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कॉलेज की सभी लड़कियां लण्ड पीती हैं - College me hoti hai chudai
कॉलेज की सभी लड़कियां लण्ड पीती हैं - College me hoti hai chudai , बेटी ने माँ से कहा कि मैं कॉलेज में चुदती चुद्वाती बुर चूत गांड फड़वाती, लंड चूसती हूँ , माँ बेटी की sexy बातें.
एक दिन रात को मैं ब्लू फिल्म देख रही थी। मुझे नेट पर ब्लू फिल्म देखने का बड़ा शौक है। फिल्म देखने के साथ साथ उस दिन मैं हिंदी की सेक्स कहानियां भी पढ़ने लगी। अचानक मेरे हाथ इस वेबसाइट की कहानियां लग गई। मैंने वो पेज खोला तो उसके शीर्षक पढ़ कर ही मेरी चूत की आग धधकने लगी। मैंने कई कहानियों के शीर्षक पढ़े जो लण्ड चूत बुर भोसड़ा गांड झांट आदि से भरी हुई थीं।
बस चूत तो बहन चोद गीली हो गयी। पढ़नी शुरू की वह माँ बेटी की चुदाई की कहानी थी। उसमे माँ अपनी बेटी चुदवाती है और बेटी अपनी माँ चुदवाती है। रात को घर के खुल्लम खुल्ला चुदाई होती है। मुझे लगा की ये तो सब मेरे घर में भी होता है। मैं भी अम्मी के सामने चुदवाती हूँ और अम्मी मेरे सामने। लेकिन हां मैंने कभी लण्ड अम्मी की बुर में नहीं पेला और अम्मी ने भी अभी तक कोई लौड़ा मेरी चूत में नहीं घुसेड़ा। लेकिन अब मेरी इच्छा हो रही है की मैं आज ही एक कोई लण्ड अम्मी की बुर में घुसा ही दूँ। मैं अध् नंगी बैठी हुई थी। इतने में अम्मी जान आ गई। उसने मुझे कहानियां पढ़ते हुए देख लिया।
बस चूत तो बहन चोद गीली हो गयी। पढ़नी शुरू की वह माँ बेटी की चुदाई की कहानी थी। उसमे माँ अपनी बेटी चुदवाती है और बेटी अपनी माँ चुदवाती है। रात को घर के खुल्लम खुल्ला चुदाई होती है। मुझे लगा की ये तो सब मेरे घर में भी होता है। मैं भी अम्मी के सामने चुदवाती हूँ और अम्मी मेरे सामने। लेकिन हां मैंने कभी लण्ड अम्मी की बुर में नहीं पेला और अम्मी ने भी अभी तक कोई लौड़ा मेरी चूत में नहीं घुसेड़ा। लेकिन अब मेरी इच्छा हो रही है की मैं आज ही एक कोई लण्ड अम्मी की बुर में घुसा ही दूँ। मैं अध् नंगी बैठी हुई थी। इतने में अम्मी जान आ गई। उसने मुझे कहानियां पढ़ते हुए देख लिया।
- अम्मी बोली - अरी साइमा इतनी देर तक क्या पढ़ रही है तू माँ की लौड़ी ?
- मैंने कहा - नहीं अम्मी जान बस ऐसे ही ,,,,,,,,,,,,,,, ?
- यहाँ पढ़ रही है तो दिन भर कॉलेज में क्या करती रहती है तू ?
- कॉलेज में तो लण्ड पीती रहती हूँ अम्मी जान लण्ड ?
- तेरी माँ का भोसड़ा साइमा ? सीधे सीधे बात क्यों नहीं करती ? चिढ़ाती क्यों है मुझे ?
- चिढ़ाती नहीं हूँ तुम्हें अम्मी जान। मैं हकीकत बयान कर रही हूँ। मैं ही नहीं कॉलेज की सभी लड़कियां लण्ड पीती हैं,
- सिर्फ लण्ड ही पीती हैं की कुछ और भी करतीं हैं ?
- अरे अम्मी जान जब लण्ड मुंह में जायेगा तो फिर चूत में भी जायेगा। बिना चूत में घुसे भला कोई लण्ड रह सकता है क्या ?
- इसका मतलब की तू कॉलेज में चुदवाती भी है ?
