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होली में हुई चुदाई की पिकनिक - Holi mein chudai ki picnic
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अरे भोसड़ी वालों और भोसड़ी वालियों ये रंग की नहीं चूत और लण्ड की होली है। आज हम सब चूत और लण्ड की होली मनायेंगी।
रोली ने कहा - क्यों न हम इस बार 2019 की होली एक नए तरीके से मनाएं ? कुछ नया किया जाये जिसे हम लोग हमेशा याद रखें और जिसे कभी भुलाये भी न भुलाया जाए ?
रोली ने कहा - क्यों न हम इस बार 2019 की होली एक नए तरीके से मनाएं ? कुछ नया किया जाये जिसे हम लोग हमेशा याद रखें और जिसे कभी भुलाये भी न भुलाया जाए ?
आरती ने कहा - हां यार तुम सच कह रही हो। मैं तो कहती हूँ की इस बार की होली का मौके पर हम लोग क्यों न चुदाई की पिकनिक कर लें देखो न होली पर काफी लड़के लड़कियां अपने अपने घर चली गयीं हैं लेकिन हम कुछ लड़के और लड़कियां यहाँ हॉस्टल में ही रह गयें हैं। इधर चार दिन की छुट्टी भी है। ऐसे हम लोग कहीं चल कर चुदाई का खेल खुल्लम खुल्ला खेल सकतीं हैं ? होली के मौके पर चुदाई से अच्छा खेल और कोई हो भी नहीं सकता।
रोली ने कहा - यार बात सही है। अब चलो सबको इकठ्ठा किया जाए। हम 4 लड़कियां और 5 लड़के अभी इस हॉस्टल में ही मौजूद हैं.
रोली ने कहा - यार बात सही है। अब चलो सबको इकठ्ठा किया जाए। हम 4 लड़कियां और 5 लड़के अभी इस हॉस्टल में ही मौजूद हैं.
आरती ने कहा - चलो फिर हम लोग सबको पिकनिक में ले चलते हैं। वहां हर एक लड़का हर एक लड़की की बुर चोदेगा। सब सबके सामने चुदवायेंगीं और सब सबके सामने चोदेगें। हां एक लड़की के पास दो लण्ड होंगें। वह एक लण्ड अपनी चूत में पलेगी और दूसरा लण्ड अपनी गांड में ? इस तरह बारी बारी से सब लड़कियां दो दो लण्ड का मज़ा लेगीं, इस तरह सबकी बुर भी चुदेगी और गांड भी। दो दिन तक यह चुदाई होगी और चुदाई के साथ साथ कुछ सेक्स के गेम्स भी होंगें। बड़ा मज़ा आएगा। सबसे रोली के अलावा रितिका और पद्मा को बुला लिया। उन्हें बारे में बताया तो वो दोनों उछल पड़ी। रितिका बोली यार आज ही चलो न। पद्मा बोली वॉव, अब मज़ा आएगा चुदाई करवाने में ? फिर मैंने उन पांचो लड़को को बुलाया। रोहित, चन्दन, मोहन, सूरज और गोपी। चारों को मैंने अपना प्लान बताया तो उनके लण्ड पैंट के अंदर ही कुलबुलाने लगे।
फिर क्या ? सबने मिलकर चुदाई का सारा इंतज़ाम कर लिया। अपना अपना सामान पैक किया। जगह का चुनाव हो गया। दो दिन के लिए एक गेस्ट हाउस मिल गया। हम सबने सामान बांधा और गेस्ट हाउस पहुँच गए। सबने सामान रखा। सब लोग गोल बनाकर बैठ गए। उधर नास्ते का आर्डर दे दिया गया और बातें होने लगीं। हंसी मजाक होने लगा, अश्लील बातें होने लगीं, गंदे गंदे नॉन वेज चुटकुले होने लगे और सबके मुंह से प्यार से गालियां भी दनादन निकलने लगीं।
रोली - आरती तू बुर चोदी अपनी झांटें वगैरह बना ले अभी। लड़के आजकल चिकनी चूत ही चाटते हैं।
आरती - अरे रोली, मेरी माँ की लौड़ी, तेरी गांड में क्यों दर्द हो रहा है। मेरी बुर कौन चाटेगा, कैसे चाटेगा, किस तरह की बुर चाटेगा, तुझे इसकी चिंता क्यों हो रही है। तू तो अपनी गांड संभाल कर रख।
रितिका - यार तुम लोग बुर चाटने में बहस कर रही हो ? अरे कोई तो लण्ड चाटने की बात करो। मैं तो लण्ड चाटती हूँ चाहे वह झांट वाला हो या बिना झांट वाला।
पद्मा - यार लण्ड की झांटें तो बर्दास्त कर लेती हूँ मैं। क्योंकी लण्ड और लण्ड के सुपाड़े पर झांटें नहीं होती ? मगर हां पेल्हड़ की झांटें साफ़ होनी चाहिए क्योंकि मैं लण्ड के साथ साथ पेल्हड़ भी चूमती, चाटती और चूसती हूँ। मुझे पेल्हड़ चाटने की बुरी आदत है।
