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चाचा ने चाची को चोदा - चाची की चुदाई - chacha ne chachi ko choda - Aunty ki chut chudai
Chacha ne chachi ko choda ; chacha chachi ki chudai ; चाचा ने चाची को चोदा ; chachi ne chudwaya ; चाची की च**** ; अन्तर्वासना कामुकता कामवासना की कहानी हिंदी में ; Antarvasna kamukta kamvasna hindi sex story ; अंकल ने आंटी की चूत बुर गांड चोदी ; मजे से चुदवाई चुदने लगी ; लंड लौड़ा चूसने चुसवाने का दौर ; चुसवाया चूस लिया चाटा ; सगी देहाती चाची चुदी ; चाची की चुदाई ; Aunty ki chut chudai ; cudai ; cudi ; coda .
बात पिछले साल की है जब मैं मेरे चाचा और चाची के पास उनके शहर गया हुआ था. मैंने कई बार रात में चाचा-चाची के कमरे से उनके सेक्स करने की आहत सुनाई दी थी लेकिन डर था कहीं इन्हें पता ना लग जाए. परन्तु आज मैंने चाचा और चाची की चुदाई देखने का पूरा मन बना लिया था.
खाना खाने के बाद चाचा अपने रूम में चले गए. मैं भी अपने कमरे में चला गया जो चाचा के कमरे के पास ही था. थोड़ी देर में चाची भी अपना काम निपटा कर कमरे में चली गई. रात गहरी हो रही थी. मैंने सोने का नाटक किया ताकि यदि कोई मुझे देखने आए तो ये लगे कि मैं सो गया हूँ. परन्तु शायद कोई आया नहीं होगा. थोड़ी देर बाद मुझे चाचा के कमरे से हलकी-हलकी आवाजें आने लगी. मैं धीरे से उठा और चाचा के कमरे के रोशनदान के पास धीरे से कुर्सी रखकर उस पर चढ़ कर रोशनदान से देखने लगा.
इत्तेफाक से कमरे की लाईट जल रही थी और मैंने देखा कि उस समय चाचा लुंगी में थे और चाची के बदन पर साड़ी नहीं थी, वो केवल ब्लाउज और पेटीकोट में थी. चाचा चाची के होंठों को चूस रहे थे, प्रत्युत्तर में चाची चाचा के होंठ को काट रही थी, दोनों एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे। चाचा चाची की गर्दन पर एक गहरा चुम्मा लेते हुए कान के नीचे वाले लब को चूसने लगे तो चाची चिहुँक कर चाचा से और तेजी से चिपक गई और अपने एक हाथ से अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी. ब्लाउज उतारने के बाद चाची मात्र ब्रा में थी, चाचा ब्रा के ऊपर से चाची की चुची को मसल रहे थे, साथ ही साथ कभी कभी दोनों चूचियों को थपिया भी रहे थे।
चाची धीरे धीरे ज्यादा गर्म होने लगी थी तथा धीरे धीरे सीत्कार कर रही थी। ऊँ…आँ… की सीत्कारों से पूरा कमरा गूँज रहा था। धीरे से पीछे से ब्रा का हुक भी खोल दिया। चाची की दोनों उन्नत चूचियाँ आजाद हो चुकी थी, चूचियों के ऊपर के दाने तन कर खड़े हो गये थे। चाचा ने अपनी जीभ से चूचियों को चाटना शुरु कर दिया, कोशिश कर रहे थे कि दानों के पास पहुँच कर फिर वापस अगल बगल से चाटना शुरु कर देते, निप्पल को नहीं चूसते… चाची हर बार तड़प कर ऐंठ जाती थी।
अंत में चाची ने ही चाचा का सिर खींच कर अपने चूची के दानों के ऊपर रखवाया और अपने निप्पल चुसवाने लगी। चूची चूसते चूसते चाचा ने चाची की बाजू उठा कर उनकी कांख में एक चुम्मी ली तो चाची को गुदगुदी होने लगी और हँसने लगी और अपनी बाजू को जल्दी से मोड़ लिया, अपनी दोनों पहाड़ियों को दोनों हथेली से ढक लिया।
चाचा बोले- कोई बात नहीं, पहाड़ी न सही तो छोटी खाई ही सही।
मैं सोच कर परेशान हो गया कि यह छोटी खाई क्या होती है?