- मैं क्या सभी लड़कियां चुदवाती है अम्मी जान ? सभी टीचरें भी चुदवाती हैं।
- इसका मतलब तेरे कॉलेज में चुदाई भी होती है। ये मुझे नहीं मालूम था।
- हमारे कॉलेज में चुदाई ही होती है। लड़के लड़कियां चोदते हैं। लड़के टीचर्स की भी बुर लेते हैं। टीचर्स भी लड़कियों की बुर लेते हैं। ये तो चुदाई का ही कॉलेज है अम्मी जान।
- तो फिर तू कितने लण्ड पीती है एक दिन में और कितने लोगों से चुदवाती हो ?
- 4/5 लण्ड तो पी ही लेती हूँ और 2/3 लड़कों से चुदवा लेती हूँ। इसमें कुछ टीचर भी शामिल हैं।
- तूने अभी तक अपनी माँ का भोसड़ा क्यों नहीं चुदवाया ? हर दिन मेरा भोसड़ा चुदता हुआ देखती है तू ? कभी कोई लौड़ा नहीं पेला तूने मेरे भोसड़ा में ? अगर ऐसा है तो किसी दिन अपनी माँ का भोसड़ा तो चोदो बेटी साइमा ?
- तूने भी तो कभी कोई लण्ड नहीं घुसेड़ा मेरी बुर में अभी तक नहीं पेला जबकि हर दिन तू मेरी बुर चुदती हुई देखती है। तेरे सामने ही लोग मेरी बुर चोदते रहते हैं। किसी दिन अपनी बिटिया की बुर भी चोदो मेरी बुर चोदी अम्मी जान ?
अचानक मेरी चची जान की बेटी रफा भी आ गयी। उसने हमारी बातें सुन लीं। वह बोली हां आंटी जी साइमा ठीक कह रही है। किसी दिन इसकी बुर में लौड़ा पेल दो न। जैसे मेरी अम्मी मेरी बुर में लौड़ा पेलती हैं। अभी कल ही मेरी अम्मी ने मेरी बुर चोदी है। फिर मुझे भी जोश आ गया तो मैंने भी अपने शौहर का लण्ड ठोंक दिया अम्मी के भोसड़ा में। उसे भी मज़ा आया और मुझे भी ? अम्मी ने पूंछा अच्छा ये बता रफ़ा क्या तू भी अपने कॉलेज में लण्ड पीती है ?
वह बोली - हां यह बात सच है चची जान । मैं भी उसी कॉलेज में पढ़ती हूँ।
अम्मी बोली - क्या ख़ाक पढ़ती है तू ? बुर चुदवाती है तू अपनी ? लण्ड पीती है तू भोसड़ी वाली लड़कों के ? अब बस माँ चुदाना बाकी है वह चुदवा लो। तुम लोग कॉलेज पढ़ने जाती हो की बुर चुदवाने ?
रफ़ा ने कहा - अरी मेरी चची जान, कॉलेज में लड़कियां लण्ड पीती हैं, अपनी बुर चुदवाती हैं और कभी कभी अपनी गांड भी मरवाती हैं। लड़कियां तो लड़कों के लण्ड का सड़का मारती है और सड़का मार कर लण्ड पीती हैं। मैं सब जानती हूँ क्योंकि मैं भी उसी कॉलेज में पढ़ती हूँ जहाँ लड़कियां लण्ड पीती हैं। मुझे भी लण्ड पीने का जबरदस्त शौक है। मेरे कॉलेज में लड़कियां इसीलिए एडमिशन लेतीं हैं की वहां सबको लण्ड पीने का मौक़ा मिलता है और बुर चुदवाने का भी सुनहरा मौक़ा मिलता है। आजकल लड़कियों की भर्ती के लिए लाइन लगी हुई है।
अम्मी बोली - हाय दईया इतने लण्ड आते कहाँ से हैं ?
वह बोली - लण्ड की कमी नहीं चची जान। कॉलेज के लड़के हैं टीचर्स हैं दूसरे कॉलेज के लड़के भी आतें हैं। होटलों से भी लड़के आतें हैं। कभी कभी विदेशी लड़के भी आतें हैं।
अम्मी ने कहा - हाय अल्ला तो फिर मुझे भी दिलाओ न विदेशी लण्ड। मैंने आज तक कोई विदेशी लण्ड देखा ही नहीं पकड़ने की कौन कहे ?