मेरा नाम आरती है। मैं २३ साल की हूँ. गोरी चिट्टी बड़ी बड़ी आँखों वाली, बड़े बड़े चूतड़ों वाली और बड़ी बड़ी चूँचियों वाली हूँ मैं। मैं बहुत बड़ी हरामजादी, बुर चोदी और एक बदचलन लड़की हूँ। मुझे लण्ड पकड़ने की जबरदस्त आदत है। मैं कहीं भी किसी का भी लण्ड पकड़ लेती हूँ बस एक मौक़ा मिलना चाहिए। मैं कॉलेज के कई लड़कों के लण्ड पकड़ती हूँ, कई टीचरों के लण्ड पकड़ती हूँ, घर में जीजू का लण्ड पकड़ती हूँ, मौसा का लण्ड पकड़ती हूँ , मामा के लड़के का लण्ड पकड़ती हूँ, भाभी के भाई का लण्ड पकड़ती हूँ और बुआ के बेटे का लण्ड पकड़ती हूँ। जिसका लण्ड पकड़ती हूँ उससे चुदवाती जरूर हूँ। हां उस दिन नहीं तो किसी और दिन चुदवा लेती हूँ। जब तक मैं उससे चुदवा नहीं लेती तब तक मुझे चैन नहीं मिलता। कहने का मतलब मैं इन सबसे चुदवाती हूँ।
मैंने कहा देखो बुर चोदियों और भोसड़ी वालों, अब मैं खेल शुरू करती हूँ। मैंने चार पर्ची बनायीं हैं। हम चारों लड़कियां एक एक पर्ची उठाएंगी और उसमे जो भी लिखा होगा वो उसे सबके सामने करना है। सबने एक एक पर्ची उठा ली। मैंने कहा - तुम सब लड़कियां इसे पढ़ लो, मन बना लो और जब मैं कहूं तब सबको पढ़ कर सुनाओ और करके के दिखाओ। सबसे पहले रितिका पढ़ कर सुनाएगी।
वह पढ़ने लगी - मैं बहुत बड़ी मादर चोद भोसड़ी वाली हूँ। मैं यहाँ पिकनिक में सबसे चुदवाने आयी हूँ। मैं चूँचियाँ खोल कर सब लड़कों के मुंह में डालूंगी थोड़ी थोड़ी देर के लिए और उनके लण्ड पैंट के ऊपर से टटोलूँगी। सबने खूब तालियां बजाई और तब तक रितिका ने अपनी चूँचियाँ खोल डालीं। उसने एक चूंचीं रोहित के मुंह में घुसेड़ दी और दूसरी चन्दन के मुंह में। दोनों बहन चोद मस्ती से चूँची चाटने चूसने लगे और रितिका उनके लण्ड ऊपर से टटोलने लगी। थोड़ी देर बाद उसने सूरज और मोहन के मुंह में डाली चूँची और उनके लण्ड टटोले। उसके बाद रितिका ने गोपी को दोनों चूँचियाँ चटाईं और उसका लण्ड पैंट के ऊपर से खूब दबा दबा कर मज़ा लिया।
फिर आया रोली का नंबर। उसने पढ़ना शुरू किया - आरती की माँ की चूत, ये भोसड़ी वाली मुझे यहाँ मेरी बुर चुदवाने लाई है। मैं अभी एकदम नंगी होकर सब लड़के के सामने जाऊंगी। वो सब एक एक करके दो दो मिनट के लिए मेरी चूत और मेरी चूँचियाँ सहलाएंगें। रोली ने अपने सारे कपड़े उतारे तो सबने खूब तालियां बजाई। उसे नंगी देख कर सबके लण्ड अंदर ही अंदर खड़े हो गये। वह पहले गोपी के सामने गई। गोपी ने उसकी चूँचियाँ सहलाईं और उसकी चूत सहलाकर मज़ा लिया। फिर वह मोहन और सूरज के पास गयी और बाद में उसने चन्दन और रोहित से अपनी चूँचियाँ और चूत सहलवाई। सबने खूब एन्जॉय किया।
अब पद्मा अपनी पर्ची पढ़ने लगी - मैं रंडी की तरह चुदवाने वाली एक बिंदास लड़की हूँ। मैं तो अपनी माँ भी चुदवाती हूँ। उसके भोसड़ा में बड़े बड़े लण्ड पेलती हूँ। अब मैं यहाँ सबके सामने नंगी हो जाऊंगी और अपनी चूत फैलाकर लेट जाउंगी। ये पाँचों भोसड़ी वाले एक एक करके दो दो मिनट तक मेरी बुर चाटेंगें। बस फिर क्या पद्मा फ़टाफ़ट नंगी हो गई। उसकी नंगी चूत चूँचियाँ और गांड देख कर सबने खूब तालियां बजाई। फिर वह चूत फैलकर लेट गयी और चन्दन से अपनी बुर चटवाने लगी। चन्दन अपनी जबान पूरी अंदर घुसेड़ कर सुकि बुर चाटने लगा तो पद्मा सिसियाने लगी। फिर रोहित ने चाटा बुर उसके बाद सूरज ने भी चाटा बुर। पद्मा को तो मज़ा ही मज़ा आ रहा था। उसकी चूत गरम होती जा रही थी। बाद में रोहित और गोपी ने भी अपनी अपनी जबान घुसेड़ घुसेड़ कर पद्मा की बुर चाटी।
आखिर में मेरा नंबर आया। मैंने अपनी पर्ची पढ़नी शुरू की। ,,,,,,,,,
उसमे लिखा था - तू भोसड़ी वाली सबसे ज्यादा हरामजादी और कामिनी लड़की है। तेरी माँ का भोसड़ा, तेरी बहन की चूत। अब तू सबके सामने नंगी हो जा और इन सब मादर चोदों को नंगा कर दे। इंची टेप से सबके लण्ड नाप नाप कर सबके लण्ड का साइज बता। सबके लण्ड हिला हिला कर दो दो मिनट के लिए सबके सुपाड़े चाट चाट कर दिखा। मैंने पर्ची एक कोने में रखी और अपने कपडे उतार कर एकदम नंगी हो गयी। मैंने एक एक करके सभी लड़कों को नंगा कर दिया। लण्ड साले सबके खड़े हुए थे। टन टना रहे थे. मैंने सबसे पहले गोपी का लौड़ा हाथ में लिया, उसे हिलाया, उसे चूमा और फिर उसका सुपाड़ा चाटने लगी। वह भी साला सिसियाने लगा। फिर मैंने मोहन का लण्ड पकड़ा