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नौकरानी की गर्मागर्म चूत सहला कर चोदा - Naukrani ki garma garm chut ki chudai
नौकरानी की गर्मागर्म चूत सहला कर चोदा - Naukrani ki garma garm chut sahla kar choda
आज मै भी थोडा टाइम निकल कर अपनी कहानी लिख रहा हूँ आशा करता हूँ की मेरी कहानी भी आप लोगो को जरुर पसंद आयेगी ज्यादा न बोलते हुए सीधे कहानी पर चलता हूँ मै उत्तर प्रदेश के लखनऊ में रहता हूँ वहा पर मेरा रूम है मेरे रूम में एक नौकरानी काम करती थी। उसका नाम सुनैना था। उमर करीब २३ साल होगी, फिगर ३४-२८-३६। उसके बूब्स बड़े बड़े थे। जब वो चलती थी तो उसके दोनों चूतड़ काफ़ी सेक्सी लगते थे। उसका नज़रें मिलाकर मुस्कुराना भी मुझे बड़ा कामातुर कर देता था।
आख़िर एक दिन मुझे मस्ती करने का और उसके कामातुर होने का मज़ा मिल गया। एक दिन मैं अपने ऑफिस से रूम पर आया तो मैंने सुनैना को आवाज़ दी, कोई जवाब ना पा कर मैंने सोचा कि वो रूम पर नहीं है। मैं थका हुआ था इस लिए अपने कपड़े उतार कर मै नहाने के लिए स्नानघर में घुसा, घुसते ही मैंने देखा कि सुनैना नहा रही थी, उसके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था, वो पूरी नंगी होकर नहा रही थी, उसकी पीठ मेरी तरफ़ थी इसलिए उसने मुझे नहीं देखा।
शायद सोचा होगा कि इस वक्त कौन आएगा इस लिए शायद बाथरूम का दरवाज़ा बंद नहीं किया, मैंने सोच लिया आज तो इसे जरूर चोदुंगा, मैंने चुपके से उसके सारे कपड़े उठाये और बाहर आ गया और ड्राइंग रूम में बैठ गया। थोड़ी देर बाद उसका चेहरा दरवाज़े से झांकता दिखाई दिया, वो बोली निलेश (पहले सर बोलती थी मैंने ही बोला मुझे नाम से बुलाया करो, नहीं तो मुझसे बात मत करना, तभी से वो काफ़ी खुलकर बात करती थी ) मेरे कपड़े दे दीजिए” मैंने कहा “ख़ुद आ कर ले लो”
वो अपने बूब्स को दोनों हाथों से ढक कर बाहर आयी, मेरे सामने एक लड़की बगैर कपड़ों के खड़ी थी यह देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया। मै आप को एक सच्ची कहानी सुनाता हूँ। मेरे लखनऊ वाले रूम में एक नौकरानी काम करती थी। उसका नाम सुनैना था। उमर करीब २२ साल होगी, फिगर ३२-२८-३४। उसके बूब्स बड़े बड़े थे। जब वो चलती थी तो उसके दोनों चूतड़ काफ़ी सेक्सी लगते थे। उसका नज़रें मिलाकर मुस्कुराना भी मुझे बड़ा कामातुर कर देता था।