मैंने कहा - अच्छा, तो मैं तुम्हे दूँगी विदेशी लण्ड, अम्मी जान। पर आज तो कोई देशी लण्ड तेरे भोसड़ा में पेलूँगी। वह बोली - हां पेल लेना भोसड़ी वाली। मैं भी आज तेरी बुर में कोई देशी लण्ड घुसेड़ूँगी, साइमा।
तब तक रफ़ा बोली - देशी लण्ड तो मैं भी पेलूँगी साइमा तेरी चूत में। ,,,,,,,,,,,,,,,,
मैंने मुस्कराते हुए कहा - ठीक है तुम भी पेल लेना पर ये तो वख्त बताएगा की कौन किसकी बुर में लण्ड पलेगी।शाम जैसे जैसे नज़दीक आने लगी वैसे वैसे चूत की चिंगारियां भड़कने लगीं। चूत बुर चोदी शाम होते ही उत्पात मचाने लगती है और रात होते ही बिल से बाहर आ जाती है और लण्ड का शिकार करने के लिए बिल्ली की तरह चकर मकर चारों तरफ देखने लगती है। चूत को रात में कुछ ज्यादा ही दिखाई पड़ता है। कुछ देर बाद मेरा बॉय फ्रेंड फहाद आ गया। मैंने उसे अम्मी जान से मिलवाया। वह उसे देख कर मस्त हो गई क्योंकि लड़का गोरा चिट्टा और हैंडसम था।
उसके बाद रफा भी आ गयी। उसके साथ दो आदमी थे। उसने कहो लो यार साइमा इससे मिलो ये है मेरा ससुर रहमत अली और ये है इसका दोस्त अरमान अली। मैं दोनों को देख कर खुश हुई और अम्मी जान से मिलवाया। अम्मी के भी चेहरे पर चमक आ गयी। दोनों ही अधेड़ उम्र के थे और अच्छी बात यह थी की दोनों क्लीन सेव्ड थे। न दाढ़ी और न मूंछ। मुझे ऐसे ही मरद पसंद हैं। रफ़ा मेरे कान में कहा साइमा मैं दोनों की झांटें बनाकर लाईं हूँ इनके लण्ड और पेल्हड़ बिलकुल चिकने हैं। हम सब लोग एक जगह बैठ गए। मैंने फ़ौरन दारू चालू कर दी। बिना दारू पिए चुदवाने में मज़ा नहीं आता। मुझे तो लण्ड के साथ दारू अच्छी लगती है और दारू के साथ लण्ड। दो दो पैग पीने में वख्त तो लगा पर बातें भी खुल कर हुई।
रफ़ा ने बताया की वह कैसे अपनी माँ का भोसड़ा चुदवाने लगी और अपने अब्बू का लण्ड पीने लगी। अब तो वह खुल कर अपने अब्बू का लण्ड पीती है और उससे खूब मस्ती से चुदवाती है। शादी के बाद तो वह और बेशर्मी से चुदवाने लगी। अपने ससुर का लण्ड खूब पेलती है अपनी चूत में। माईके में रहती है तो वह अपने अब्बू के दोस्तों से चुदवाती है और ससुराल जाती है तो अपने ससुर के दोस्तों से चुदवाती है. फिर मैंने फहाद के लण्ड पर हाथ रख दिया। उसे ऊपर से दबाया और फिर पजामा खोल कर लण्ड बाहर निकाल लिया। रफ़ा भी अपने ससुर का लण्ड बाहर निकाला और उसे बड़े प्यार से हिलाने लगी। तब तक मेरी अम्मी की नज़र अरमान अली के लण्ड पर पहुँच गयी। उसने उसकी लुंगी खोली और लण्ड पकड़ कर सहलाने लगी। हम तीनो के पास एक एक लण्ड आ गया। हम तीनो ने लण्ड मुंह में डाला और मस्ती से चूसने लगीं चाटने लगीं लण्ड। माहौल बहुत जल्दी ही गरम हो गया।
कुछ देर बाद मैंने फहाद का लण्ड अम्मी के भोसड़ा पर रख दिया और एक धक्का दिया तो लण्ड सरसराता हुआ अंदर घुस गया। मैं बोली अम्मी जान मैंने कहा था न की आज मैं तेरा भोसड़ा चोदूँगी। अब मैं तेरा भोसड़ा चोद चोद मज़ा लूंगी। तब तक रफ़ा ने अपने ससुर का लण्ड मेरी चूत में पेल दिया। वह बोली लो साइमा संभालो अपनी चूत में मेरे ससुर का लण्ड ? अब मेरा ससुर तेरी चूत के चीथड़े उड़ाएगा। मैंने कहा अच्छा देखती हूँ की ये मेरी चूत के चीथड़े उड़ाता की मेरी चूत इसके चीथड़े ? अब मेरी चूत तेरे ससुर के लण्ड को भून कर ही बाहर निकालेगी। उधर ससुर के दोस्त अरमान अली ने रफ़ा में अपना लण्ड घुसेड़ दिया। वह बोला लो रफा अब तुम मेरे लण्ड से चुदवाओ। इस तरह तीनो मरद हम तीनो की बुर बजाने लगे और पूरा माहौल चुदाई में बदल गया। आज चुदाई का मज़ा कुछ और ही था।
मैंने पूंछा - अरमान अंकल ये बताओ तूने कभी अपने दोस्त रहमत अली की बेटी चोदी है ?