वह भी मादर चोद बड़ा मोटा था। मैंने उसका सुपाड़ा बड़े प्यार से चाटा। फिर हाथ बढ़ाकर सूरज का लण्ड मुठ्ठी में लिया। उसे चूमा उसके पेल्हड़ चूमे और जबान निकाल कर सुपाड़े के चारों तरफ घुमाने लगी। उसका लौड़ा साला और सख्त होने लगा। फिर मैंने नज़र चन्दन के लण्ड पर डाली तो वह भी बहन चोद हिनहिना रहा था। मैंने उसे पकड़ा हिलाया और प्यार से चूमा और चाटा। वैसे भी मुझे लण्ड चाटने में बड़ा अच्छा लगता है। सबके सामने चाटने में तो और अच्छा लगता है। आखिर में मैंने रोहित के लण्ड का टोपा चाटना शुरू किया तो बहुत मज़ा आया। उसका सुपाड़ा साला छतरी की तरह गोल था। लण्ड सब सालों के मोटे तगड़े थे और मजे की बात यह थी किसी भी लण्ड पर कोई झांट नहीं थी।
इसी बीच मैंने सबके लण्ड की नाप ली, सबके लण्ड की लम्बाई चौड़ाई नापी और सबको सबके लण्ड का साइज बताया। रोहित का लण्ड 8 " + x 5" का है. चन्दन का लण्ड 8" x 5" + का है। सूरज का लण्ड 8" + x 5 " का है. मोहन का लण्ड 8" + x 5" का है. और गोपी का लण्ड 8" + x 5" + है।
सबने खूब तालियां बजाईं और सबको यह खेल बहुत ही पसंद आया। तब मैंने कहा अब तुम सब लड़कियां सब लड़को को ब्लोजॉब दो। यानी सबके लण्ड अपने अपने मुंह में लेकर थोड़ी थोड़ी देर तक चूसो। ताकि सबको सबके लण्ड का स्वाद मिले और सबके लण्ड की खुशबू मिले। मैं चन्दन का लण्ड पीने लगी, रोली रोहित का लण्ड चूसने लगी, रितिका सूरज का लण्ड मुंह में भर कर चूसने लगी, पद्मा ने मोहन का लण्ड मुंह में लिया और दूसरे हाथ से गोपी का लण्ड सहलाने लगी। वह दो दो लण्ड बारी बारी से चूसने लगी। यह राउंड बड़ी खूबसूरती से पूरा हुआ। तब मैंने कहा अब फ्री स्टाइल चोदा चोदी होगी। अब तुम सब लड़कियां जिससे चाहो उससे चुदवाओ और तुम लड़के लोग जिसकी चाहो उसकी बुर चोदो। लेकिन एक बात है की तुम सबको सबकी बुर चोदनी है। सबकी बुर में लण्ड पेलना है और सब लड़कियों को सबके लण्ड अपनी बुर में पेलवाना है। जैसे चाहो वैसे चोदो और जैसे चाहो वैसे चुदाओ।
फिर क्या सब लोग अपने अपने पार्टनर ढूंढने लगे। रोली ने अपनी बाहें चन्दन के गले में डाल दी। चन्दन भी उसकी चूँचियाँ मसलने लगी. मैं सूरज की तरह बढ़ी। मैं सबसे पहले उसका लण्ड अपनी बुर में पेलना चाहती थी। मैं उसका लण्ड हिलाने लगी और वह मेरी चूँचियाँ दबाने लगा. रितिका मोहन की तरफ लपकी। उसे अपने बदन से चिपका लिया और उसका लौड़ा पकड़ कर मज़ा करने लगी। मोहन भी रितिका की गांड पर और उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा। पद्मा ने एक हाथ से गोपी का लण्ड पकड़ा और दूसरे हाथ से रोहित का लण्ड। वह बीच में सोफा पर बैठ गयी और कभी रोहित का लण्ड पीती और कभी गोपी का लण्ड। उसे दो दो लण्ड का मज़ा मिलने लगा। उसने मन बना लिया की मैं पहली बार दोनों लण्ड से एकसाथ चुदवाऊंगी। एक लण्ड चूत में तो दूसरा लण्ड मुंह में। एक लण्ड मुंह में दूसरा लण्ड गांड में। एक लण्ड मुंह में तो दूसरा लण्ड चूँचियों में। मैं ऐसे ही मज़ा लूटती रहूंगी।
बस एक ही हाल में सब सटी सटी हुई लेट गयी और चुदवाने लगीं। सब इतनी नजदीक थी की हाथ बढाकर दूसरे का लण्ड पकड़ सकती थीं। दूसरे की चूँचियाँ उसकी गांड चूतड़ चूँची सब पकड़ सकती थीं. सामूहिक चुदाई का यही तो फायदा होता है। सबकी चुदाई नजदीक से देखो और अपनी चुदाई करवाओ। हम सबको बड़ा मज़ाआने लगा। चन्दन रोली की बुर चोदने लगा, सूरज ने लण्ड मेरी चूत में पेल दिया, मोहन रितिका की बुर मजे से लेने लगा और पद्मा ने गोपी का लण्ड अपनी चूत में पेला और रोहित का लण्ड अपने मुंह में। वह लण्ड चूसती हुई अपनी गाड़ उठा उठा के गोपी से चुदवाने लगी। सबकी चूत का बाजा बजने लगा। चुदाई की आवाज़ पूरे गेस्ट हाउस में गूंजने लगी। सब एक दूसरे को देख देख चोद रहे थे। सब एक दूसरे को देख देख कर चुदवा रहीं थीं। चोदने और चुदवाने में लोग एक दूसरे की नक़ल भी कर रहे थे। किसी की अगर अच्छी तरह चुदाई हुई तो लोग उसकी नक़ल कर उसी तरह चोदने लगते थे।
