कहा - देखो नन्द रानी मैंने अपने शौहर नावेद का लण्ड पकड़ कर देखा है। अपने भाई जान बसीर का लण्ड पकड़ कर देखा है। पर मैंने तेरे शौहर मासूक अली का लण्ड अभी तक नहीं देखा। आज सबके सामने देखूँगी तेरे मियां का लण्ड।
ऐसा कह कर मैंने अपने नंदोई का लण्ड पजामा के ऊपर से ही दबा दिया।
इतने में नन्द बोली - अरे भाभी जान, मैंने भी अपने शौहर मासूक अली का लण्ड पकड़ के देखा है। अपने भाई जान यानि तेरे मियां नावेद का लण्ड पकड़ कर देखा है। लेकिन मैंने तेरे भाई जान बसीर का लौड़ा अभी तक नहीं देखा ? आज मैं भी सबके आगे उसका लौड़ा पकड़ कर देखूंगी।
ऐसा कह कर उसने मेरे भाई जान बसीर का लण्ड पजामा के ऊपर से ही पकड़ कर हिला दिया।
तब तक मेरी भाभी जान रेशमा बोली - मैंने तो सिर्फ अपने मियां का ही लण्ड देखा है। न मैंने अपनी नन्द के शौहर का लण्ड देखा और न अपनी नन्द की नन्द के शौहर का लण्ड देखा ? मैं तो बहन चोद दोनों के लण्ड पकड़ कर देखूँगी।
मैंने नन्द की ब्रा खींच ली तो वह बोली हाय भाभी जान नोचना हो तो मेरी चूँचियाँ नोचो मेरी ब्रा क्यों नोच रही हो ? उसे इतने में जोश आ गया। वह अपनी ब्रा खोलते हुए बोली लो ठीक तरह से देख लो मेरी चूँचियाँ ? फिर उसने सलवार भी उतार दी और कहा लो मेरी चूत भी देख लो बहन चोद ? मैं कुछ छिपाती नहीं हूँ। देखने की चीज है तो देखो न जी भर के ? मैं भी देखूँगी तेरे बहन चोद भाभी जान का लण्ड ? ऐसा बोल कर उसने मेरे भाई जान का पजामा खोल डाला और अंदर हाथ डाल कर लौड़ा बाहर निकाल लिया। लौड़ा तो पहले से ही खड़ा था अब और तन कर खड़ा हो गया। नन्द उसे हिला हिला के चुम्मी लेने लगी और सुपाड़ा चाटने लगी। इतने में मैंने भी उसके मियां का पजामा खोला और लौड़ा बाहर निकाल कर सबको दिखाने लगी। मैंने लण्ड का सुपाड़ा अपनी नंगी चूँचियों पर फिराया और उसके पेल्हड़ चूमते हुए लण्ड का सुपाड़ा चाटने लगी।
तब तक रेशमा भाभी भी नंगी हो चुकी थी। उसने मेरे मियां का लण्ड पकड़ा और उसकी कई चुम्मियाँ लीं। उसके पेल्हड़ चूमे और फिर लौड़ा अपने पूरे नंगे बदन पर घुमाने लगीं। अब तक सबके बदन से कपड़े उतर चुके थे. किसी को कोई शर्म नहीं थी। बीवियां सब दूसरे मर्दों के लण्ड देखने लगीं और मरद भोसड़ी के दूसरे की बीवी की चूँचियाँ और चूत देखने लगे। मज़ा मस्ती सबको आने लगी। मैं नंदोई का लौड़ा पकड़ कर मज़ा करने लगी। लण्ड अपनी चूँचियाँ पर चढाने लगी। अपने निपल्स से उसका सुपाड़ा लड़ाने लगी। मेरी नन्द मेरे भाई जान का लण्ड मुंह में भर कर चूसने लगी। और पेल्हड़ सहलाने लगी। मेरी भाभी जान रेशमा मेरे मियां का लौड़ा सीधे अपनी चूँचियों के बीच घुसेड़ लिया। उसे अपनी बड़ी बड़ी चूँचियाँ चुदवाने का बड़ा शौक है।
हम तीनो के हाथ में पराये मरद के लण्ड बड़ी मस्ती से उछल रहे थे। शायद इसी लिए लोग परायी बीवियां चोदते हैं। इन बुर चोदी बीवियों की चूँचियाँ भी पराये मर्दों के हाथ में जाकर ज्यादा सख्त हो जातीं हैं और निपल्स भी तन जातें हैं। उनकी चूत की गर्मी बहन चोद दूनी हो जाती है। इसीलिए बीवियों को पराये मर्दों से चुदवाने में ज्यादा मज़ा आता है। इन बीवियों की माँ का भोसड़ा और इन मर्दों की बहन की बुर ? हमको एक दूसरे के मियां का लण्ड चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था। मैं तो मन ही मन खुदा के कह रही थी की हमारा हर दिन इसी तरह का हो और हर रात भी इसी तरह की हो ? खुदा करे की हमें हर रात को एक नया लण्ड मिलता रहे।