वह बोला - हां चोदी है और खूब चोदी है। इसकी बेटी बड़े प्यार से मेरा लण्ड चूसती है और फिर चुदवाती है। मैंने कहा - तो इसका मतलब तुम मेरी नन्द की बुर लेते हो।
वह बोला - हां वह देती है तो मैं उसकी बुर लेता हूँ। पर एक बात है रहमत भी मेरी बेटी की बुर लेता है। मेरी बेटी भी इससे चुदवाकर मस्त हो जाती है।
मैंने कहा - अच्छा तो क्या ये बात तेरी बीवी को नहीं मालूम ?
वह बोला - हां बिलकुल मालूम है। मेरी बेटी अपनी अम्मी के सामने ही रहमत से चुदवाती है।
मैंने कहा - बाप रे बाप तेरी बेटी बुर चोदी बड़ी बेशरम है।
वह बोला - हां चुदाई में वह सच में बहुत बेशर्म है पर मेरी बीवी भी तो रहमत अली से चुदवाती है और उसकी बीवी मुझसे चुदवाती है।
मैंने कहा - तो तुम रफ़ा की सास का भोसड़ा चोदते हो।
वह बोला - हां चोदता हूँ।
मैंने कहा - अच्छा तो तुम लोग एक दूसरे की बीव चोदते हो और बेटी भी चोदते हो।
वह बोला - हां तुम सच कह रही हो साइमा पर हम लोग कई दोस्त हैं। सारे दोस्त एक दूसरे की बीवियां भी चोदते हैं और बेटियां भी चोदते हैं। आजकल बेटियां चोदने का भी चलन बड़े जोरों से चल रहा है। बेटियां चोदने में बीवियां चोदने से ज्यादा मज़ा आता है .
फहाद मेरी अम्मी की चूत पीछे से मारने लगा और रफा का ससुर भी मुझे पीछे से चोदने लगा। हम दोनों माँ बेटी एक ही तरह से चुदवाने लगी। तभी रफा अरमान अली के लण्ड पर बैठ गयी। वह कूद कूद कर लण्ड चोदने लगी। मैंने मन में कहा की मैं भी रफ़ा के अब्बू के लण्ड पर बैठ कर ऐसे ही चुदवाती हूँ। रफा का अब्बू मेरी माँ का भोसड़ा भी चोदता है। अम्मी ने कहा - साइमा और रफा तुम दोनों कॉलेज के लण्ड पी पी कर बहुत चुदक्कड़ हो गयी हो। तुम दोनों जिस तरह से चुदवा रही हो उससे मालूम होता है की तुम्हें बुर चुदवाने का अच्छा ख़ासा तज़ुर्बा है। रफ़ा तो बुर चोदी अपनी ससुराल में भी इसी तरह सबसे चुदवाती होगी। रफा ने कहा हां आंटी जी मैं तो सही में सबसे चुदवाती हूँ। मुझे कॉलेज में भी लड़कों के लण्ड बहुत पसंद हैं और मैं अपनी ससुराल के भी लण्ड मैं बहुत पसंद करती हूँ। मेरे कॉलेज में एक टीचर है लियाकत अली। उसका लण्ड मेरे ससुर के लण्ड से मिलता जुलता है। मैं उसे खूब चुदवाती हूँ। उसका लण्ड पीती भी खूब हूँ। बाकी सारे लड़के अपना अपना लण्ड मेरी चूत के अलावा मेरी चूँचियाँ में मेरी गांड में भी पेल देते हैं। मैं बहुत एन्जॉय करती हूँ। मज़ा करती हूँ। इतने में फहाद ने लण्ड रफ़ा की बुर में घुसा दिया। वह रफा की बुर चोदने लगा। रफा का ससुर उठा और मेरी अम्मी के भोसड़ा में लण्ड पेल दिया। तब तक अरमान अली ने अपना लण्ड मेरी बुर में घुसा दिया। अब मैं रफा के ससुर के दोस्त से चुदवाने लगी। हम तीनो लण्ड बदल गये। लण्ड अदल बदल कर चुदवाने का मज़ा ही कुछ और है ? ये मज़ा मैं हर बार लेती हूँ।