इतना मस्त माहौल हो गया जिसका वर्णन करना मुश्किल था।
रोली के मुंह से निकल रहा था - वॉवो बड़ा मज़ा आ रहा है, ऊ आ हां ओ हो हाय रे आज मेरी चूत अच्छी तरह चुद रही है। ओ हो ऊँ आ हो चूं चों चच ची हूँ हो अहा और चोदो। पूरा पेल दो लण्ड तेरा लण्ड बड़ा मज़ा दे रहा है चन्दन। चोद डालो मेरी बुर। चन्दन ने कहा - हां यार रोली आज तेरी बुर चोदने में बहुत मज़ा आ रहा है। बड़ी मस्त है तेरी चूत। मैं तो तुम्हे आगे भी चोदता रहूंगा।
उधर मैं भी कुछ न कुछ् बोल रही थी - यार बहुत अच्छी चोद रहे हो मेरे सूरज राजा। तेरा लण्ड बड़ा बेरहम है भोसड़ी का। मुझे और चोदो, फाड़ डालो मेरी बुर चोदी बुर। घुसेड़ दो अपना हक्कानी लण्ड। यार तुम बहुत बड़े चोदू हो ? मेरी चूत का बाजा बज रहा है बहन चोद। सूरज ने कहा यार आरती आज मुझे तेरी बुर चोदने में सबसे ज्यादा मज़ा आ रहा है। इसके पहले मैंने २/३ लड़कियां जरूर चोदी है पर इतना मज़ा नहीं आया।
रितिका बोली - हाय मेरे नटखट मोहन राजा तेरा लण्ड मेरी चूत के चीथड़े उडा रहा है। मुझे ऐसा ही लौड़ा पसंद है। दो दिन पहले मैंने आनंद से चुदवाया था। उसका लौड़ा इतना बड़ा नहीं था। मुझे रंडी की तरह चोदो। मुझे अपनी बीवी समझ कर चोदो. मैं तो तुमसे शादी के बाद भी चुदवाती रहूंगी। मैं तेरे लण्ड की गुलाम हो गयी हूँ यार। चाहो तो मेरी गांड भी मार लो। मोहन ने कहा यार रितिका तुम जितनी खूबसूरत हो उतनी ही खूबसूरत तेरी चूत भी है। मुझे आज तेरी बुर चोदने का असली मज़ा मिल रहा है।
पद्मा ने कहा - गोपी तेरा लण्ड मादर चोद आज मेरी चूत फाड़ डालेगा। मैं चाहती हूँ की तुम मेरी चूत फाड़ो। मेरी गांड फाड़ो। मेरी चूँचियों में घुसेड़ दो अपना लण्ड। मेरे मुंह में पेल दो लण्ड। रोहित तुम भी मुझे अपनी बीवी की तरह चोदो। मुझे अपनी भाभी समझ लो और चोदो। आज के बाद भी मुझे चोदते रहना। मैं बहुत चुदक्कड़ लड़की हूँ। हर दूसरे दिन मैं किसी न किसी का लण्ड पेलती हूँ अपनी चूत में। आज मैं देखो न तुमसे गांड मरवा रही हूँ अपनी। मेरे बदन में हर जगह में लण्ड पेल दो अपना ?
मस्ती में सभी थे। सबको चोदने में खूब मज़ा आ रहा था और चुदाने में भी खूब मज़ा आ रहा था। एक दूसरे की
चुदाई देखने में तो सबसे ज्यादा मज़ा आ रहा था। कौन कैसे छोड़ताहै और कौन कैसे चुदवाती है यह भी देखने में मज़ा आ रहा था। लड़कियों की नज़र सबके लण्ड पर थी और लड़कों की नज़र लड़कियों की चूत और चूँचियों पर थी। अचानक रोली ने हाथ बढाकर मुझसे सूरज का लण्ड ले लिया तो मैंने रितिका से मोहन का लण्ड ले लिया। रितिका ने पद्मा से गोपी का लण्ड ले लिया और रोहित का लण्ड भी। तब पद्मा ने मुझसे चन्दन का लण्ड ले लिया। सबके लण्ड बदल गये तो इन नए लड़कों से चुदवाने मज़ा भी बदल गया। रोली सूरज से चुदवाने लगी, मैं मोहन से चुदवाने लगीं, रितिका गोपी और रोहित से चुदवाने लगी पद्मा चन्दन से चुदवाने लगी। एक बार फिर कमरे में सबकी चूत का एक साथ बाजा बजने लगा।
मैंने कहा यार होली का माहौल ही ऐसा होता है की चूत बिना चुदे नहीं मानती और लण्ड बिना चोदे नहीं मानता। आज तो यहाँ हर एक लण्ड चार चार बुर चोदेगा और हर एक चूत पांच पांच लण्ड पेलवायेगी अपने अंदर ? इसे कहतें हैं असली होली और असली होली का खेल। ये रंग की होली नहीं है ये लण्ड की होली है।
इतने में सबने चोदने की स्पीड तेज कर दी। अब कुछ देर में ही चूत ढीली होने वाली हो गयी और लण्ड भी मुकाम तक पहंचने वाले हो गए। पद्मा बोली यार मैं तो खलास होने वाली हूँ। रितिका बोली हां यार मेरी भी चूत ढीली हो गयी है ससुरी। फिर वे दोनों मुड़ कर लण्ड का सड़का मारने लगी। फिर मैंने भी लण्ड मुठ्ठी में लिया और मस्ती से सड़का लगाने लगी और अपना मुंह सुपाड़े के सामने खोल दिया। रोली की भी बुर चोदी बुर बोल गई। वह भी सड़का मारने में जुट गयी। फिर क्या एक एक करके सबके लण्ड झड़ने लगे और हम सब लण्ड का वीर्य अपने अपने मुंह में गिरवाकर पीने लगी. लण्ड का सुपाड़ा चाटने लगीं और एक दूसरे को लण्ड चाटते हुए देख देख कर मज़ा लेने लगीं.