इतने में मेरे मियां ने लण्ड रेशमा भाभी की बुर में घुसेड़ दिया। वह मजे से चोदने लगा। इधर नंदोई ने अपना लण्ड मेरी चूत में पेल दिया वह भोसड़ी का मेरी बुर चोदने लगा। मेरा भाई जान उठा और मेरी नन्द की बुर में लौड़ा सटाक से पेल दिया। अदा की बुर में जब पूरा लण्ड घुसा तो वह चिल्ला पड़ी उई भाभी जान तेरे भाई जान ने फाड़ डाला मेरी बुर। बड़ा मोटा लण्ड है इसका ? पूरा लौड़ा एक ही बार में पेल दिया। ये भी मेरी चूत है भाभी तेरे भाई जान की जागीर नहीं है। इससे कहो ज़रा धीरे धीरे चोदे। मैं बिना चुदे यहाँ से जाऊंगी नहीं। थोड़ी देर में वह खुद ही अपनी गांड उठा उठा के भकाभक चुदवाने लगी। हम तीनो की बुर जिस तरह से चुद रही थी वह वाकई देखने वाला सीन था।
मैंने पूंछा - नन्द रानी, मज़ा आया मेरे भाई जान से चुदवाने में। उसके लण्ड का मज़ा मिला न तुझे ?
वह बोली - हां भाभी जान बड़ा अच्छा लग रहा है। बड़ा मोटा लण्ड है तेरे भाई जान का ? मेरी चूत का हलवा बना रहा है तेरे भाई जान का लण्ड ?
तब तक रेशमा भाभी बोली - हाय मेरी हुमा नन्द रानी, तेरे मियां का लण्ड मेरी चूत के चीथड़े उड़ा रहा है। एक बात है बड़ा मस्त चोदने वाला लण्ड है तेरे मियां का ? मन होता है की मैं इसे अपने साथ अपने घर ले जाऊं।
मैंने कहा - हां लेती जाओ भाभी जान, बड़ा काम आएगा मेरे शौहर का लण्ड ?
इतने में कोई आगे से चोदने लगा कोई पीछे से। कोई लण्ड पे बैठा के चोदने लगा कोई चूँची चोदने लगा। किसी ने गांड में घुसेड़ दिया लण्ड। कोई सड़का मरवाने लगा तो कोई चूत चाट चाट कर मज़ा लेने लगा। थोड़ी देर में लण्ड एक एक करके झड़ने लगे और तब सबने झड़ते हुए लण्ड बड़े प्यार से चाटे।
दूसरे दिन कुछ लोग चले गए और कुछ लोग नए आ गए। मेरी नन्द का ससुर आ गया। मेरी सास आ गयी और ससुर भी। सास का बहनोई भी आ गया।
मौक़ा पाकर मेरी नन्द मेरे पास आयी और बातें करने लगी।
मेरी शादी के कुछ ही दिन हुए थे। मैं अपनी ससुराल में थी । एक दिन मेरा भाई जान आ गया। मैंने उसे अपनी सास और नन्द से मिलवाया। वह भी बहुत खुश हुआ। मैंने उसी दिन सोंच लिया की मैं आज रात को मैं अपने भाई जान का लण्ड अपनी नन्द की बुर में पेल दूँगी। मैं यह सोंच कर आयी थी की जल्दी से जल्दी मैं पहले अपनी नन्द की बुर चोदूँगी और फिर सास का भोसड़ा ? उसके बाद तो मेरा रास्ता अपने आप खुल जायेगा।
मेरा नाम है हुमा खान मैं २४ साल की हूँ और अभी दो महीने पहले मेरी शादी नावेद नाम के आदमी से हुई हैं। मेरी नन्द का नाम अदा खान है उसकी भी शादी हो चुकी है। उसके शौहर का नाम है मासूक अली। मेरा भाई जान है बसीर। मुझसे दो साल बड़ा है। उसकी शादी रेशमा नाम की लड़की से हुई है। मेरी सास हैं रखसाना बेगम और ससुर है हज़रत मंसूर अली। अब मैं आपको पहले यह बताऊँगी की मैं कब से और कैसे अपने भाभी जान का लौड़ा पकड़ने लगी और उससे चुदवाने लगी ? एक बात तो सबको मालूम है की हमारे समाज में कौन सा भाई जान कब किस बहन का शौहर बन जाए ? देवर बन जाए या फिर जेठ बन जाए कुछ कहा नहीं जा सकता ? ऐसे में किसी भी भाई जान का लौड़ा पकड़ने में कोई हर्ज़ नहीं है। ऐसा मेरी अम्मी भी कहतीं हैं। भाईयों का लौड़ा पकड़ना उनसे चुदवाना हमारे मुसलमानों में बड़ी आम बात है। इसमें किसी को कोई हैरानीं नही होनी चाहिए। यही बात मुझे अंदर ही अंदर उत्तेजित करती रही की मैं अपने भाई जान का लण्ड जल्दी से जल्दी पकड़ लूं और उससे चुदवा लूं।