फिर देखा कि वो चाची की नाभि के चारों तरफ अपने जीभ से चुभला रहे हैं। चाची के पेट में लहरें सी उठ रही थी, उनका पेट हिलता हुआ दिखाई दे रहा था, और उनका ऊँ-आँ ऊँ-आँ और तेज होता जा रहा था।
तभी चाचा ने उठ कर चाची ke पेटीकोट के साथ पैंटी भी एक साथ उतार दी, उसी समय चाची ने चाचा का लुंगी खींच कर अलग कर दी। चाचा का लौड़ा हर दिल अजीज लड़कियों के लिए परफेक्ट था।
मध्यम आकार का न ज्यादा बड़ा न ज्यादा मोटा कि कोई औरत देख कर ही डर जाए।
दोनों 69 की पोजिशन में आ गए, चाची अपने एक हाथ में चाचा का लंड पकड़ कर ऊपर नीचे कर रही थी तो दूसरे हाथ से चाचा के चूची के दानों को मसलने लगी। चाचा भी सीत्कार करने लगे। चाचा ने अपने जीभ से चाची की चूत की फांक को अलग करते हुए लंड को चूसना शुरु कर दिया, हर एक स्ट्रोक के साथ चाची भी चाचा के लंड पर अपने होंठों से रगड़ रही थी।
अब चाचा ने चाची की चूत चाटनी छोड़ दी और उन्होंने चाची की जांघों को चूमना शुरु कर दिया. चाची का शरीर ऐंठ रहा था, गुदगुदी और मादकता की तरंग एक साथ चाची महसूस कर रही थी।
चाचा अब सीधा होकर आक्रमण करने की पोजिशन में आ गए थे, चाची चाचा के दोनों निप्पलों को मसलने लगी थी, चाचा का ध्यान भटका रही थी। चाचा ने चाची की चूत के द्वार पर लंड टिका कर पहला शॉट मारा तो चाची अपनी जांघें कस ली, चाचा का पहला शॉट आधा सफर ही तय कर पाया और चाची हँस दी और चाचा की दोनों चूचियों को ऐंठ दिया.
चाचा दर्द से कराह उठे पर चुदाई में दर्द का अपना मजा होता है, है न?
चाची काफी गर्म हो चुकी थी, अब ज्यादा रोक पाने की शक्ति नहीं थी, पर चाचा का पुरुषत्व बार बार चोटिल हो रहा था तो इस बार चाचा ने पूरी शक्ति के साथ आक्रमण किया, चाचा का पूरा लंड फच्चाक से धड़धड़ाते हुए अंदर चला गया और जोर से चट की आवाज आई।
चाचा भी फुल स्पीड से मेरी चाची की चुदाई करने लगे थे। लगातार फच्च फच्च की आवाज गूँज रही थी, लग रहा था कि चाची को खूब मजा आ रहा था, उनकी ऊँ-आँ ऊँ-आँ लगातार जारी था। चाचा की भी उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल रही थी.
एकाएक चाचा रुक गए तो चाची अचकचा कर सवाल भरे नजरों से उनकी ओर देखने लगी तो चाचा मुस्कुराए और चाची को पलट कर कुतिया बनाया और उनके पीछे आकर पीछे से चूत में लंड घुसा कर चोदना शुरु कर दिया, झुक कर दोनों चूचियों को पीछे से पकड़ कर मसलते रहे।
अजब सा माहौल बना हुआ था वहां, चाचा चाची की चूत रस तथा लंड रस मिल कर दही जैसा पदार्थ बूंद बूंद चू रहा था। चाचा कभी कभी उसे लेकर चाची के गांड पर लेप रहे थे और धीरे से चाचा ने अपनी दो अंगुली उनकी गांड में घुसा दी, चाची के दोनों प्रवेश द्वार से अंदर बाहर हो रहा था, दोनों के मुँह पर तरह तरह के भाव आ जा रहे थे।
चाची अकड़ने लगी थी, साथ ही चाचा स्पीड फुल स्पीड में थे, चाचा झड़ने लगे थे, रुक रुक कर उनका फव्वारा चाची की खाई खेली चूत में समा रहा था.
उसी समय चाची ने भी अपना रस छोड़ दिया।
फिर मैं चुपके से पैर दबा कर अपने बिस्तर पर चला गया. मेरी आँखों देखी चाचा चाची की चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी? मुझे कमेंट कर जरूर अपने विचार बताएं!