आख़िर एक दिन मुझे मस्ती करने का और उसके कामातुर होने का मज़ा मिल गया। एक दिन मैं अपने ऑफिस से रूम पर आया तो मैंने सुनैना को आवाज़ दी, कोई जवाब ना पा कर मैंने सोचा कि वो रूम पर नहीं है। मैं थका हुआ था इस लिए अपने कपड़े उतार कर मै नहाने के लिए स्नानघर में घुसा, घुसते ही मैंने देखा कि सुनैना नहा रही थी, उसके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था, वो पूरी नंगी होकर नहा रही थी, उसकी पीठ मेरी तरफ़ थी इसलिए उसने मुझे नहीं देखा।
शायद सोचा होगा कि इस वक्त कौन आएगा इस लिए शायद बाथरूम का दरवाज़ा बंद नहीं किया, मैंने सोच लिया आज तो इसे जरूर चोदुंगा, मैंने चुपके से उसके सारे कपड़े उठाये और बाहर आ गया और ड्राइंग रूम में बैठ गया। थोड़ी देर बाद उसका चेहरा दरवाज़े से झांकता दिखाई दिया, वो बोली निलेश (पहले सर बोलती थी मैंने ही बोला मुझे नाम से बुलाया करो, नहीं तो मुझसे बात मत करना, तभी से वो काफ़ी खुलकर बात करती थी ) मेरे कपड़े दे दीजिए”
मैंने कहा “ख़ुद आ कर ले लो”
वो अपने बूब्स को दोनों हाथों से ढक कर बाहर आयी, मेरे सामने एक लड़की बगैर कपड़ों के खड़ी थी यह देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया। थोड़ी देर के बाद मैं नीचे कमर के बल लेट गया और मेरा लंड सीधा ९० डिग्री पर था, मैंने सुनैना को अपने ऊपर बुलाया और बोला कि अब तुम्हारी बारी है चलो घुड़सवारी का मजा लो।
वो पहले तो शरमाई लेकिन मस्ती की वजह से फौरन मेरे ऊपर आकर मेरे लंड को पकड़ा और उसपर बैठने की कोशिश करने लगी। जैसे जैसे लंड चूत में घुस रहा था उसके मुंह पर एक मस्ती भरी मुस्कान छा रही थी, खुले बाल उसके चेहरे को और भी सुंदर बना रहे थे और उसकी आखों में ना जाने कितनी मधुशाला की मस्ती छा रही थी वो म बता नहीं सकता। दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | उसकी एक एक सीत्कार और अपने होंठों को हलके से काटना और फिर अपनी चूचियों के चुचुकों को सहलाना बड़ा ही कामुक दृश्य बन गया था, मुझे उसके धक्के बड़े भारी पड़ रहे थे क्योंकि इस मुद्रा में चूत की कसावट और ज्यादा हो गई थी और मस्ती में वो भी पूरे कस कस के मेरे लंड को पूरा का पूरा लिए जा रही थी।
थोड़ी देर बाद ही वो मेरी छाती पर चूचियां रगड़ते हुए बिल्कुल सामने आ चुकी थी दोनों आपस में एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे, तभी मैंने देखा कि उसने अपनी रफ्तार अचानक से तेज कर दी और मेरे मुंह में अपनी जीभ डालकर मुंह के रस को ले रही थी मुझसे नियंत्रण नहीं हो पा रहा था और लगता था कि मैं कभी भी वीर्य की बौछार कर दूँगा वो भी अपने चरमोत्कर्ष पर थी और अपने पूरे शरीर को झकजोरते हुए ज़बरदस्त धक्के लगा रही थी ..ओ ओ ओह्ह ह्ह्छ निलेश ऊ ओ ओह ह्ह्ह मेरे सोना सोना …ओह ह्ह्ह्छ जानू मेरी जान न निकल जाए मुझे कस के पकड़ लो।