एक दिन की बात है। गर्मी के दिन थे। मैं दोपहर को घर ज़रा जल्दी आ गयी। मैनें अपने कपडे बदले और फ़ौरन A /C रूम में जाने लगी। तभी मुझे अंदर से कुछ आवाज़ आयी तो मैं रुक गई और झाँक कर देखने लगी। मैंने देखा की मेरे भाई जान का लण्ड मेरी ही सहेली पी रही है। लण्ड आधे स अधिक उसक मुंह में घुसा था। मैं लण्ड पूरा का पूरा देखना चाहती थी इसलिए थोड़ी देर तक खड़ी रही। जब लण्ड उसके मुंह निकला तो मेरी लार टपकने लगी, मैं ललचा गयी मेरी चूत बहन चोद गीली हो गयी। मेरी झांटें भी सुलगने लगीं। मैंने सोंचा की ये लण्ड मेरे घर का है और मौज़ ले रही है मेरी बहन चोद सहेली आलिया। इसकी माँ की चूत ? मैं इसे अभी सबक सिखाती हूँ।
ऐसा मन में ठान कर मैं बेधड़क अंदर घुस गई और बोली आलिया तुझे मेरे ही भाई जान का लण्ड मिला था पेलने को ? अपने बाप का लण्ड पेल लिया होता अपनी चूत में ? तेरी माँ का भोसड़ा ? ला इधर मुझे दे मेरे भाई जान का लण्ड ? मैंने उससे लण्ड छीन लिया और उसका सुपाड़ा चाटने लगी। मेरा भाई जान भी कुछ बोल न सका। मैंने आलिया को आँख मारी तो वह मेरा मतलब समझ गयी। फिर हम दोनों उसका लौड़ा चाटती चूसती रही। मैंने ही बाद में लण्ड उसकी चूत में पेल दिया और चुदवाने लगी उसकी बुर। थोड़ी देर बाद उसने लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया तो मैं भी बिना हिचक के चुदवाने लगी। मेरी चूत में आग लगी थी। ऐसे में सब कुछ और कुछ भी हो सकता है। उसके बाद तो रास्ता खुल गया। उस दिन से मैं उसके लण्ड का पूरा मज़ा लेने लगी।
उसी दिन शाम को मेरी भाभी जान रेशमा भी आ गयी। मैंने उस देख कर बहुत खुश हुई , मेरा नंदोई मासूक अली भी घर पर मौजूद था। मेरा शौहर नावेद तो था ही । इत्तिफाक से मेरा ससुर नहीं था और मेरी सास भी नहीं थीं। दोनों कहीं बाहर गए हुए थे। शाम होते ही मेरी चूत कुलबुलाने लगी। यही हाल मेरी नन्द की चूत का भी था। वह भी बड़े मूड में दिख रही थी। वह भी बुर चोदी लण्ड की बड़ी शौक़ीन है। रात को एक बड़े कमरे में बिस्तर ज़मीन पर ही लगा दिया गया। इसी बिस्तर पर मैं और मेरा मियां, मेरी नन्द और नदोई, मेरा भाई जान और भाभी सबको लेटना था। यानी तीन कपल को एक बिस्तर पर रात गुज़ारनी थी। तीनो कपल जब जवान हों, लगभग एक ही उम्र के हों और बिस्तर एक हो तो फिर क्या हो सकता है यह आप भली भाँती जानतें हैं मेरे प्यारे दोस्तों ? गर्मी के दिन थे इसलिए कपडे सबने बहुत कम ही पहने थे। मरद तो सारे एक एक पजामा पहन कर नंगे बदन ही लेट गए। हम सबने एक एक सलवार पहन ली और ऊपर एक छोटी सी ब्रा। ब्रा तो केवल सिर्फ नाम मात्र की थी। उसमे सिर्फ निपल्स ही छुप रहे थे बाकी कुछ भी नहीं।
मैंने मजाक करते हुए कहा - तू बुर चोदी बिना ब्रा के ज्यादा खूब सूरत लगती है नन्द रानी। उतार दे न इसे ? नंगी होने में तेरी गांड फटती है क्या ? तेरी माँ का भोसड़ा, नन्द रानी ?