अगले दिन मैं अपने कॉलेज से दो विदेशी लड़के लेकर अम्मी जान के पास आ गई। वे थे बोरिक और हार्डी। दोनों ही मेरी क्लास में पढ़ते थे। और दोनों ही मस्त गोरे चिट्टे अच्छे कद काठी वाले हे। अम्मी जान उन्हें देख कर मोहित हो गईं। तब तक ुड़ज्जर रफा भी अपने दो दोस्तों के साथ अम्मी के पास आ गयी। वह बोली लो आंटी जी ये है पीटर आउट ये है लारी दोनों मेरे कॉलेज के दोस्त हैं, विदेशी हैं। आज मैं इन्हे तेरे सामने नंगा करूंगी और लण्ड तेरे हाथ में रख दूँगी। अम्मी जान का भैहरा खिल गया। वह बोली हाय तो क्या मैं चार चार लण्ड एक साथ अपनी बर में पेल लूंगी।
रफ़ा बोली - नहीं आंटी जी जितने मन हो उतने तुम ले लेना बाकी मैं तेरी बिटिया की बुर में घुसा दूँगी। इतने में मैं रफ़ा को ही नंगी करने लगी। वह जब नंगी हुई तो मैंने हार्डी के कपड़े खोले और उसका लौड़ा रफ़ा को पकड़ा दिया और कहा मैं पहले चोदूँगी तेरी बुर रफ़ा। उधर बोरिक को नंगा कर्क उसका लण्ड अम्मी के मुंह में घुसा दिया और कहा लो पहले विदेशी लण्ड मुंह में ले लो फिर अपनी बुर में ले लना। अम्मी जान मस्त होने लगीं। रफा भी कम न थी उसने इशारा किया तो पीटर ने अपना लण्ड मेरी अम्मी के भोसड़ा में घुसा दिया और लारी का लण्ड मेरे मुंह में ठूंस दिया।
अब अम्मी जान तो दो दो विदेशी लण्ड से खेलने लगी और मैं लारी के लण्ड का मज़ा लेने लगी। रफा भी हार्डी के लण्ड का सुपाड़ा चाटने लगी और पेल्हड़ चूमने लगी।
अम्मी जान ने कहा - हाय मेरी भोसड़ी की साइमा बेटी आज मैं ज़िन्दगी में पहली बार इतने सारे नॉन - मुस्लिम लण्ड एक साथ देख रही हूँ। आज मुझे मालूम हुआ की नॉन - मुस्लिम लण्ड भी बड़े खूबसूरत होतें हैं, मोटे तगड़े और जबरदस्त होतें हैं आज तेरी माँ के भोसड़ा की ख़ैर नहीं, बेटी साइमा।
मैंने कहा - हां अम्मी जान, आज तो तेरी बिटिया की बुर की भी ख़ैर नहीं। आज तेरी बिटिया की खूब अच्छी तरह चोदी जाएगी।
०=०=०=०=०=० समाप्त
वह बोली - लण्ड की कमी नहीं चची जान। कॉलेज के लड़के हैं टीचर्स हैं दूसरे कॉलेज के लड़के भी आतें हैं। होटलों से भी लड़के आतें हैं। कभी कभी विदेशी लड़के भी आतें हैं।
अम्मी ने कहा - हाय अल्ला तो फिर मुझे भी दिलाओ न विदेशी लण्ड। मैंने आज तक कोई विदेशी लण्ड देखा ही नहीं पकड़ने की कौन कहे ?