फिर लंच हो गया। खाना भी बाहर से आ गया। हम सबने नंगे नंगे ही खाना खाया। मैंने पहले ही ऐलान कर रखा था की जब तक हम यहाँ इस गेस्ट हाउस में हैं तब तक कोई भी पकड़े नहीं पहनेगा। यानी नंगे नंगे खाना, नंगे नंगे सोना, नंगे नंगे रहना, नंगे नंगे घूमना, नंगे नंगे नहाना, नंगे नंगे चोदना और नंगे नंगे चुदाना ? दो घंटे तक सबने खूब खाना खाया आराम किया और नंगे नंगे इधर उधर घूमे। लड़कियां भी अपनी अपनी चूँचियाँ हिलाती हुई लड़के भी अपने अपने लण्ड हिलाते हुए घूमने लगे और मस्ती से खूब गन्दी गन्दी बातें करने लगीं। एक दूसरे को प्यार भरी गालियां देने लगे और एक दूसरे को चिढ़ाने भी लगे।
महफ़िल फिर जम गयी। इस बार रोली ने मोहन और रोहित का लण्ड पकड़ लिया। उसने मन बनाया की अब मैं दो दो लण्ड का मज़ा एक साथ लूंगी। मैंने गोपी का लण्ड हथिया लिया और उसकी चुम्मी बड़े प्यार से लेने लगी। रितिका तो चन्दन का लण्ड पकड़ कर मस्त होने लगी। पद्मा ने सूरज का लण्ड अपने हाथ में लिया और मजे से उसके साथ खेलने लगी। इस तरह दोस्तों हम सबने दो दिन तक चोदा चोदी का खेल खेला और होली अच्छी तरह मनाई।
आज भी हम सबको वो होली याद है।
०=०=०=०=०=० समाप्त
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फिर क्या ? सबने मिलकर चुदाई का सारा इंतज़ाम कर लिया। अपना अपना सामान पैक किया। जगह का चुनाव हो गया। दो दिन के लिए एक गेस्ट हाउस मिल गया। हम सबने सामान बांधा और गेस्ट हाउस पहुँच गए। सबने सामान रखा। सब लोग गोल बनाकर बैठ गए। उधर नास्ते का आर्डर दे दिया गया और बातें होने लगीं। हंसी मजाक होने लगा, अश्लील बातें होने लगीं, गंदे गंदे नॉन वेज चुटकुले होने लगे और सबके मुंह से प्यार से गालियां भी दनादन निकलने लगीं।
रोली - आरती तू बुर चोदी अपनी झांटें वगैरह बना ले अभी। लड़के आजकल चिकनी चूत ही चाटते हैं।
आरती - अरे रोली, मेरी माँ की लौड़ी, तेरी गांड में क्यों दर्द हो रहा है। मेरी बुर कौन चाटेगा, कैसे चाटेगा, किस तरह की बुर चाटेगा, तुझे इसकी चिंता क्यों हो रही है। तू तो अपनी गांड संभाल कर रख।
रितिका - यार तुम लोग बुर चाटने में बहस कर रही हो ? अरे कोई तो लण्ड चाटने की बात करो। मैं तो लण्ड चाटती हूँ चाहे वह झांट वाला हो या बिना झांट वाला।
पद्मा - यार लण्ड की झांटें तो बर्दास्त कर लेती हूँ मैं। क्योंकी लण्ड और लण्ड के सुपाड़े पर झांटें नहीं होती ? मगर हां पेल्हड़ की झांटें साफ़ होनी चाहिए क्योंकि मैं लण्ड के साथ साथ पेल्हड़ भी चूमती, चाटती और चूसती हूँ। मुझे पेल्हड़ चाटने की बुरी आदत है।
मेरा नाम आरती है। मैं २३ साल की हूँ. गोरी चिट्टी बड़ी बड़ी आँखों वाली, बड़े बड़े चूतड़ों वाली और बड़ी बड़ी चूँचियों वाली हूँ मैं। मैं बहुत बड़ी हरामजादी, बुर चोदी और एक बदचलन लड़की हूँ। मुझे लण्ड पकड़ने की जबरदस्त आदत है। मैं कहीं भी किसी का भी लण्ड पकड़ लेती हूँ बस एक मौक़ा मिलना चाहिए। मैं कॉलेज के कई लड़कों के लण्ड पकड़ती हूँ, कई टीचरों के लण्ड पकड़ती हूँ, घर में जीजू का लण्ड पकड़ती हूँ, मौसा का लण्ड पकड़ती हूँ , मामा के लड़के का लण्ड पकड़ती हूँ, भाभी के भाई का लण्ड पकड़ती हूँ और बुआ के बेटे का लण्ड पकड़ती हूँ। जिसका लण्ड पकड़ती हूँ उससे चुदवाती जरूर हूँ। हां उस दिन नहीं तो किसी और दिन चुदवा लेती हूँ। जब तक मैं उससे चुदवा नहीं लेती तब तक मुझे चैन नहीं मिलता। कहने का मतलब मैं इन सबसे चुदवाती हूँ।
मैंने कहा देखो बुर चोदियों और भोसड़ी वालों, अब मैं खेल शुरू करती हूँ। मैंने चार पर्ची बनायीं हैं। हम चारों लड़कियां एक एक पर्ची उठाएंगी और उसमे जो भी लिखा होगा वो उसे सबके सामने करना है। सबने एक एक पर्ची उठा ली। मैंने कहा - तुम सब लड़कियां इसे पढ़ लो, मन बना लो और जब मैं कहूं तब सबको पढ़ कर सुनाओ और करके के दिखाओ। सबसे पहले रितिका पढ़ कर सुनाएगी।