वह बोली - हाय दईया भाभी जान तू भोसड़ी की अपनी चूत क्यों सलवार में छुपा के बैठी है ? उतार दे न उसे और दिखा दे सबको अपनी मस्तानी बुर ? तेरी बहन की बुर भाभी जान ?
बस माहौल में गर्मी छा गयी। मर्दों के लण्ड पाजामे में ही उछलने लगे।
मैंने कहा - देखो नन्द रानी मैंने अपने शौहर नावेद का लण्ड पकड़ कर देखा है। अपने भाई जान बसीर का लण्ड पकड़ कर देखा है। पर मैंने तेरे शौहर मासूक अली का लण्ड अभी तक नहीं देखा। आज सबके सामने देखूँगी तेरे मियां का लण्ड।
ऐसा कह कर मैंने अपने नंदोई का लण्ड पजामा के ऊपर से ही दबा दिया।
इतने में नन्द बोली - अरे भाभी जान, मैंने भी अपने शौहर मासूक अली का लण्ड पकड़ के देखा है। अपने भाई जान यानि तेरे मियां नावेद का लण्ड पकड़ कर देखा है। लेकिन मैंने तेरे भाई जान बसीर का लौड़ा अभी तक नहीं देखा ? आज मैं भी सबके आगे उसका लौड़ा पकड़ कर देखूंगी।
ऐसा कह कर उसने मेरे भाई जान बसीर का लण्ड पजामा के ऊपर से ही पकड़ कर हिला दिया।
तब तक मेरी भाभी जान रेशमा बोली - मैंने तो सिर्फ अपने मियां का ही लण्ड देखा है। न मैंने अपनी नन्द के शौहर का लण्ड देखा और न अपनी नन्द की नन्द के शौहर का लण्ड देखा ? मैं तो बहन चोद दोनों के लण्ड पकड़ कर देखूँगी।
मैंने नन्द की ब्रा खींच ली तो वह बोली हाय भाभी जान नोचना हो तो मेरी चूँचियाँ नोचो मेरी ब्रा क्यों नोच रही हो ? उसे इतने में जोश आ गया। वह अपनी ब्रा खोलते हुए बोली लो ठीक तरह से देख लो मेरी चूँचियाँ ? फिर उसने सलवार भी उतार दी और कहा लो मेरी चूत भी देख लो बहन चोद ? मैं कुछ छिपाती नहीं हूँ। देखने की चीज है तो देखो न जी भर के ? मैं भी देखूँगी तेरे बहन चोद भाभी जान का लण्ड ? ऐसा बोल कर उसने मेरे भाई जान का पजामा खोल डाला और अंदर हाथ डाल कर लौड़ा बाहर निकाल लिया। लौड़ा तो पहले से ही खड़ा था अब और तन कर खड़ा हो गया। नन्द उसे हिला हिला के चुम्मी लेने लगी और सुपाड़ा चाटने लगी। इतने में मैंने भी उसके मियां का पजामा खोला और लौड़ा बाहर निकाल कर सबको दिखाने लगी। मैंने लण्ड का सुपाड़ा अपनी नंगी चूँचियों पर फिराया और उसके पेल्हड़ चूमते हुए लण्ड का सुपाड़ा चाटने लगी।
तब तक रेशमा भाभी भी नंगी हो चुकी थी। उसने मेरे मियां का लण्ड पकड़ा और उसकी कई चुम्मियाँ लीं। उसके पेल्हड़ चूमे और फिर लौड़ा अपने पूरे नंगे बदन पर घुमाने लगीं। अब तक सबके बदन से कपड़े उतर चुके थे. किसी को कोई शर्म नहीं थी। बीवियां सब दूसरे मर्दों के लण्ड देखने लगीं और मरद भोसड़ी के दूसरे की बीवी की चूँचियाँ और चूत देखने लगे। मज़ा मस्ती सबको आने लगी। मैं नंदोई का लौड़ा पकड़ कर मज़ा करने लगी। लण्ड अपनी चूँचियाँ पर चढाने लगी। अपने निपल्स से उसका सुपाड़ा लड़ाने लगी। मेरी नन्द मेरे भाई जान का लण्ड मुंह में भर कर चूसने लगी। और पेल्हड़ सहलाने लगी। मेरी भाभी जान रेशमा मेरे मियां का लौड़ा सीधे अपनी चूँचियों के बीच घुसेड़ लिया। उसे अपनी बड़ी बड़ी चूँचियाँ चुदवाने का बड़ा शौक है।