मैंने कहा - अच्छा, तो मैं तुम्हे दूँगी विदेशी लण्ड, अम्मी जान। पर आज तो कोई देशी लण्ड तेरे भोसड़ा में पेलूँगी। वह बोली - हां पेल लेना भोसड़ी वाली। मैं भी आज तेरी बुर में कोई देशी लण्ड घुसेड़ूँगी, साइमा।
तब तक रफ़ा बोली - देशी लण्ड तो मैं भी पेलूँगी साइमा तेरी चूत में। ,,,,,,,,,,,,,,,,
मैंने मुस्कराते हुए कहा - ठीक है तुम भी पेल लेना पर ये तो वख्त बताएगा की कौन किसकी बुर में लण्ड पलेगी।शाम जैसे जैसे नज़दीक आने लगी वैसे वैसे चूत की चिंगारियां भड़कने लगीं। चूत बुर चोदी शाम होते ही उत्पात मचाने लगती है और रात होते ही बिल से बाहर आ जाती है और लण्ड का शिकार करने के लिए बिल्ली की तरह चकर मकर चारों तरफ देखने लगती है। चूत को रात में कुछ ज्यादा ही दिखाई पड़ता है। कुछ देर बाद मेरा बॉय फ्रेंड फहाद आ गया। मैंने उसे अम्मी जान से मिलवाया। वह उसे देख कर मस्त हो गई क्योंकि लड़का गोरा चिट्टा और हैंडसम था।
उसके बाद रफा भी आ गयी। उसके साथ दो आदमी थे। उसने कहो लो यार साइमा इससे मिलो ये है मेरा ससुर रहमत अली और ये है इसका दोस्त अरमान अली। मैं दोनों को देख कर खुश हुई और अम्मी जान से मिलवाया। अम्मी के भी चेहरे पर चमक आ गयी। दोनों ही अधेड़ उम्र के थे और अच्छी बात यह थी की दोनों क्लीन सेव्ड थे। न दाढ़ी और न मूंछ। मुझे ऐसे ही मरद पसंद हैं। रफ़ा मेरे कान में कहा साइमा मैं दोनों की झांटें बनाकर लाईं हूँ इनके लण्ड और पेल्हड़ बिलकुल चिकने हैं। हम सब लोग एक जगह बैठ गए। मैंने फ़ौरन दारू चालू कर दी। बिना दारू पिए चुदवाने में मज़ा नहीं आता। मुझे तो लण्ड के साथ दारू अच्छी लगती है और दारू के साथ लण्ड। दो दो पैग पीने में वख्त तो लगा पर बातें भी खुल कर हुई।
रफ़ा ने बताया की वह कैसे अपनी माँ का भोसड़ा चुदवाने लगी और अपने अब्बू का लण्ड पीने लगी। अब तो वह खुल कर अपने अब्बू का लण्ड पीती है और उससे खूब मस्ती से चुदवाती है। शादी के बाद तो वह और बेशर्मी से चुदवाने लगी। अपने ससुर का लण्ड खूब पेलती है अपनी चूत में। माईके में रहती है तो वह अपने अब्बू के दोस्तों से चुदवाती है और ससुराल जाती है तो अपने ससुर के दोस्तों से चुदवाती है. फिर मैंने फहाद के लण्ड पर हाथ रख दिया। उसे ऊपर से दबाया और फिर पजामा खोल कर लण्ड बाहर निकाल लिया। रफ़ा भी अपने ससुर का लण्ड बाहर निकाला और उसे बड़े प्यार से हिलाने लगी। तब तक मेरी अम्मी की नज़र अरमान अली के लण्ड पर पहुँच गयी। उसने उसकी लुंगी खोली और लण्ड पकड़ कर सहलाने लगी। हम तीनो के पास एक एक लण्ड आ गया। हम तीनो ने लण्ड मुंह में डाला और मस्ती से चूसने लगीं चाटने लगीं लण्ड। माहौल बहुत जल्दी ही गरम हो गया।