मैंने उसको कस के पकड़ लिया और अपनी टांगे उसकी टांगों में कैंची की तरह फंसा ली। वो ऐसी छुटी कि उसकी चूत का रस मेरी जांघों पर भी महसूस हो रहा था और करीब चार पाँच धीरे धीरे उसने धक्को के साथ अपना आपा खो दिया और पागलों की तरह मेरे कंधे पर काट लिया, उसने मुझे इतनी जोर से पकड़ा था कि जैसे कोई बहुत बड़ा करंट लग गया हो करीब पाँच मिनुटे बाद वो उठी तो शरमाती हुई हंसने लगी और बड़े ही अचरज से मेरे लंड पर गिरा हुआ अपना रस देखने लगी,
बोली- निलेश ये पहली बार है जो मुझे पूरी तरह संतुष्टि मिली है और मैंने पानी छोड़ा है वरना अब तक जो भी मैं ३-४ बार चुदी हूँ उसमें मैंने दूसरो के झाडे हुए पानी को देखा था। आज तुमने मुझे अहसास दिलाया है कि एक औरत की ज़िन्दगी में सबसे बेशकीमती चीज़ है औरत का पानी झड़ना। मुझे नहीं पता ये अहसान मैं कैसे उतारूंगी पर जब तक जिंदा हूँ इस बेशकीमती आनंद से और संतुष्टि से भरे हुए पल कभी नहीं भूलूंगी…।
मेरा पेशाब आ रहा था तो मैंने हँसता हुआ बोला अभी आता हूँ मेरा भी काम बाकी है। मैं टॉयलेट की तरफ़ मुड़ा तो वो बोली तुम्हारी पीठ पर खून कैसा? मैंने कहा- जब तुम सातवें आसमान की सैर कर रही थी तो इतना कस के जकड़ा कि तुम्हारे नाखून से मेरी पीठ पर खरोंच आ गई। दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | वोह बोली- मैं आज के बाद ये नाखून काट दूंगी और मुझे माफ़ करदो। मैंने कहा- पागल ये तो मैं चाहता था, तुम्हें मेरी कसम जो नाखून काटे। जब कोई भी इंसान पहली बार झड़ता है तो उसको नहीं पता होता उससे क्या क्या हो रहा है। ये देखो कंधे पर कितनी ज़ोर का काटा है |
वोह बोली- ये तो मुझे पता है चलो अब जल्दी से अपना काम भी कर लो। मैंने फिर से उसको घोड़ी बनाया और उसके कूल्हों को पकड़कर अपनी रफ्तार बढ़ा दी। सुनैना से सहा नहीं जा रहा था और जोर जोर से अओउच। …उई ई ओ ऊ ओह हह कर रही थी कुछ धक्कों के साथ ही मेरे अन्दर से सुनामी की तरह तूफ़ान आया और सुनैना की चूत को भरता हुआ बाहर तक आ गया।
हम दोनों उसी अवस्था में बेड पर जा गिरे और पता नहीं कितनी देर तक ऐसे ही पड़े रहे। वो मुझ पर फ़िदा हो चुकी थी और उसकी आंखों में मेरे लिए एक प्रेमिका का प्यार साफ़ झलक रहा था मैंने उसके होंठों को चूमा और बोला कि मैं तुम्हारा शुक्रिया अदा करता हूँ जो समय तुमने दिया वो मुझे भी याद रहेगा, मैंने भी तुम्हारे जितनी सेक्स मैं बिल्कुल पागल होकर चाहने वाली लड़की नहीं देखी। आइ लव यू सुनैना। दिल से !
फिर मैंने पूछा सुनैना मज़ा आया ?