हम तीनो के हाथ में पराये मरद के लण्ड बड़ी मस्ती से उछल रहे थे। शायद इसी लिए लोग परायी बीवियां चोदते हैं। इन बुर चोदी बीवियों की चूँचियाँ भी पराये मर्दों के हाथ में जाकर ज्यादा सख्त हो जातीं हैं और निपल्स भी तन जातें हैं। उनकी चूत की गर्मी बहन चोद दूनी हो जाती है। इसीलिए बीवियों को पराये मर्दों से चुदवाने में ज्यादा मज़ा आता है। इन बीवियों की माँ का भोसड़ा और इन मर्दों की बहन की बुर ? हमको एक दूसरे के मियां का लण्ड चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था। मैं तो मन ही मन खुदा के कह रही थी की हमारा हर दिन इसी तरह का हो और हर रात भी इसी तरह की हो ? खुदा करे की हमें हर रात को एक नया लण्ड मिलता रहे।
इतने में मेरे मियां ने लण्ड रेशमा भाभी की बुर में घुसेड़ दिया। वह मजे से चोदने लगा। इधर नंदोई ने अपना लण्ड मेरी चूत में पेल दिया वह भोसड़ी का मेरी बुर चोदने लगा। मेरा भाई जान उठा और मेरी नन्द की बुर में लौड़ा सटाक से पेल दिया। अदा की बुर में जब पूरा लण्ड घुसा तो वह चिल्ला पड़ी उई भाभी जान तेरे भाई जान ने फाड़ डाला मेरी बुर। बड़ा मोटा लण्ड है इसका ? पूरा लौड़ा एक ही बार में पेल दिया। ये भी मेरी चूत है भाभी तेरे भाई जान की जागीर नहीं है। इससे कहो ज़रा धीरे धीरे चोदे। मैं बिना चुदे यहाँ से जाऊंगी नहीं। थोड़ी देर में वह खुद ही अपनी गांड उठा उठा के भकाभक चुदवाने लगी। हम तीनो की बुर जिस तरह से चुद रही थी वह वाकई देखने वाला सीन था।
मैंने पूंछा - नन्द रानी, मज़ा आया मेरे भाई जान से चुदवाने में। उसके लण्ड का मज़ा मिला न तुझे ?
वह बोली - हां भाभी जान बड़ा अच्छा लग रहा है। बड़ा मोटा लण्ड है तेरे भाई जान का ? मेरी चूत का हलवा बना रहा है तेरे भाई जान का लण्ड ?
तब तक रेशमा भाभी बोली - हाय मेरी हुमा नन्द रानी, तेरे मियां का लण्ड मेरी चूत के चीथड़े उड़ा रहा है। एक बात है बड़ा मस्त चोदने वाला लण्ड है तेरे मियां का ? मन होता है की मैं इसे अपने साथ अपने घर ले जाऊं।
मैंने कहा - हां लेती जाओ भाभी जान, बड़ा काम आएगा मेरे शौहर का लण्ड ?
इतने में कोई आगे से चोदने लगा कोई पीछे से। कोई लण्ड पे बैठा के चोदने लगा कोई चूँची चोदने लगा। किसी ने गांड में घुसेड़ दिया लण्ड। कोई सड़का मरवाने लगा तो कोई चूत चाट चाट कर मज़ा लेने लगा। थोड़ी देर में लण्ड एक एक करके झड़ने लगे और तब सबने झड़ते हुए लण्ड बड़े प्यार से चाटे।
दूसरे दिन कुछ लोग चले गए और कुछ लोग नए आ गए। मेरी नन्द का ससुर आ गया। मेरी सास आ गयी और ससुर भी। सास का बहनोई भी आ गया।
मौक़ा पाकर मेरी नन्द मेरे पास आयी और बातें करने लगी।
- वह बोली - भाभी जान मैंने सुना है की मेरे ससुर का लौड़ा बड़ा जबरदस्त है। मैं उसका लौड़ा पकड़ कर देखना चाहती हूँ।
- मैंने कहा - तो पकड़ कर देख ले न ? तुझे रोका किसने है ?