कुछ देर बाद मैंने फहाद का लण्ड अम्मी के भोसड़ा पर रख दिया और एक धक्का दिया तो लण्ड सरसराता हुआ अंदर घुस गया। मैं बोली अम्मी जान मैंने कहा था न की आज मैं तेरा भोसड़ा चोदूँगी। अब मैं तेरा भोसड़ा चोद चोद मज़ा लूंगी। तब तक रफ़ा ने अपने ससुर का लण्ड मेरी चूत में पेल दिया। वह बोली लो साइमा संभालो अपनी चूत में मेरे ससुर का लण्ड ? अब मेरा ससुर तेरी चूत के चीथड़े उड़ाएगा। मैंने कहा अच्छा देखती हूँ की ये मेरी चूत के चीथड़े उड़ाता की मेरी चूत इसके चीथड़े ? अब मेरी चूत तेरे ससुर के लण्ड को भून कर ही बाहर निकालेगी। उधर ससुर के दोस्त अरमान अली ने रफ़ा में अपना लण्ड घुसेड़ दिया। वह बोला लो रफा अब तुम मेरे लण्ड से चुदवाओ। इस तरह तीनो मरद हम तीनो की बुर बजाने लगे और पूरा माहौल चुदाई में बदल गया। आज चुदाई का मज़ा कुछ और ही था।
मैंने पूंछा - अरमान अंकल ये बताओ तूने कभी अपने दोस्त रहमत अली की बेटी चोदी है ?
वह बोला - हां चोदी है और खूब चोदी है। इसकी बेटी बड़े प्यार से मेरा लण्ड चूसती है और फिर चुदवाती है। मैंने कहा - तो इसका मतलब तुम मेरी नन्द की बुर लेते हो।
वह बोला - हां वह देती है तो मैं उसकी बुर लेता हूँ। पर एक बात है रहमत भी मेरी बेटी की बुर लेता है। मेरी बेटी भी इससे चुदवाकर मस्त हो जाती है।
मैंने कहा - अच्छा तो क्या ये बात तेरी बीवी को नहीं मालूम ?
वह बोला - हां बिलकुल मालूम है। मेरी बेटी अपनी अम्मी के सामने ही रहमत से चुदवाती है।
मैंने कहा - बाप रे बाप तेरी बेटी बुर चोदी बड़ी बेशरम है।
वह बोला - हां चुदाई में वह सच में बहुत बेशर्म है पर मेरी बीवी भी तो रहमत अली से चुदवाती है और उसकी बीवी मुझसे चुदवाती है।
मैंने कहा - तो तुम रफ़ा की सास का भोसड़ा चोदते हो।
वह बोला - हां चोदता हूँ।
मैंने कहा - अच्छा तो तुम लोग एक दूसरे की बीव चोदते हो और बेटी भी चोदते हो।
वह बोला - हां तुम सच कह रही हो साइमा पर हम लोग कई दोस्त हैं। सारे दोस्त एक दूसरे की बीवियां भी चोदते हैं और बेटियां भी चोदते हैं। आजकल बेटियां चोदने का भी चलन बड़े जोरों से चल रहा है। बेटियां चोदने में बीवियां चोदने से ज्यादा मज़ा आता है .