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इत्तेफाक से कमरे की लाईट जल रही थी और मैंने देखा कि उस समय चाचा लुंगी में थे और चाची के बदन पर साड़ी नहीं थी, वो केवल ब्लाउज और पेटीकोट में थी. चाचा चाची के होंठों को चूस रहे थे, प्रत्युत्तर में चाची चाचा के होंठ को काट रही थी, दोनों एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे। चाचा चाची की गर्दन पर एक गहरा चुम्मा लेते हुए कान के नीचे वाले लब को चूसने लगे तो चाची चिहुँक कर चाचा से और तेजी से चिपक गई और अपने एक हाथ से अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी. ब्लाउज उतारने के बाद चाची मात्र ब्रा में थी, चाचा ब्रा के ऊपर से चाची की चुची को मसल रहे थे, साथ ही साथ कभी कभी दोनों चूचियों को थपिया भी रहे थे।
चाची धीरे धीरे ज्यादा गर्म होने लगी थी तथा धीरे धीरे सीत्कार कर रही थी। ऊँ…आँ… की सीत्कारों से पूरा कमरा गूँज रहा था। धीरे से पीछे से ब्रा का हुक भी खोल दिया। चाची की दोनों उन्नत चूचियाँ आजाद हो चुकी थी, चूचियों के ऊपर के दाने तन कर खड़े हो गये थे। चाचा ने अपनी जीभ से चूचियों को चाटना शुरु कर दिया, कोशिश कर रहे थे कि दानों के पास पहुँच कर फिर वापस अगल बगल से चाटना शुरु कर देते, निप्पल को नहीं चूसते… चाची हर बार तड़प कर ऐंठ जाती थी।
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फिर देखा कि वो चाची की नाभि के चारों तरफ अपने जीभ से चुभला रहे हैं। चाची के पेट में लहरें सी उठ रही थी, उनका पेट हिलता हुआ दिखाई दे रहा था, और उनका ऊँ-आँ ऊँ-आँ और तेज होता जा रहा था।
तभी चाचा ने उठ कर चाची ke पेटीकोट के साथ पैंटी भी एक साथ उतार दी, उसी समय चाची ने चाचा का लुंगी खींच कर अलग कर दी। चाचा का लौड़ा हर दिल अजीज लड़कियों के लिए परफेक्ट था।
मध्यम आकार का न ज्यादा बड़ा न ज्यादा मोटा कि कोई औरत देख कर ही डर जाए।
दोनों 69 की पोजिशन में आ गए, चाची अपने एक हाथ में चाचा का लंड पकड़ कर ऊपर नीचे कर रही थी तो दूसरे हाथ से चाचा के चूची के दानों को मसलने लगी। चाचा भी सीत्कार करने लगे। चाचा ने अपने जीभ से चाची की चूत की फांक को अलग करते हुए लंड को चूसना शुरु कर दिया, हर एक स्ट्रोक के साथ चाची भी चाचा के लंड पर अपने होंठों से रगड़ रही थी।
अब चाचा ने चाची की चूत चाटनी छोड़ दी और उन्होंने चाची की जांघों को चूमना शुरु कर दिया. चाची का शरीर ऐंठ रहा था, गुदगुदी और मादकता की तरंग एक साथ चाची महसूस कर रही थी।
चाचा अब सीधा होकर आक्रमण करने की पोजिशन में आ गए थे, चाची चाचा के दोनों निप्पलों को मसलने लगी थी, चाचा का ध्यान भटका रही थी। चाचा ने चाची की चूत के द्वार पर लंड टिका कर पहला शॉट मारा तो चाची अपनी जांघें कस ली, चाचा का पहला शॉट आधा सफर ही तय कर पाया और चाची हँस दी और चाचा की दोनों चूचियों को ऐंठ दिया.
चाचा दर्द से कराह उठे पर चुदाई में दर्द का अपना मजा होता है, है न?
चाची काफी गर्म हो चुकी थी, अब ज्यादा रोक पाने की शक्ति नहीं थी, पर चाचा का पुरुषत्व बार बार चोटिल हो रहा था तो इस बार चाचा ने पूरी शक्ति के साथ आक्रमण किया, चाचा का पूरा लंड फच्चाक से धड़धड़ाते हुए अंदर चला गया और जोर से चट की आवाज आई।
चाचा भी फुल स्पीड से मेरी चाची की चुदाई करने लगे थे। लगातार फच्च फच्च की आवाज गूँज रही थी, लग रहा था कि चाची को खूब मजा आ रहा था, उनकी ऊँ-आँ ऊँ-आँ लगातार जारी था। चाचा की भी उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल रही थी.
एकाएक चाचा रुक गए तो चाची अचकचा कर सवाल भरे नजरों से उनकी ओर देखने लगी तो चाचा मुस्कुराए और चाची को पलट कर कुतिया बनाया और उनके पीछे आकर पीछे से चूत में लंड घुसा कर चोदना शुरु कर दिया, झुक कर दोनों चूचियों को पीछे से पकड़ कर मसलते रहे।
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चाची अकड़ने लगी थी, साथ ही चाचा स्पीड फुल स्पीड में थे, चाचा झड़ने लगे थे, रुक रुक कर उनका फव्वारा चाची की खाई खेली चूत में समा रहा था.
उसी समय चाची ने भी अपना रस छोड़ दिया।
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