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जीजाजी के बड़े भाई ने गांड मारी - जीजा साली की चुदाई मस्ती से चोदा - Jija Sali ki majedar chudai
जीजाजी के बड़े भाई ने गांड मारी - जीजा साली की चुदाई मस्ती से चोदा - Jija Sali ki majedar chudai , Antarvasna Sex Stories , Hindi Sex Story , Real Indian Chudai Kahani , choda chadi cudai cudi coda free of cost , Time pass Story , Adult xxx vasna kahaniyan.
बात कुछ साल पुरानी है पर है बिल्कुल सच्ची। उस समय मैं सेक्स के बारे में बिल्कुल अंजान था। मैंने कभी मुठ भी नहीं मारी थी। गर्मियों की छुट्टियों में मुझे अपनी दीदी की ससुराल में जाने का मौका मिला। दो माह की छुट्टियाँ बिताने मैं और मेरा छोटा भाई दीदी की ससुराल में पहुंचे। उनका घर काफी बड़ा था लगभग १०-१२ कमरे का। कुछ कमरे तो उपयोग में ही नहीं आते थे। उनके घर में दीदी और जीजाजी के साथ ही उनके चाचा-चाची तथा बड़े भाई और उनका परिवार रहता था।
जीजाजी के बड़े भाई को हम बड़े जीजाजी कहकर बुलाते थे, वह फॉरेस्ट रेंजर थे तथा एक सप्ताह में दो तीन दिनों तक बाहर जंगल में रहते थे। उनके दो बच्चे थे उनका बड़ा बेटा मुझसे छोटा था।
बड़े जीजाजी बड़े कामुक प्रवृति के इन्सान थे हालाँकि मैं उस समय इस शब्द के बारे में नहीं जानता था। जब भी वे मुझे अकेला पाते, मेरे गाल पर चिकोटी काट देते। कुछ दिनों बाद वे मेरे गालों और ओंठों को चूमने लगे।
एक दिन जब मैं छत पर अकेला खड़ा उड़ती हुई पतंगों को देख रहा था तो वो भी छत पर आ पहुंचे। उन्होंने मुझे पकड़ कर मेरे कूल्हों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। मुझे काफी अटपटा लगा। जैसे तैसे मैं हाथ छुड़ा कर भाग आया। अब मुझे उनके सामने जाने में भी डर लगने लगा, पर वे मौका ताड़ कर मुझसे छेड़-छाड़ करते रहते।
अभी तक वह मेरे कूल्हे कपडों के ऊपर से सहलाते थे एक दिन उन्होंने मेरी शोर्ट्स के अन्दर हाथ डालकर कूल्हे सहलाये। मुझे अच्छा तो लगा पर डर भी लगा। मैं उनके इरादों को कुछ कुछ समझने लगा। पर वो क्या करने वाले हैं यह मैं अब भी पूरी तरह नहीं समझ पाया था। मैं उनसे बच कर रहने लगा और उनके सामने ना आने का प्रयास करता।
एक दिन दोपहर को वह अपने कमरे में लेटे कोई किताब पढ़ रहे थे कि दीदी ने मुझे उनको पानी दे आने को कहा। मैं डरते हुए उनके कमरे में गया। उन्होंने पानी लेकर मुझे अपने पास जबरन बिठा लिया तथा मेरी जांघों पर हाथ फिराने लगे। फिर झटके से मुझे बगल में लिटा कर अपनी टांगों के बीच में दबोच लिया। थोड़ी देर तक शांत रहने के बाद वह मेरी शोर्ट्स के अन्दर हाथ डाल कर मेरी जांघ को दबाते हुए मेरे कूल्हे भी दबाने लगे। उन्होंने अपनी पैन्ट की जिप खोल कर अपना लंड मेरी शोर्ट्स के अन्दर जांघ पर रख दिया। मैं सिहर उठा। मेरी सांसे तेज तेज चलने लगी। उन्होंने तभी एक झटका देकर मुझे थोड़ा तिरछा कर दिया। अब मेरी पीठ उनकी और थी। उन्होंने मेरी शोर्ट्स को थोड़ा ऊपर कर मेरे कूल्हे जोर जोर से मसलने शुरू कर दिए तथा अपना लंड मेरे कूल्हों की फ़ांकों में टिका दिया।
