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माँ ने खुद अपनी ही बेटी को चुदवाया - Maa ne beti ki gand marvayi
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मेरी बेटी जब जवान हो गई तो मैंने उसे अपनी दोस्त बना लिया और दोस्तों की ही तरह उससे बातें करने लगी, हंसी मजाक करने लगी और एक दूसरे को प्यार से गालियां भी देने लगीं।
- एक दिन हम दोनों किसी बात पर खूब एक दूसरे को गालियां दे दे कर बहस कर रहीं थीं तभी मेरी नई पड़ोसन समीना आ गईं और आते ही बोली - तुम दोनों बहनें इस तरह गन्दी गन्दी गालियां दे दे कर क्यों बातें करती हो ?
- मैंने कहा - अरे यार, ये मेरी बहन नहीं है, मेरी बेटी है।
- वह बोली - हाय दईया तो तुम अपनी बेटी से इस तरह की बातें करती हो ?
- बेटी जब थी तब थी अब ये मेरी सहेली हो गयी है। अब तो मैं इसकी माँ चोदूँगी ? पता नहीं कब ये मेरी देवरानी बन जाए, मेरी बहू बन जाए, मेरी भाभी बन जाए , मेरी सौतन बन जाए, मेरी नन्द बन जाए ? तब तो मुझे इसकी बुर चोदनी ही पड़ेगी।
- बेटी ने कहा हां आंटी और ये मेरी अम्मी जान पता नहीं कब मेरी सास बन जाए, कब मेरी नन्द बन जाए, कब मेरी जेठानी बन जाए कब मेरी सौतन और कब मेरी बुर चोदी पड़ोसन बन जाए इसलिए इस बुर चोदी का भोसड़ा तो मुझे चोदना ही पड़ेगा ?
- पड़ोसन समीना बोली बस मैं यही सुनना चाहती थी क्योंकि मेरी भी बेटी मेरी छोटी भाभी जान बन गई है और मैं उसकी नन्द ? इसलिए वह रोज़ मेरी चूत में लण्ड पेलती है और कहती है की अब तू मेरी नन्द है मेरी अम्मी नहीं । मैं तो अपनी नन्द की बुर चोदूँगी। इससे अगर मेरी माँ चुदती है तो चुदे मैं उसकी झांट परवाह नहीं करती। मैं भी कम नहीं हूँ। मैं भी उसकी चूत में लौड़ा घुसाती हूँ और कहती हूँ की तू मेरी बेटी नहीं मेरी भाभी जान है। मैं तो अपनी भाभी की बुर चोदूँगी इससे अगर मेरी बिटिया की बुर चुदती है तो चुदे मैं बहन चोद इसकी बिलकुल परवाह नहीं करती ? कुछ भी हो यार लेकिन इस नए रिश्ते में बड़ा मज़ा आ रहा है हम दोनों को ।
बेटा हो या बेटी किसी की भी शादी होते ही चुदाई के कई रिस्तें अपने आप बन जातें हैं। उस दिन मैं बड़े मूड में थी। मेरी चूत में आग लगी थी। मैं चाहती थी की कोई लौड़ा इसमें घुसे और मुझे चोदे। इतने में मेरे सामने मेरी छोटी बेटी रफ़ा दिखाई पड़ी। मैंने उसी से कहा - बेटी रफ़ा, तेरी बुर तेरी माँ का भोसड़ा ? तेरी भाभी की बुर ? तेरी भाभी की नन्द की चूत। उसने मुस्कराते हुए कहा - तेरी बुर तेरी बिटिया की बुर, अम्मी जान ? तेरी बहू की बुर. की चूत ? यानी मैंने गालियों से अपने भोसड़ा पर चोट किया तो उसने गालियों से अपनी चूत पर। मुझे मालूम हो गया की मेरी बेटी रफ़ा भी अच्छी खासी चुदासी है। उसे भी लण्ड चाहिए। मैंने कहा - तो फिर चोदो न अपनी माँ का भोसड़ा, बेटी रफ़ा ? वह बोली -आ जरूर चोदूँगी थोड़ा सब्र कर लौड़ा अभी आता ही होगा ? पर तू