फहाद मेरी अम्मी की चूत पीछे से मारने लगा और रफा का ससुर भी मुझे पीछे से चोदने लगा। हम दोनों माँ बेटी एक ही तरह से चुदवाने लगी। तभी रफा अरमान अली के लण्ड पर बैठ गयी। वह कूद कूद कर लण्ड चोदने लगी। मैंने मन में कहा की मैं भी रफ़ा के अब्बू के लण्ड पर बैठ कर ऐसे ही चुदवाती हूँ। रफा का अब्बू मेरी माँ का भोसड़ा भी चोदता है। अम्मी ने कहा - साइमा और रफा तुम दोनों कॉलेज के लण्ड पी पी कर बहुत चुदक्कड़ हो गयी हो। तुम दोनों जिस तरह से चुदवा रही हो उससे मालूम होता है की तुम्हें बुर चुदवाने का अच्छा ख़ासा तज़ुर्बा है। रफ़ा तो बुर चोदी अपनी ससुराल में भी इसी तरह सबसे चुदवाती होगी। रफा ने कहा हां आंटी जी मैं तो सही में सबसे चुदवाती हूँ। मुझे कॉलेज में भी लड़कों के लण्ड बहुत पसंद हैं और मैं अपनी ससुराल के भी लण्ड मैं बहुत पसंद करती हूँ। मेरे कॉलेज में एक टीचर है लियाकत अली। उसका लण्ड मेरे ससुर के लण्ड से मिलता जुलता है। मैं उसे खूब चुदवाती हूँ। उसका लण्ड पीती भी खूब हूँ। बाकी सारे लड़के अपना अपना लण्ड मेरी चूत के अलावा मेरी चूँचियाँ में मेरी गांड में भी पेल देते हैं। मैं बहुत एन्जॉय करती हूँ। मज़ा करती हूँ। इतने में फहाद ने लण्ड रफ़ा की बुर में घुसा दिया। वह रफा की बुर चोदने लगा। रफा का ससुर उठा और मेरी अम्मी के भोसड़ा में लण्ड पेल दिया। तब तक अरमान अली ने अपना लण्ड मेरी बुर में घुसा दिया। अब मैं रफा के ससुर के दोस्त से चुदवाने लगी। हम तीनो लण्ड बदल गये। लण्ड अदल बदल कर चुदवाने का मज़ा ही कुछ और है ? ये मज़ा मैं हर बार लेती हूँ।
अगले दिन मैं अपने कॉलेज से दो विदेशी लड़के लेकर अम्मी जान के पास आ गई। वे थे बोरिक और हार्डी। दोनों ही मेरी क्लास में पढ़ते थे। और दोनों ही मस्त गोरे चिट्टे अच्छे कद काठी वाले हे। अम्मी जान उन्हें देख कर मोहित हो गईं। तब तक ुड़ज्जर रफा भी अपने दो दोस्तों के साथ अम्मी के पास आ गयी। वह बोली लो आंटी जी ये है पीटर आउट ये है लारी दोनों मेरे कॉलेज के दोस्त हैं, विदेशी हैं। आज मैं इन्हे तेरे सामने नंगा करूंगी और लण्ड तेरे हाथ में रख दूँगी। अम्मी जान का भैहरा खिल गया। वह बोली हाय तो क्या मैं चार चार लण्ड एक साथ अपनी बर में पेल लूंगी।
रफ़ा बोली - नहीं आंटी जी जितने मन हो उतने तुम ले लेना बाकी मैं तेरी बिटिया की बुर में घुसा दूँगी। इतने में मैं रफ़ा को ही नंगी करने लगी। वह जब नंगी हुई तो मैंने हार्डी के कपड़े खोले और उसका लौड़ा रफ़ा को पकड़ा दिया और कहा मैं पहले चोदूँगी तेरी बुर रफ़ा। उधर बोरिक को नंगा कर्क उसका लण्ड अम्मी के मुंह में घुसा दिया और कहा लो पहले विदेशी लण्ड मुंह में ले लो फिर अपनी बुर में ले लना। अम्मी जान मस्त होने लगीं। रफा भी कम न थी उसने इशारा किया तो पीटर ने अपना लण्ड मेरी अम्मी के भोसड़ा में घुसा दिया और लारी का लण्ड मेरे मुंह में ठूंस दिया।
अब अम्मी जान तो दो दो विदेशी लण्ड से खेलने लगी और मैं लारी के लण्ड का मज़ा लेने लगी। रफा भी हार्डी के लण्ड का सुपाड़ा चाटने लगी और पेल्हड़ चूमने लगी।
अम्मी जान ने कहा - हाय मेरी भोसड़ी की साइमा बेटी आज मैं ज़िन्दगी में पहली बार इतने सारे नॉन - मुस्लिम लण्ड एक साथ देख रही हूँ। आज मुझे मालूम हुआ की नॉन - मुस्लिम लण्ड भी बड़े खूबसूरत होतें हैं, मोटे तगड़े और जबरदस्त होतें हैं आज तेरी माँ के भोसड़ा की ख़ैर नहीं, बेटी साइमा।
मैंने कहा - हां अम्मी जान, आज तो तेरी बिटिया की बुर की भी ख़ैर नहीं। आज तेरी बिटिया की खूब अच्छी तरह चोदी जाएगी।
०=०=०=०=०=० समाप्त
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