मैं कसमसा रहा था पर उनकी पकड़ बहुत मजबूत थी। तभी बाहर कुछ शोर सा हुआ, वह थोड़ा अचकचाए और मैं उनकी पकड़ से भाग निकला। उनको बहुत गुस्सा आया तथा वह अगला मौका तलाशने लगे।
उन्हें अगला मौका शीघ्र ही मिल गया। पड़ोस में एक शादी थी जिसकी बारात इलाहाबाद जानी थी। वह मुझे भी जिद करके अपने साथ बारात में ले गए। सबको उन्होंने मुझे इलाहाबाद घुमाने के बहाने राजी कर लिया था। मैं किसी से कुछ कह भी नहीं सकता था। मुझे उनके साथ जाना पड़ा। बारात एक होटल में रुकी थी। उन्होंने सबसे अलग एक कमरा ले लिया। बारात लगने के तुंरत बाद ही वह मुझे लेकर होटल के कमरे में आ गए।
उस समय रात के १२ बजे थे। मुझे लेटते ही नींद आ गई। थोड़ी देर बाद मेरी नींद खुली तो मैंने पाया कि जीजाजी ने मेरी पैंट और चड्डी उतार दी है तथा वह मेरे लंड से खेल रहे हैं। मै अनजान बना लेटा रहा। उन्होंने मुझे तिरछा कर दिया तथा मेरे कूल्हे दबाने लगे। फिर उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी गांड में डाल दी। मुझे दर्द हुआ पर मैं चुपचाप लेटा रहा।
अब जीजाजी ने अपना लंड निकल कर मेरे चूतड़ों से रगड़ना शुरू कर दिया। थोड़ी देर तक वह ऐसा ही करते रहे। फिर उन्होंने अपने लंड को मेरी गांड के छेद में घुसाने की कोशिश की, पर वह नाकाम रहे। मेरी गांड का छेद काफी टाइट था। दोबारा कोशिश में भी वह अपना लंड छेद में नहीं घुसा सके।
अब उन्होंने मुझे पकड़ कर उल्टा कर दिया तथा वह मेरी टांगों को फैला कर बीच में बैठ गए। उन्होंने मेरे चूतडों की दोनों फांको को पकड़ कर फैलाया और अपना लंड एक जोर का झटका देते हुए मेरी गांड में पेल दिया। मैं दर्द से बिलबिला गया पर डर के कारण मेरी चीख भी नहीं निकली।
अब उनका पूरा लंड मेरी गांड के अन्दर था और वह धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर कर रहे थे। शुरू में तो मुझे काफी दर्द हुआ पर बाद में मजा आने लगा। १५ -२० मिनट के बाद उन्होंने पिचकारी मेरी गांड में ही छोड़ दी और वह मेरे ऊपर से उठ कर बगल में लेट गए। मेरी गांड में लंड पेलने के कारण पेट में काफी गैस बनने लगी थी तथा मुझे लगा कि खून भी मेरी गांड से निकल रहा है, यह अहसास भी मुझे हुआ। पर में बिल्कुल अंजान बना लेटा रहा।
थोड़ी देर में जीजाजी उठे और उन्होंने रुमाल में पानी लगाकर मेरी गांड पोंछी तथा मेरे चूतड सहलाये। मुझे राहत महसूस हुई। जीजाजी का लंड शायद फिर से खड़ा हो गया था। वह फिर से मेरी टांगों के बीच में बैठ गए लेकिन इस बार उन्होंने मुझे कमर में हाथ डाल कर घोड़े जैसी की अवस्था में कर लिया।