वह पढ़ने लगी - मैं बहुत बड़ी मादर चोद भोसड़ी वाली हूँ। मैं यहाँ पिकनिक में सबसे चुदवाने आयी हूँ। मैं चूँचियाँ खोल कर सब लड़कों के मुंह में डालूंगी थोड़ी थोड़ी देर के लिए और उनके लण्ड पैंट के ऊपर से टटोलूँगी। सबने खूब तालियां बजाई और तब तक रितिका ने अपनी चूँचियाँ खोल डालीं। उसने एक चूंचीं रोहित के मुंह में घुसेड़ दी और दूसरी चन्दन के मुंह में। दोनों बहन चोद मस्ती से चूँची चाटने चूसने लगे और रितिका उनके लण्ड ऊपर से टटोलने लगी। थोड़ी देर बाद उसने सूरज और मोहन के मुंह में डाली चूँची और उनके लण्ड टटोले। उसके बाद रितिका ने गोपी को दोनों चूँचियाँ चटाईं और उसका लण्ड पैंट के ऊपर से खूब दबा दबा कर मज़ा लिया।
फिर आया रोली का नंबर। उसने पढ़ना शुरू किया - आरती की माँ की चूत, ये भोसड़ी वाली मुझे यहाँ मेरी बुर चुदवाने लाई है। मैं अभी एकदम नंगी होकर सब लड़के के सामने जाऊंगी। वो सब एक एक करके दो दो मिनट के लिए मेरी चूत और मेरी चूँचियाँ सहलाएंगें। रोली ने अपने सारे कपड़े उतारे तो सबने खूब तालियां बजाई। उसे नंगी देख कर सबके लण्ड अंदर ही अंदर खड़े हो गये। वह पहले गोपी के सामने गई। गोपी ने उसकी चूँचियाँ सहलाईं और उसकी चूत सहलाकर मज़ा लिया। फिर वह मोहन और सूरज के पास गयी और बाद में उसने चन्दन और रोहित से अपनी चूँचियाँ और चूत सहलवाई। सबने खूब एन्जॉय किया।
अब पद्मा अपनी पर्ची पढ़ने लगी - मैं रंडी की तरह चुदवाने वाली एक बिंदास लड़की हूँ। मैं तो अपनी माँ भी चुदवाती हूँ। उसके भोसड़ा में बड़े बड़े लण्ड पेलती हूँ। अब मैं यहाँ सबके सामने नंगी हो जाऊंगी और अपनी चूत फैलाकर लेट जाउंगी। ये पाँचों भोसड़ी वाले एक एक करके दो दो मिनट तक मेरी बुर चाटेंगें। बस फिर क्या पद्मा फ़टाफ़ट नंगी हो गई। उसकी नंगी चूत चूँचियाँ और गांड देख कर सबने खूब तालियां बजाई। फिर वह चूत फैलकर लेट गयी और चन्दन से अपनी बुर चटवाने लगी। चन्दन अपनी जबान पूरी अंदर घुसेड़ कर सुकि बुर चाटने लगा तो पद्मा सिसियाने लगी। फिर रोहित ने चाटा बुर उसके बाद सूरज ने भी चाटा बुर। पद्मा को तो मज़ा ही मज़ा आ रहा था। उसकी चूत गरम होती जा रही थी। बाद में रोहित और गोपी ने भी अपनी अपनी जबान घुसेड़ घुसेड़ कर पद्मा की बुर चाटी।
आखिर में मेरा नंबर आया। मैंने अपनी पर्ची पढ़नी शुरू की। ,,,,,,,,,
उसमे लिखा था - तू भोसड़ी वाली सबसे ज्यादा हरामजादी और कामिनी लड़की है। तेरी माँ का भोसड़ा, तेरी बहन की चूत। अब तू सबके सामने नंगी हो जा और इन सब मादर चोदों को नंगा कर दे। इंची टेप से सबके लण्ड नाप नाप कर सबके लण्ड का साइज बता। सबके लण्ड हिला हिला कर दो दो मिनट के लिए सबके सुपाड़े चाट चाट कर दिखा। मैंने पर्ची एक कोने में रखी और अपने कपडे उतार कर एकदम नंगी हो गयी। मैंने एक एक करके सभी लड़कों को नंगा कर दिया। लण्ड साले सबके खड़े हुए थे। टन टना रहे थे. मैंने सबसे पहले गोपी का लौड़ा हाथ में लिया, उसे हिलाया, उसे चूमा और फिर उसका सुपाड़ा चाटने लगी। वह भी साला सिसियाने लगा। फिर मैंने मोहन का लण्ड पकड़ा वह भी मादर चोद बड़ा मोटा था। मैंने उसका सुपाड़ा बड़े प्यार से चाटा। फिर हाथ बढ़ाकर सूरज का लण्ड मुठ्ठी में लिया। उसे चूमा उसके पेल्हड़ चूमे और जबान निकाल कर सुपाड़े के चारों तरफ घुमाने लगी। उसका लौड़ा साला और सख्त होने लगा। फिर मैंने नज़र चन्दन के लण्ड पर डाली तो वह भी बहन चोद हिनहिना रहा था। मैंने उसे पकड़ा हिलाया और प्यार से चूमा और चाटा। वैसे भी मुझे लण्ड चाटने में बड़ा अच्छा लगता है। सबके सामने चाटने में तो और अच्छा लगता है। आखिर में मैंने रोहित के लण्ड का टोपा चाटना शुरू किया तो बहुत मज़ा आया। उसका सुपाड़ा साला छतरी की तरह गोल था। लण्ड सब सालों के मोटे तगड़े थे और मजे की बात यह थी किसी भी लण्ड पर कोई झांट नहीं थी।