वो बोली- हाँ बहुत मज़ा आया। आप बहुत अच्छा चोदते हैं। अब मैं रोज़ ! ! आपसे ही चुदवाउंगी। फिर तो हम रोज़ ही चुदाई का मज़ा लेने लगे। ये सब तब तक चला जब तक उसकी शादी नहीं हो गई। दोस्तों आप लोगो की प्रतिक्रिया मिलने के बाद मै अपनी अगली कहानी जल्द ही भेजुगा |
आज मै भी थोडा टाइम निकल कर अपनी कहानी लिख रहा हूँ आशा करता हूँ की मेरी कहानी भी आप लोगो को जरुर पसंद आयेगी ज्यादा न बोलते हुए सीधे कहानी पर चलता हूँ मै उत्तर प्रदेश के लखनऊ में रहता हूँ वहा पर मेरा रूम है मेरे रूम में एक नौकरानी काम करती थी। उसका नाम सुनैना था। उमर करीब २३ साल होगी, फिगर ३४-२८-३६। उसके बूब्स बड़े बड़े थे। जब वो चलती थी तो उसके दोनों चूतड़ काफ़ी सेक्सी लगते थे। उसका नज़रें मिलाकर मुस्कुराना भी मुझे बड़ा कामातुर कर देता था।
आख़िर एक दिन मुझे मस्ती करने का और उसके कामातुर होने का मज़ा मिल गया। एक दिन मैं अपने ऑफिस से रूम पर आया तो मैंने सुनैना को आवाज़ दी, कोई जवाब ना पा कर मैंने सोचा कि वो रूम पर नहीं है। मैं थका हुआ था इस लिए अपने कपड़े उतार कर मै नहाने के लिए स्नानघर में घुसा, घुसते ही मैंने देखा कि सुनैना नहा रही थी, उसके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था, वो पूरी नंगी होकर नहा रही थी, उसकी पीठ मेरी तरफ़ थी इसलिए उसने मुझे नहीं देखा।
शायद सोचा होगा कि इस वक्त कौन आएगा इस लिए शायद बाथरूम का दरवाज़ा बंद नहीं किया, मैंने सोच लिया आज तो इसे जरूर चोदुंगा, मैंने चुपके से उसके सारे कपड़े उठाये और बाहर आ गया और ड्राइंग रूम में बैठ गया। थोड़ी देर बाद उसका चेहरा दरवाज़े से झांकता दिखाई दिया, वो बोली निलेश (पहले सर बोलती थी मैंने ही बोला मुझे नाम से बुलाया करो, नहीं तो मुझसे बात मत करना, तभी से वो काफ़ी खुलकर बात करती थी ) मेरे कपड़े दे दीजिए” मैंने कहा “ख़ुद आ कर ले लो”
वो अपने बूब्स को दोनों हाथों से ढक कर बाहर आयी, मेरे सामने एक लड़की बगैर कपड़ों के खड़ी थी यह देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया। मै आप को एक सच्ची कहानी सुनाता हूँ। मेरे लखनऊ वाले रूम में एक नौकरानी काम करती थी। उसका नाम सुनैना था। उमर करीब २२ साल होगी, फिगर ३२-२८-३४। उसके बूब्स बड़े बड़े थे। जब वो चलती थी तो उसके दोनों चूतड़ काफ़ी सेक्सी लगते थे। उसका नज़रें मिलाकर मुस्कुराना भी मुझे बड़ा कामातुर कर देता था।
आख़िर एक दिन मुझे मस्ती करने का और उसके कामातुर होने का मज़ा मिल गया। एक दिन मैं अपने ऑफिस से रूम पर आया तो मैंने सुनैना को आवाज़ दी, कोई जवाब ना पा कर मैंने सोचा कि वो रूम पर नहीं है। मैं थका हुआ था इस लिए अपने कपड़े उतार कर मै नहाने के लिए स्नानघर में घुसा, घुसते ही मैंने देखा कि सुनैना नहा रही थी, उसके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था, वो पूरी नंगी होकर नहा रही थी, उसकी पीठ मेरी तरफ़ थी इसलिए उसने मुझे नहीं देखा।
शायद सोचा होगा कि इस वक्त कौन आएगा इस लिए शायद बाथरूम का दरवाज़ा बंद नहीं किया, मैंने सोच लिया आज तो इसे जरूर चोदुंगा, मैंने चुपके से उसके सारे कपड़े उठाये और बाहर आ गया और ड्राइंग रूम में बैठ गया। थोड़ी देर बाद उसका चेहरा दरवाज़े से झांकता दिखाई दिया, वो बोली निलेश (पहले सर बोलती थी मैंने ही बोला मुझे नाम से बुलाया करो, नहीं तो मुझसे बात मत करना, तभी से वो काफ़ी खुलकर बात करती थी ) मेरे कपड़े दे दीजिए”
