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हस्तमैथुन के प्रति गलत भ्रांतियाँ - ye galat fahamiyan hoti hai
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हालांकि हस्तमैथुन के प्रति कई भ्रांतियाँ हैं पर लगभग सभी भ्रांतियाँ पुरुषों पर लागू होती हैं। क्योंकि ये भ्रांतियाँ अनपढ़ और स्वार्थ-निहित लोग फैलाते हैं उन्हें शायद यह नहीं पता कि हस्त-मैथुन स्त्रियों में भी उतना ही प्रचलित है जितना मर्दों में; बल्कि स्त्रियाँ पुरुषों के मुक़ाबले ज्यादा हस्त-मैथुन का सहारा लेती हैं क्योंकि एक तो पुरुषों के बनिस्पत उन्हें सम्भोग की तत्परता दर्शाने की समाज इजाज़त नहीं देता और दूसरे सम्भोग के बाद भी जहाँ लगभग सभी पुरुष अपनी यौन पिपासा शांत कर लेते हैं वहीं लगभग 80% स्त्रियाँ पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो पातीं और ना ही अपनी असंतुष्टि ज़ाहिर कर पाती हैं। ऐसी हालत में वे हस्त-मैथुन के द्वारा ही चरमोत्कर्ष प्राप्त करती हैं।
हालांकि हस्तमैथुन के प्रति कई भ्रांतियाँ हैं पर लगभग सभी भ्रांतियाँ पुरुषों पर लागू होती हैं। क्योंकि ये भ्रांतियाँ अनपढ़ और स्वार्थ-निहित लोग फैलाते हैं उन्हें शायद यह नहीं पता कि हस्त-मैथुन स्त्रियों में भी उतना ही प्रचलित है जितना मर्दों में; बल्कि स्त्रियाँ पुरुषों के मुक़ाबले ज्यादा हस्त-मैथुन का सहारा लेती हैं क्योंकि एक तो पुरुषों के बनिस्पत उन्हें सम्भोग की तत्परता दर्शाने की समाज इजाज़त नहीं देता और दूसरे सम्भोग के बाद भी जहाँ लगभग सभी पुरुष अपनी यौन पिपासा शांत कर लेते हैं वहीं लगभग 80% स्त्रियाँ पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो पातीं और ना ही अपनी असंतुष्टि ज़ाहिर कर पाती हैं। ऐसी हालत में वे हस्त-मैथुन के द्वारा ही चरमोत्कर्ष प्राप्त करती हैं।
इस पृष्ठभूमि के चलते हस्त-मैथुन के बुरे परिणामों का असर केवल पुरुषों पर होना अपने आप में एक भ्रान्ति है। अगर हस्त-मैथुन से शरीर पर बुरा असर पड़ता है तो स्त्रियों के शरीर पर क्यों नहीं ? असल में ये भ्रांतियाँ पुरुषों के लिए इसलिए पनपी हैं क्योंकि पुरुष, स्त्रियों के मुकाबले, यौन सम्बन्धी विषयों पर बातचीत करने के लिए ज्यादा मुखातिब होते हैं। सामाजिक बंधनों के चलते लड़कियाँ व औरतों अपनी यौन-सम्बंधित समस्याओं और प्रश्नों का ना तो खुल कर समाधान ढूंढ सकती हैं और ना ही किसी से विचार-विमर्श कर सकती हैं। यह छूट केवल लड़कों और पुरुषों को है। अतः यौन सम्बन्धी भ्रांतियाँ एवं दुर्प्रचार आदमियों (खास तौर से लड़कों) के लिए ही संभव थे।
आइये, कुछ भ्रांतियों पर एक नज़र डालें :
1. हस्तमैथुन केवल युवा मर्द करते हैं- यह सच नहीं है। हस्तमैथुन पर अनुसंधान व शोध से अब यह प्रमाणित हो गया है कि हस्तमैथुन हर वर्ग और उम्र के स्त्री-पुरुष करते हैं। अमुमन यह क्रिया काफी छोटी उम्र में शुरू हो जाती है जब कि बच्चों को यौन-ज्ञान भी नहीं होता है पर अपने लिंग से खिलवाड़ करना उन्हें मज़े देता है। देखा गया है कि हस्त-मैथुन कच्ची उम्र से शुरू होकर वृद्धावस्था तक चलता है और इसे हर तबके के लोग – अमीर-गरीब, पढ़े-लिखे या अनपढ़, स्त्री एवं पुरुष, बूढ़े और जवान- सभी करते हैं।