भी अपनी बेटी की चूत ले अम्मी जान। मैंने कहा - बिलकुल चोदूँगी। मेरे सामने जो भी लौड़ा आएगा मैं वही लौड़ा पेल दूँगी तेरी चूत में रफ़ा। तब तक किसी ने पीछे से कहा तो फिर पेल दो न मेरा लण्ड खाला जान अपनी बेटी की चूत में ? वह मेरी बहन का लड़का खालिद था। तब एक किसी ने दरवाजा खटखटाया तो सामने मेरी बेटी की सहेली का अब्बू खड़ा था। मेरी बेटी उसे देख कर बोली अरे तारिक़ अंकल आओ न मैं आपका ही इंतज़ार कर रही थी। रफ़ा ने मुझे उससे मिलवाया। हम चारों बैठ गए और मैंने थोड़ा शराब का इंतज़ाम किया सब पीने लगे।
थोड़ा नशा चढ़ा तो मैंने कहा खालिद तुम्हे मेरी बेटी अच्छी लगती है न ? वह बोला हां हां खाला जान मुझे तो बहुत अच्छी लगती है। बस मैंने अपनी बेटी का हाथ पकड़ कर उसके लण्ड पर रख दिया और कहा बेटा आज तुम मेरी बेटी को अपना लण्ड दिखा दो। तब तक मेरी बेटी ने मेरा हाथ पकड़ कर तारिक़ के लण्ड पर रख दिया और बोली अंकल आज मेरी अम्मी को अपना लण्ड दिखाओ। मैंने तो कई बार देखा है। मैंने जब तारिक़ के लण्ड पर हाथ रखा तो थोड़ा दबा दिया मुझे मालूम हो गया की लण्ड तो बड़ा दमदार है। मैं बेटी की तरफ मुंह करके मुस्कराने लगी। उसने जब खालिद का लौड़ा ऊपर से दबाया तो मुझसे इशारा करके कहा वाओ लौड़ा तो मजेदार लग रहा है, अम्मी । अब मेरा मन था की रफ़ा लौड़ा पूरा निकाल ले और मस्ती से उसके साथ खेले। वह भी शायद इसी का मुझसे इंतज़ार कर रही थी। मैंने फिर पहल की और तारिक़ का लौड़ा पूरा बाहर निकाल ही लिया। उसे नंगा भी कर दिया। लौड़ा देख कर मेरी चूत का पानी छूट गया। लण्ड तो वाकई बड़ा आलिशान था। मैं उसे देख बोली बेटी रफ़ा तूने जब इसे देखा था तो फिर मुझे क्यों नहीं बताया ? वह बोली अरे अम्मी जान उस समय मैं 18 साल नहीं हुई थी। मैंने कहा 18 साल की माँ की चूत। मैं तो थी चुदाने के लिए तैयार थी। तुझे तो मेरे भोसड़ा में पेल देना चाहिए था लण्ड।
वह बोली कैसे पेल देती अम्मी जान मैंने तो तेरा भोसड़ा तेरे आगे कभी देखा ही नहीं था। वह बोली क्या मतलब क्या तू मेरा भोसड़ा छिप छिप कर देखती थी। वह बोली हां मेरी हरामजादी अम्मी जान। मैंने तेरा भोसड़ा कई बार देखा है और भोसड़ा में लण्ड भी कई देखें हैं वो भी ग़ैर मर्दों के ? मैंने कहा हाय अल्लाह तू तो मेरी उस्ताद निकली बुर चोदी रफ़ा। तब तो तूने मेरी चुदाई खूब देखी होगी। वह बोली हां अम्मी जान खूब देखी है और पूरी चुदाई देखी है। मैंने कहा तो फिर आ जा आज तू मेरी चुदाई मेरे सामने देख ले। अपनी माँ का भोसड़ा चुदवा भी ले और चोद भी ले। मैं तारिक़ का लण्ड चूसने लगी और वह खालिद का लण्ड। वे दोनों भी नंगे हो गए और हम दोनों भी नंगी हो गईं।