अब मेरी गांड का छेद ज्यादा खुल गया था। उन्होंने मेरे दोनों चूतड पकड़ कर फैला दिए तथा अपना लंड एक बार फिर से मेरी गांड में पेल दिया। इस बार मैंने भी अपनी गांड मराई का मजा लिया तथा कूल्हे हिला हिला कर जीजाजी का पूरा लंड गांड के भीतर जाने दिया।
जीजाजी ने पूरे जोश से मेरी गांड मारी। उस रात सुबह होने से पहले जीजाजी ने तीसरी बार मेरी गांड मारी। इस बार उन्होंने मुझे पूरी तरह से नंगा कर मेरी गांड पिलाई की।
दोस्तों यह कहानी बिल्कुल सच्ची है। जीजाजी से गांड मराने के बाद कई दिनों तक मैं उनके सामने आने में शरमाता रहा पर वह अब भी मौका मिलते ही मुझसे छेड़-छाड़ अवश्य करते रहते थे। लेकिन उन्हें दोबारा मेरी गांड मरने का मौका घर में नहीं मिल सका। पर वह चूकने वालो में से नहीं थे।
बात कुछ साल पुरानी है पर है बिल्कुल सच्ची। उस समय मैं सेक्स के बारे में बिल्कुल अंजान था। मैंने कभी मुठ भी नहीं मारी थी। गर्मियों की छुट्टियों में मुझे अपनी दीदी की ससुराल में जाने का मौका मिला। दो माह की छुट्टियाँ बिताने मैं और मेरा छोटा भाई दीदी की ससुराल में पहुंचे। उनका घर काफी बड़ा था लगभग १०-१२ कमरे का। कुछ कमरे तो उपयोग में ही नहीं आते थे। उनके घर में दीदी और जीजाजी के साथ ही उनके चाचा-चाची तथा बड़े भाई और उनका परिवार रहता था।
जीजाजी के बड़े भाई को हम बड़े जीजाजी कहकर बुलाते थे, वह फॉरेस्ट रेंजर थे तथा एक सप्ताह में दो तीन दिनों तक बाहर जंगल में रहते थे। उनके दो बच्चे थे उनका बड़ा बेटा मुझसे छोटा था।
बड़े जीजाजी बड़े कामुक प्रवृति के इन्सान थे हालाँकि मैं उस समय इस शब्द के बारे में नहीं जानता था। जब भी वे मुझे अकेला पाते, मेरे गाल पर चिकोटी काट देते। कुछ दिनों बाद वे मेरे गालों और ओंठों को चूमने लगे।
एक दिन जब मैं छत पर अकेला खड़ा उड़ती हुई पतंगों को देख रहा था तो वो भी छत पर आ पहुंचे। उन्होंने मुझे पकड़ कर मेरे कूल्हों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। मुझे काफी अटपटा लगा। जैसे तैसे मैं हाथ छुड़ा कर भाग आया। अब मुझे उनके सामने जाने में भी डर लगने लगा, पर वे मौका ताड़ कर मुझसे छेड़-छाड़ करते रहते।
अभी तक वह मेरे कूल्हे कपडों के ऊपर से सहलाते थे एक दिन उन्होंने मेरी शोर्ट्स के अन्दर हाथ डालकर कूल्हे सहलाये। मुझे अच्छा तो लगा पर डर भी लगा। मैं उनके इरादों को कुछ कुछ समझने लगा। पर वो क्या करने वाले हैं यह मैं अब भी पूरी तरह नहीं समझ पाया था। मैं उनसे बच कर रहने लगा और उनके सामने ना आने का प्रयास करता।