इसी बीच मैंने सबके लण्ड की नाप ली, सबके लण्ड की लम्बाई चौड़ाई नापी और सबको सबके लण्ड का साइज बताया। रोहित का लण्ड 8 " + x 5" का है. चन्दन का लण्ड 8" x 5" + का है। सूरज का लण्ड 8" + x 5 " का है. मोहन का लण्ड 8" + x 5" का है. और गोपी का लण्ड 8" + x 5" + है।
सबने खूब तालियां बजाईं और सबको यह खेल बहुत ही पसंद आया। तब मैंने कहा अब तुम सब लड़कियां सब लड़को को ब्लोजॉब दो। यानी सबके लण्ड अपने अपने मुंह में लेकर थोड़ी थोड़ी देर तक चूसो। ताकि सबको सबके लण्ड का स्वाद मिले और सबके लण्ड की खुशबू मिले। मैं चन्दन का लण्ड पीने लगी, रोली रोहित का लण्ड चूसने लगी, रितिका सूरज का लण्ड मुंह में भर कर चूसने लगी, पद्मा ने मोहन का लण्ड मुंह में लिया और दूसरे हाथ से गोपी का लण्ड सहलाने लगी। वह दो दो लण्ड बारी बारी से चूसने लगी। यह राउंड बड़ी खूबसूरती से पूरा हुआ। तब मैंने कहा अब फ्री स्टाइल चोदा चोदी होगी। अब तुम सब लड़कियां जिससे चाहो उससे चुदवाओ और तुम लड़के लोग जिसकी चाहो उसकी बुर चोदो। लेकिन एक बात है की तुम सबको सबकी बुर चोदनी है। सबकी बुर में लण्ड पेलना है और सब लड़कियों को सबके लण्ड अपनी बुर में पेलवाना है। जैसे चाहो वैसे चोदो और जैसे चाहो वैसे चुदाओ।
फिर क्या सब लोग अपने अपने पार्टनर ढूंढने लगे। रोली ने अपनी बाहें चन्दन के गले में डाल दी। चन्दन भी उसकी चूँचियाँ मसलने लगी. मैं सूरज की तरह बढ़ी। मैं सबसे पहले उसका लण्ड अपनी बुर में पेलना चाहती थी। मैं उसका लण्ड हिलाने लगी और वह मेरी चूँचियाँ दबाने लगा. रितिका मोहन की तरफ लपकी। उसे अपने बदन से चिपका लिया और उसका लौड़ा पकड़ कर मज़ा करने लगी। मोहन भी रितिका की गांड पर और उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा। पद्मा ने एक हाथ से गोपी का लण्ड पकड़ा और दूसरे हाथ से रोहित का लण्ड। वह बीच में सोफा पर बैठ गयी और कभी रोहित का लण्ड पीती और कभी गोपी का लण्ड। उसे दो दो लण्ड का मज़ा मिलने लगा। उसने मन बना लिया की मैं पहली बार दोनों लण्ड से एकसाथ चुदवाऊंगी। एक लण्ड चूत में तो दूसरा लण्ड मुंह में। एक लण्ड मुंह में दूसरा लण्ड गांड में। एक लण्ड मुंह में तो दूसरा लण्ड चूँचियों में। मैं ऐसे ही मज़ा लूटती रहूंगी।
बस एक ही हाल में सब सटी सटी हुई लेट गयी और चुदवाने लगीं। सब इतनी नजदीक थी की हाथ बढाकर दूसरे का लण्ड पकड़ सकती थीं। दूसरे की चूँचियाँ उसकी गांड चूतड़ चूँची सब पकड़ सकती थीं. सामूहिक चुदाई का यही तो फायदा होता है। सबकी चुदाई नजदीक से देखो और अपनी चुदाई करवाओ। हम सबको बड़ा मज़ाआने लगा। चन्दन रोली की बुर चोदने लगा, सूरज ने लण्ड मेरी चूत में पेल दिया, मोहन रितिका की बुर मजे से लेने लगा और पद्मा ने गोपी का लण्ड अपनी चूत में पेला और रोहित का लण्ड अपने मुंह में। वह लण्ड चूसती हुई अपनी गाड़ उठा उठा के गोपी से चुदवाने लगी। सबकी चूत का बाजा बजने लगा। चुदाई की आवाज़ पूरे गेस्ट हाउस में गूंजने लगी। सब एक दूसरे को देख देख चोद रहे थे। सब एक दूसरे को देख देख कर चुदवा रहीं थीं। चोदने और चुदवाने में लोग एक दूसरे की नक़ल भी कर रहे थे। किसी की अगर अच्छी तरह चुदाई हुई तो लोग उसकी नक़ल कर उसी तरह चोदने लगते थे।
इतना मस्त माहौल हो गया जिसका वर्णन करना मुश्किल था।
रोली के मुंह से निकल रहा था - वॉवो बड़ा मज़ा आ रहा है, ऊ आ हां ओ हो हाय रे आज मेरी चूत अच्छी तरह चुद रही है। ओ हो ऊँ आ हो चूं चों चच ची हूँ हो अहा और चोदो। पूरा पेल दो लण्ड तेरा लण्ड बड़ा मज़ा दे रहा है चन्दन। चोद डालो मेरी बुर। चन्दन ने कहा - हां यार रोली आज तेरी बुर चोदने में बहुत मज़ा आ रहा है। बड़ी मस्त है तेरी चूत। मैं तो तुम्हे आगे भी चोदता रहूंगा।