इस तरह मैं अपनी बेटी की सहेली के अब्बू का लण्ड पीने लगी और मेरी बेटी मेरी बहन के बेटे का लण्ड पीने लगी। हम दोनों आमने सामने ही थीं। मैं पहली बार अपनी बेटी की बुर देख रही थी और वह पहली बार मेरे सामने मेरा भोसड़ा देख रही थी। मैं उसे लण्ड पीते हुए देख कर बहुत खुश हुई और ख़ुशी इस बात की ज्यादा थी की मेरी बेटी पूरी तरह लड़की है और उसे जवानी का मज़ा लेना आता है। मैंने पूंछा बेटी रफ़ा खालिद के लण्ड का साइज क्या है ? वह फ़ौरन बोली यही कोई 8" + लंबा 5" मोटा है। मैंने कहा अरे वाह तूने बिना नापे लण्ड का साइज बता दिया बेटी। वह बोली अरे अम्मी जान मेरी उंगलियां ही लण्ड की नाप ले लेतीं हैं। हां जो लण्ड तेरे हाथ में है वह 9' लम्बा है और 5 " + मोटा ? इसकी बेटी ने जिस दिन मुझे ये लण्ड पकड़ाया था मैंने उसी दिन इसकी नाप बता दी थी और वह एकदम सही थी। मैंने पूंछा तो क्या इसकी बेटी इसका लण्ड पकड़ती है ? वह बोली अरे अम्मी जान ये तारिक़ अपनी बेटी की बुर लेता है और इसकी बेटी भी बड़े मजे से अपने अब्बू से चुदवाती है। इसकी अम्मी ने मुझसे कहा था की बेटी रफ़ा अपने अब्बू का लण्ड पकड़ना और उससे चुदवाना सब जायज़ है। इसमें कोई गुनाह नहीं है। तब मुझे मालूम हुआ की मेरे कॉलेज की लड़कियां क्यों अक्सर अपने अब्बू के लण्ड की बात करतीं हैं।
इतने में तारिक़ ने पेल दिया लण्ड मेरी चूत में और मैं अपनी बेटी के आगे भकाभक चुदवाने लगी। इसी तरह खालिद ने लण्ड रफ़ा की बुर में घुसा दिया। वह भी उछल उछल कर चोदने लगा रफ़ा की चूत। हम दोनों को खूब मज़ा आने लगा। थोड़ी देर बाद रफ़ा ने खालिद का लण्ड मेरे भोसड़ा में पेल दिया और बोली अब मैं अपनी माँ का भोसड़ा चोदूँगी। मैं भी देर नहीं लगयीऔर तारिक़ लण्ड रफ़ा की चूत में घुसेड़ दिया और कहा अब मैं भी अपनी बेटी की बुर चोदूँगी। हम दोनों एक दूसरे की बुर लण्ड पेल पेल कर चोदने लगी। इतनी मस्ती तो बहन चोद रंडिया भी नहीं करती होंगी जितनी मस्ती हम लोग कर रहीं थीं। हम दोनों लंड्का मज़ा का एक एक बूँद निचोड़ रहीं थीं। आखिर में जब हमने झड़ते हुए लण्ड पिए और उनके सुपाड़ो का रस चाटा तो सच में ज़न्नत का मज़ा आया।
मैंने कहा - रफ़ा, मैं किसी दिन तेरी बहन की बुर इसी तरह चोदूँगी।
वह बोली - मैं भी किसी दिन आपा की माँ का भोसड़ा इसी तरह चोदूँगी।
अब आप आगे की कहानी मेरी बेटी रफ़ा के मुंह से सुनिये :-
तो दोस्तों, आपने अभी तक यह जाना की मेरी अम्मी जान ने किस तरह मेरे जवान होते ही मुझे चुदाई के मैदान में घसीटा। फल स्वरुप मैं अपनी चुदवाने लगी और वह अपनी बिटिया की बुर। मैं इसी तरह कई लोगों के साथ चुदाई का मज़ा लेती रही और एक दिन मेरी शादी हो गयी। मेरी शादी मेरी अम्मी जान के सबसे छोटे भाई जान से हो गयी। मेरी अम्मी जान 12 भाई बहन हैं। इस तरह अम्मी मेरे रिश्ते में नन्द हो गयी और मैंअम्मी की छोटी भाभी जान। मेरा अब्बू मेरा नंदोई हो गया और मैं अपनी बहन अदा आपा की मामी जान हो गयी। मेरी बड़ी बहन की शादी मेरे चचा जान के बेटे से हुई थी। तो मेरा भाई जान मेरा जीजू हो गया। चाचा जान मेरी बहन का ससुर और उसकी सभी बेटियां मेरी आपा की नन्द हो गयीं। मैं अपनी आपा को चिढ़ाती थी की कल तक जो तेरा भाई जान था वह आज तेरा शौहर हो गया। कल तक तू उसकी बहन थी आज तू उसकी बीवी हो गयी। ऐसा तो हम मुसलमानो में होता ही रहता है।