2. हस्तमैथुन विवाहित लोगों की तुलना में अविवाहित लोगों में ज्यादा होता है – यह भी सच नहीं है। विवाहित स्त्री-पुरुष सम्भोग से परिचित और उसके आदि हो गए होते हैं…. अतः सम्भोग के अभाव में उन्हें यौन क्रिया की कमी अविवाहित लोगों के मुकाबले ज्यादा खलती है और वे हस्तमैथुन का सहारा ज्यादा लेते हैं। विवाहित होने का अर्थ यह भी नहीं कि स्त्री-पुरुष को सम्भोग सुविधा और अवसर सदैव मिलते रहे। कई कारणों से वे सम्भोग से वंचित रह सकते हैं और ऐसी हालत में उन्हें अविवाहित जोड़ों के मुकाबले ज्यादा तड़प होती है।
3. हस्तमैथुन करने से शरीर कमज़ोर हो जाता है और कई विकार पैदा हो जाते हैं- यह सरासर झूठ है। ढोंगी और पैसा-परस्त लोग मासूम लोगों के अज्ञान का फायदा उठाते हुए अफवाह फैलाते हैं कि स्वप्न-दोष, बाल झड़ना, चेहरे पर मुहांसे निकलना, याददाश्त कमज़ोर होना इत्यादि हस्त-मैथुन के कारण होती हैं। असल में ये एकदम सामान्य विकार हैं जो लगभग सभी लड़के-लड़कियों को किशोरावस्था में होते हैं …. यह वही उम्र होती है जब युवाओं को अपने यौनांगों के प्रति जागरूकता पनपती है और वे हस्त-मैथुन करना शुरू करते हैं। ऐसे में ढोंगी लोगों को मासूम युवाओं को यह समझाने में मुश्किल नहीं होती कि उनके विकार हस्त-मैथुन के कारण हो रहे हैं। उनके दिमाग में हस्त-मैथुन को एक गलत क्रिया और पाप की संज्ञा देकर उनको बहकाया जाता है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने इन भ्रमों को नष्ट कर दिया है। असल में जवानी में कदम रखते युवाओं में जो सामान्य शारीरिक बदलाव आते हैं या जो मानसिक रूप से उनके लिए चिंता का विषय होते हैं, ऐसी बातों का ही स्वार्थ-निहित लोग नाजायज़ फायदा उठाते हैं। अक्सर यौन सम्बन्धी समस्याएँ बच्चे, शर्म के कारण, अपने माँ-बाप से छुपाकर अपने दोस्तों या अनजान लोगों से पूछना बहतर समझते हैं …. इस विषय पर स्कूल या कॉलेज में भी कोई विधिवत चर्चा नहीं होती…. यही कारण है कि युवा लड़के-लड़कियों को सही ज्ञान नहीं मिला पाता। सच तो यह है कि हस्त-मैथुन एक सुरक्षित और सेहतमंद क्रिया है जिसे करना प्राकृतिक भी है और अनिवार्य भी। इसको करने से कोई दुष्परिणाम नहीं होते बल्कि इसके परहेज़ से कई शारीरिक व मानसिक दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
4. हस्त-मैथुन करने से पुरुष का लिंग कमज़ोर हो जाता है – यह बिलकुल गलत है। हस्त-मैथुन से आनंद और वीर्योत्पात के अलावा और कोई प्रभाव नहीं होता। वयस्क पुरुषों के लिए समय समय पर वीर्योत्पात उतना ही ज़रूरी है जितना मूत्र और मल त्यागना। हम वीर्य को शरीर में अनिश्चित काल के लिए नहीं संजो सकते… हमारे शरीर में विशेष ग्रंथियाँ हैं जिनका मूल काम वीर्य उत्पादन है… वयस्क मर्दों में ये ग्रंथियाँ वीर्य उत्पादन करके उसे एकत्रित करती रहती हैं। पर एक निश्चित मात्रा का वीर्य ही संजोया जा सकता है… अगर वीर्य का सामयिक स्खलन नहीं होगा तो वह स्वतः रात को स्वप्नदोष के रूप में निकल जायेगा। स्वप्नदोष जैसे अनियंत्रित स्खलन से तो हस्त-मैथुन द्वारा आनंद लेकर वीर्योत्पात करना समझदारी का काम है। इससे कोई कमजोरी नहीं आती और ना ही कोई विकार पैदा होते हैं।
5. हस्त-मैथुन से पुरुष गंजे और अंधे हो जाते हैं – यह भी पूरी तरह गलत धारणा है। हस्त-मैथुन और शरीर की किसी भी बीमारी का कोई वैज्ञानिक सम्बन्ध नहीं है। अगर यह सच होता तो दुनिया में सभी गंजे और अंधे होते !! हाँ, यह सच है कि हस्त-मैथुन के कुछ प्रभाव ज़रूर होते हैं, जैसे कि
1. यौन तड़प से मुक्ति
2. यौन-अपराधों में कमी
3. सम्भोग के अभाव में सम्भोग सा सुख
4. पर-पुरुष या पर-स्त्री के सम्मोहन से मुक्ति
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