उधर मैं भी कुछ न कुछ् बोल रही थी - यार बहुत अच्छी चोद रहे हो मेरे सूरज राजा। तेरा लण्ड बड़ा बेरहम है भोसड़ी का। मुझे और चोदो, फाड़ डालो मेरी बुर चोदी बुर। घुसेड़ दो अपना हक्कानी लण्ड। यार तुम बहुत बड़े चोदू हो ? मेरी चूत का बाजा बज रहा है बहन चोद। सूरज ने कहा यार आरती आज मुझे तेरी बुर चोदने में सबसे ज्यादा मज़ा आ रहा है। इसके पहले मैंने २/३ लड़कियां जरूर चोदी है पर इतना मज़ा नहीं आया।
रितिका बोली - हाय मेरे नटखट मोहन राजा तेरा लण्ड मेरी चूत के चीथड़े उडा रहा है। मुझे ऐसा ही लौड़ा पसंद है। दो दिन पहले मैंने आनंद से चुदवाया था। उसका लौड़ा इतना बड़ा नहीं था। मुझे रंडी की तरह चोदो। मुझे अपनी बीवी समझ कर चोदो. मैं तो तुमसे शादी के बाद भी चुदवाती रहूंगी। मैं तेरे लण्ड की गुलाम हो गयी हूँ यार। चाहो तो मेरी गांड भी मार लो। मोहन ने कहा यार रितिका तुम जितनी खूबसूरत हो उतनी ही खूबसूरत तेरी चूत भी है। मुझे आज तेरी बुर चोदने का असली मज़ा मिल रहा है।
पद्मा ने कहा - गोपी तेरा लण्ड मादर चोद आज मेरी चूत फाड़ डालेगा। मैं चाहती हूँ की तुम मेरी चूत फाड़ो। मेरी गांड फाड़ो। मेरी चूँचियों में घुसेड़ दो अपना लण्ड। मेरे मुंह में पेल दो लण्ड। रोहित तुम भी मुझे अपनी बीवी की तरह चोदो। मुझे अपनी भाभी समझ लो और चोदो। आज के बाद भी मुझे चोदते रहना। मैं बहुत चुदक्कड़ लड़की हूँ। हर दूसरे दिन मैं किसी न किसी का लण्ड पेलती हूँ अपनी चूत में। आज मैं देखो न तुमसे गांड मरवा रही हूँ अपनी। मेरे बदन में हर जगह में लण्ड पेल दो अपना ?
मस्ती में सभी थे। सबको चोदने में खूब मज़ा आ रहा था और चुदाने में भी खूब मज़ा आ रहा था। एक दूसरे की
मैंने कहा यार होली का माहौल ही ऐसा होता है की चूत बिना चुदे नहीं मानती और लण्ड बिना चोदे नहीं मानता। आज तो यहाँ हर एक लण्ड चार चार बुर चोदेगा और हर एक चूत पांच पांच लण्ड पेलवायेगी अपने अंदर ? इसे कहतें हैं असली होली और असली होली का खेल। ये रंग की होली नहीं है ये लण्ड की होली है।
इतने में सबने चोदने की स्पीड तेज कर दी। अब कुछ देर में ही चूत ढीली होने वाली हो गयी और लण्ड भी मुकाम तक पहंचने वाले हो गए। पद्मा बोली यार मैं तो खलास होने वाली हूँ। रितिका बोली हां यार मेरी भी चूत ढीली हो गयी है ससुरी। फिर वे दोनों मुड़ कर लण्ड का सड़का मारने लगी। फिर मैंने भी लण्ड मुठ्ठी में लिया और मस्ती से सड़का लगाने लगी और अपना मुंह सुपाड़े के सामने खोल दिया। रोली की भी बुर चोदी बुर बोल गई। वह भी सड़का मारने में जुट गयी। फिर क्या एक एक करके सबके लण्ड झड़ने लगे और हम सब लण्ड का वीर्य अपने अपने मुंह में गिरवाकर पीने लगी. लण्ड का सुपाड़ा चाटने लगीं और एक दूसरे को लण्ड चाटते हुए देख देख कर मज़ा लेने लगीं.
फिर लंच हो गया। खाना भी बाहर से आ गया। हम सबने नंगे नंगे ही खाना खाया। मैंने पहले ही ऐलान कर रखा था की जब तक हम यहाँ इस गेस्ट हाउस में हैं तब तक कोई भी पकड़े नहीं पहनेगा। यानी नंगे नंगे खाना, नंगे नंगे सोना, नंगे नंगे रहना, नंगे नंगे घूमना, नंगे नंगे नहाना, नंगे नंगे चोदना और नंगे नंगे चुदाना ? दो घंटे तक सबने खूब खाना खाया आराम किया और नंगे नंगे इधर उधर घूमे। लड़कियां भी अपनी अपनी चूँचियाँ हिलाती हुई लड़के भी अपने अपने लण्ड हिलाते हुए घूमने लगे और मस्ती से खूब गन्दी गन्दी बातें करने लगीं। एक दूसरे को प्यार भरी गालियां देने लगे और एक दूसरे को चिढ़ाने भी लगे।
महफ़िल फिर जम गयी। इस बार रोली ने मोहन और रोहित का लण्ड पकड़ लिया। उसने मन बनाया की अब मैं दो दो लण्ड का मज़ा एक साथ लूंगी। मैंने गोपी का लण्ड हथिया लिया और उसकी चुम्मी बड़े प्यार से लेने लगी। रितिका तो चन्दन का लण्ड पकड़ कर मस्त होने लगी। पद्मा ने सूरज का लण्ड अपने हाथ में लिया और मजे से उसके साथ खेलने लगी। इस तरह दोस्तों हम सबने दो दिन तक चोदा चोदी का खेल खेला और होली अच्छी तरह मनाई।
आज भी हम सबको वो होली याद है।
०=०=०=०=०=० समाप्त
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