मेरी शादी के बाद मेरी सुहागरात का इंतज़ाम मेरी नन्द के किया यानी मेरी अम्मी जान ने किया। मेरी 3 नंदें हैं अम्मी उनमे से एक एक हैं। रात को मेरा शौहर कमरे में आया। मैं एक बात बता दूँ आपको की मैं अपने कई मामाओं से चुदवा चुकी हूँ। उनके लण्ड चूसा है लण्ड पिया है लेकिन इत्तिफाक से मैंने अपने शौहर का लण्ड कभी नहीं देखा जबकि वह भी मेरा मामू ही है। वह दुबई में रहता है और वहीँ काम करता है। शायद मैं भी वही चली जाऊंगी। मेरा शौहर आया और जब उसने मेरा घूँघट उठाया और मैं थोड़ा सहम गई। उसने मेरी खूबसूरती की तारीफ की और मेरी चूँचियों पर हाथ फेरा। मैं भी उसके सीने से लग गयी। फिर मेरा हाथ उसके लण्ड तक पहुँच गया। मैं यह जानना चाहती थी की उसका लण्ड कैसा है ? दिखने में कैसा है ? लण्ड का साइज क्या है और लण्ड का सुपाड़ा किस तरह का है ? चोदने में लौड़ा कैसा होगा ये तो चुदवाने के बाद ही मालूम होगा। लेकिन खुदा का शुक्रिया अदा करती हुईं की लौड़ा मेरे मन का था और मैंने भी खूब मन से चुदवाया। लण्ड पर बैठ कर चुदाने में ज्यादा मज़ा आया।
जब वह चोद कर चला गया तो मेरी अम्मी जान ने जो अब मेरी नन्द थीं पूंछा - हाय मेरी भाभी जान बताओ न की
मैंने कहा - हाय मेरी बुर चोदी नन्द रानी मुझे तो बहुत मज़ा आया चुदवाने में। अब जब मैं तेरी बुर चुदवाऊंगी तो और मज़ा आएगा ?
वह बोली - हाय मेरी बन्नो तू तो भोसड़ी वाली बड़ी मजे दार है।
मैंने भी मजाक करते हुए कहा - तू भी तो बहुत बड़ी बेटी चोद है नन्द रानी। तेरा भोसड़ा भी बेटी चोद है और तेरी बहनों का भोसड़ा भी।
फिर हम सब हंसने लगीं। मैं अपनी ससुराल में ही थी। वहां मेरे भी सभी लोग थे। मेरा अब्बू भी था और मेरे सारे नाते रिश्ते दार भी। रात को मेरे लिए सोने के इंतज़ाम बाहर एक बड़े कमरे में था। वहां भी लोग थे. मैं जान गयी की आज रात को चुदाई का हंगामा होने वाला है। उस कमरे में मैं थी मेरी अम्मी जान मेरा अब्बू मेरी भाभी जान मेरी आपा और भी कुछ लोग। मैं मस्त मस्त बातें कर रहीं थी। आपा का मियां आ गया। अम्मी कुछ मस्ती के मूड में थी तो उसने जीजू का पजामा खोल डाला और अपना हाथ अंदर घुसेड़ दिया। वह अंदर ही अंदर लण्ड सहलाने लगी। मुझे भी जोश आया. इतने में मेरा अब्बू कमरे में आ गया। मैंने बड़ी बेशर्मी से काह - हाय मेरे नंदोई राजा आओ न मेरे पास। आज तो मेरी बुर चोदो मेरे राजा। अब तो तुम मेरे नंदोई हो। अपनी साले की बीवी की बुर ले लो न। मैंने फ़ौरन उसकी लुंगी खींच ली। उसने अंदर कुछ नहीं पहना था तो वह मेरे आगे और सबके आगे नंगा हो गया। मैंने उसका लण्ड पकड़ा और हिलाया। लण्ड बहन चोद तन कर खड़ा हो गया। मैं आज पहली बार अब्बू का लण्ड