- मुझे थोड़ा डर लग रहा है कहीं वह नाराज़ न हो जाए ? लौड़ा न दिखाए अपना तो मैं हतास हो जाऊंगी और मेरा मूड भी ख़राब हो जायेगा ?
- ऐसा हो नहीं सकता। ये भोसड़ी वाले मरद बड़े हरामी होतें हैं। नयी बहू को देख कर इनकी लार टपकने
- अरे भाभी बड़ा गज़ब का लौड़ा है मेरे अब्बू का ? अब अगर ज्यादा बताऊंगी तो तेरा मज़ा किरकिरा हो जायेगा। बस इतना समझ लो की वह तुझे दौड़ कर चोदेगा और खूब अच्छी तरह चोदेगा। यहाँ पास पड़ोस लड़कियां उससे चुदवाने आतीं हैं।
मेरी सास बोली - बेटी अदा, तूने अपनी भाभी जान से दोस्ती बढ़ाई की नहीं ? कोई लौड़ा पेला तूने अपनी भाभी की बुर में ?
वह बोली - अभी तो नहीं पेला अम्मी जान ?
सास बोली - तो फिर इतने दिनों से अपनी माँ चुदा रही थी तू ? मैं तेरी जगह पे होती तो अब तक ३/४ लण्ड पेल देती अपनी भाभी की बुर में ?
वह बोली - अभी तो नहीं पेला अम्मी जान ?
सास बोली - तो फिर इतने दिनों से अपनी माँ चुदा रही थी तू ? मैं तेरी जगह पे होती तो अब तक ३/४ लण्ड पेल देती अपनी भाभी की बुर में ?
वह बोली - इतने लण्ड कहाँ से लाती पेलने के लिए , अम्मी जान ?
सास बोली - तो फिर आज पेल दे न। मेरे बहनोई का लण्ड ही घुसा दे तू अपनी भाभी की बुर में ? अपने ससुर का लौड़ा पेल दे उसकी चूत में। हमारे समाज में तो चुदाई की पूरी आज़ादी होती है, बेटी । कोई भी किसी की बुर ले सकता है और कोई भी किसी का लौड़ा पेल सकती है अपनी चूत में ? ये सब मैं सबके सामने कह रही हूँ क्योंकि यहाँ किसी को कोई शर्म नहीं है बेटी।
वह बोली - तो फिर मैं अपने ससुर लण्ड पकड़ लूं, अम्मी जान।
सास बोली - हां हां पकड़ लो न बहन चोद. इसमें पूंछने की कोई जरुरत ही नहीं है। तेरी शादी हो गयी है और तू अभी भी शर्मा रही है। तेरी माँ का भोसड़ा। तेरी भाभी की सास की बुर ? हुमा बहू सुन रही हो न तुम ? तुम्हे भी लौड़ा पकड़ने की पूरी आज़ादी है। तेरी बुर चोदी नन्द की चूत ? नन्द की माँ का भोसड़ा ?
इतने में नन्द बोली - हाय अम्मी जान, तेरी बुर चोदी बिटिया की बुर ? तेरी बहू की नन्द की चूत ?
मजे की बात यह थी की ये सब बातें और गालियां तीनो मरद बड़े मन से सुन रहे थे और मज़ा ले ले कर हंस रहे थे।
नन्द ने कहा - अब तो मैं अपने ससुर का लण्ड पकड़ूँगी।
मैंने कहा - मैं भी अपने ससुर का लण्ड पकड़ूँगी।
मैंने उसका पजामा खोल कर लण्ड पकड़ भी लिया। अदा ने भी अपने ससुर का लौड़ा खोल कर हिलाने लगी और तब सास ने अपने बहनोई का लौड़ा खोल कर सबको दिखा दिया और बोली मैं यही लौड़ा तुम दोनों की चूत में पेलूँगी।
नन्द ने कहा - मैं भी अपने ससुर का लण्ड तेरे भोसड़ा में पेलूँगी, अम्मी जान।
उसके बाद तो रात भर हुई घमाशान चुदाई चुदाई और चुदाई।
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