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वो पहले तो शरमाई लेकिन मस्ती की वजह से फौरन मेरे ऊपर आकर मेरे लंड को पकड़ा और उसपर बैठने की कोशिश करने लगी। जैसे जैसे लंड चूत में घुस रहा था उसके मुंह पर एक मस्ती भरी मुस्कान छा रही थी, खुले बाल उसके चेहरे को और भी सुंदर बना रहे थे और उसकी आखों में ना जाने कितनी मधुशाला की मस्ती छा रही थी वो म बता नहीं सकता। दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | उसकी एक एक सीत्कार और अपने होंठों को हलके से काटना और फिर अपनी चूचियों के चुचुकों को सहलाना बड़ा ही कामुक दृश्य बन गया था, मुझे उसके धक्के बड़े भारी पड़ रहे थे क्योंकि इस मुद्रा में चूत की कसावट और ज्यादा हो गई थी और मस्ती में वो भी पूरे कस कस के मेरे लंड को पूरा का पूरा लिए जा रही थी।
थोड़ी देर बाद ही वो मेरी छाती पर चूचियां रगड़ते हुए बिल्कुल सामने आ चुकी थी दोनों आपस में एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे, तभी मैंने देखा कि उसने अपनी रफ्तार अचानक से तेज कर दी और मेरे मुंह में अपनी जीभ डालकर मुंह के रस को ले रही थी मुझसे नियंत्रण नहीं हो पा रहा था और लगता था कि मैं कभी भी वीर्य की बौछार कर दूँगा वो भी अपने चरमोत्कर्ष पर थी और अपने पूरे शरीर को झकजोरते हुए ज़बरदस्त धक्के लगा रही थी ..ओ ओ ओह्ह ह्ह्छ निलेश ऊ ओ ओह ह्ह्ह मेरे सोना सोना …ओह ह्ह्ह्छ जानू मेरी जान न निकल जाए मुझे कस के पकड़ लो।
मैंने उसको कस के पकड़ लिया और अपनी टांगे उसकी टांगों में कैंची की तरह फंसा ली। वो ऐसी छुटी कि उसकी चूत का रस मेरी जांघों पर भी महसूस हो रहा था और करीब चार पाँच धीरे धीरे उसने धक्को के साथ अपना आपा खो दिया और पागलों की तरह मेरे कंधे पर काट लिया, उसने मुझे इतनी जोर से पकड़ा था कि जैसे कोई बहुत बड़ा करंट लग गया हो करीब पाँच मिनुटे बाद वो उठी तो शरमाती हुई हंसने लगी और बड़े ही अचरज से मेरे लंड पर गिरा हुआ अपना रस देखने लगी,
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मेरा पेशाब आ रहा था तो मैंने हँसता हुआ बोला अभी आता हूँ मेरा भी काम बाकी है। मैं टॉयलेट की तरफ़ मुड़ा तो वो बोली तुम्हारी पीठ पर खून कैसा? मैंने कहा- जब तुम सातवें आसमान की सैर कर रही थी तो इतना कस के जकड़ा कि तुम्हारे नाखून से मेरी पीठ पर खरोंच आ गई। दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | वोह बोली- मैं आज के बाद ये नाखून काट दूंगी और मुझे माफ़ करदो। मैंने कहा- पागल ये तो मैं चाहता था, तुम्हें मेरी कसम जो नाखून काटे। जब कोई भी इंसान पहली बार झड़ता है तो उसको नहीं पता होता उससे क्या क्या हो रहा है। ये देखो कंधे पर कितनी ज़ोर का काटा है |
वोह बोली- ये तो मुझे पता है चलो अब जल्दी से अपना काम भी कर लो। मैंने फिर से उसको घोड़ी बनाया और उसके कूल्हों को पकड़कर अपनी रफ्तार बढ़ा दी। सुनैना से सहा नहीं जा रहा था और जोर जोर से अओउच। …उई ई ओ ऊ ओह हह कर रही थी कुछ धक्कों के साथ ही मेरे अन्दर से सुनामी की तरह तूफ़ान आया और सुनैना की चूत को भरता हुआ बाहर तक आ गया।
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