देख रही थी। मैं कह सकती हूँ मेरे अब्बू के लण्ड के बराबर यहाँ किसी का लण्ड नहीं है। मैंने भी अपने कपड़े उतार लिपट गयी। मेरी भाभी जान मेरी आपा के ससुर से नंगी नंगी लिपटी हुई थी और उसका लण्ड बार बार चूम रहीं थी। मेरी अम्मी ने आपा के मियां का लण्ड पकड़ रखा था। यानी मेरी नन्द मेरे जीजू के लण्ड से खेलने लगी थी। अब किसी के बदन पर कोई कपड़ा नहीं था। मैं भी नंगी। अम्मी भी और भाभी जान भी नंगी। मेरी आपा भी नंगी। आपा के हाथ में समीना आंटी के मियां का लण्ड था. मैं चारों के हाथ में लण्ड देख कर बहुत खुश थी और चुदाने का पूरा मन बना लिया था। मुझे मेरे नंदोई का लण्ड यानी अब्बू का लण्ड सबसे ज्यादा अच्छा लग रहा था।
मैं नंदोई का लण्ड आम की गुठली की तरह चूस रही थी। वह मेरी चूत सहला रहा था और मेरी चूँचियाँ दबा रहा था। इतने में उसने लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया। वह सटासट चोदने लगा और कहा आज मैं अपने साले की बीवी की बुर फाड़ डालूँगा। पेल दूंगा पूरा लण्ड। चीथड़े उड़ा दूंगा मैं इसकी चूत के। मुझे नंदोई की बातों से बड़ा जोश आ रहा था। मैंने भी कहा लो चोदो न अपने साले की बीवी की बुर। फाड़ डालो मेरी चूत। तेरा ये भोसड़ी का लण्ड और कर भी क्या सकता है। चोदो मुझे, खूब चोदो, अपनी गांड उठा उठा के चोदो। अंदर तक लण्ड घुसा दो मेरे राजा। बड़ा अच्छा लग रहा है। मुझे इस तरह आज तक किसी ने नहीं चोदा। हाय अल्लाह बड़ा मज़ा आ रहा है। मैं तो तेरे लण्ड की गुलाम हो गयी यार। बड़ा सयाना लण्ड है तेरा। वाओ हूँ हो ओहो हाय रे मैं मर जावां, मुझे हर रोज़ चोदा करो। मेरी चूँची भी चोदो, मेरे मुंह में पेल दो अपना लण्ड। मेरा पूरा बदन चोद डालो। हर जगह घुसा दो अपना लण्ड। हाय रे ऊँ हो हां हां उई ,,,,,,,,,,,,,,,?
तब मैंने देखा आपा का ससुर भाभी की बुर में लण्ड पेले चोद रहा है। अम्मी जाना अपनी बेटी के मियां से चुदवा रहीं हैं और आपा समीना आंटी के मियां से चुदवा रहीं हैं। सबकी चूत का बाजा बज रहा है और खूब मज़ा आ रहा है।
अम्मी जान फिर मजाक में बोली - हाय मेरी भाभी जान, तेरी बहन की बुर, तेरी माँ का भोसड़ा ? तेरी नन्द की बिटिया की चूत ? मैंने भी मस्ती से जबाब दिया - हाय मेरी बुर चोदी नंद रानी, तेरी भाभी की माँ की चूत, तेरी बहन का लण्ड, तेरी बहू का भोसड़ा ?
मेरी आपा ( बड़ी बहन ) बोली - हाय मेरी अम्मी जान, तू बहन चोद मेरे मियां का लण्ड चोद रही है। तेरी बेटी की हर तेरी भाभी की गांड। तेरे मियां की बहन का भोसड़ा ?
बस इसी तरह की मस्ती भी हो रही थी और चुदाई भी बड़ी जोरों से चल रही थी। आखिर में एक एक करके सबकी चूत ढीली होने लगी और उधर सबके लण्ड भी झड़ने लगे। फिर हम सबने मिलकर सबके झड़ते हुए लण्ड बड़े प्यार से चाटे।
=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=० समाप्त
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