एक दिन दोपहर को वह अपने कमरे में लेटे कोई किताब पढ़ रहे थे कि दीदी ने मुझे उनको पानी दे आने को कहा। मैं डरते हुए उनके कमरे में गया। उन्होंने पानी लेकर मुझे अपने पास जबरन बिठा लिया तथा मेरी जांघों पर हाथ फिराने लगे। फिर झटके से मुझे बगल में लिटा कर अपनी टांगों के बीच में दबोच लिया। थोड़ी देर तक शांत रहने के बाद वह मेरी शोर्ट्स के अन्दर हाथ डाल कर मेरी जांघ को दबाते हुए मेरे कूल्हे भी दबाने लगे। उन्होंने अपनी पैन्ट की जिप खोल कर अपना लंड मेरी शोर्ट्स के अन्दर जांघ पर रख दिया। मैं सिहर उठा। मेरी सांसे तेज तेज चलने लगी। उन्होंने तभी एक झटका देकर मुझे थोड़ा तिरछा कर दिया। अब मेरी पीठ उनकी और थी। उन्होंने मेरी शोर्ट्स को थोड़ा ऊपर कर मेरे कूल्हे जोर जोर से मसलने शुरू कर दिए तथा अपना लंड मेरे कूल्हों की फ़ांकों में टिका दिया।
मैं कसमसा रहा था पर उनकी पकड़ बहुत मजबूत थी। तभी बाहर कुछ शोर सा हुआ, वह थोड़ा अचकचाए और मैं उनकी पकड़ से भाग निकला। उनको बहुत गुस्सा आया तथा वह अगला मौका तलाशने लगे।
उन्हें अगला मौका शीघ्र ही मिल गया। पड़ोस में एक शादी थी जिसकी बारात इलाहाबाद जानी थी। वह मुझे भी जिद करके अपने साथ बारात में ले गए। सबको उन्होंने मुझे इलाहाबाद घुमाने के बहाने राजी कर लिया था। मैं किसी से कुछ कह भी नहीं सकता था। मुझे उनके साथ जाना पड़ा। बारात एक होटल में रुकी थी। उन्होंने सबसे अलग एक कमरा ले लिया। बारात लगने के तुंरत बाद ही वह मुझे लेकर होटल के कमरे में आ गए।
उस समय रात के १२ बजे थे। मुझे लेटते ही नींद आ गई। थोड़ी देर बाद मेरी नींद खुली तो मैंने पाया कि जीजाजी ने मेरी पैंट और चड्डी उतार दी है तथा वह मेरे लंड से खेल रहे हैं। मै अनजान बना लेटा रहा। उन्होंने मुझे तिरछा कर दिया तथा मेरे कूल्हे दबाने लगे। फिर उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी गांड में डाल दी। मुझे दर्द हुआ पर मैं चुपचाप लेटा रहा।
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अब उन्होंने मुझे पकड़ कर उल्टा कर दिया तथा वह मेरी टांगों को फैला कर बीच में बैठ गए। उन्होंने मेरे चूतडों की दोनों फांको को पकड़ कर फैलाया और अपना लंड एक जोर का झटका देते हुए मेरी गांड में पेल दिया। मैं दर्द से बिलबिला गया पर डर के कारण मेरी चीख भी नहीं निकली।
अब उनका पूरा लंड मेरी गांड के अन्दर था और वह धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर कर रहे थे। शुरू में तो मुझे काफी दर्द हुआ पर बाद में मजा आने लगा। १५ -२० मिनट के बाद उन्होंने पिचकारी मेरी गांड में ही छोड़ दी और वह मेरे ऊपर से उठ कर बगल में लेट गए। मेरी गांड में लंड पेलने के कारण पेट में काफी गैस बनने लगी थी तथा मुझे लगा कि खून भी मेरी गांड से निकल रहा है, यह अहसास भी मुझे हुआ। पर में बिल्कुल अंजान बना लेटा रहा।
थोड़ी देर में जीजाजी उठे और उन्होंने रुमाल में पानी लगाकर मेरी गांड पोंछी तथा मेरे चूतड सहलाये। मुझे राहत महसूस हुई। जीजाजी का लंड शायद फिर से खड़ा हो गया था। वह फिर से मेरी टांगों के बीच में बैठ गए लेकिन इस बार उन्होंने मुझे कमर में हाथ डाल कर घोड़े जैसी की अवस्था में कर लिया।
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