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मैं झांटें बना के आई हूँ मुझे चोदो - Jhanthe kaat ke aayi hun mujhe chodo
मैं झांटें बना के आई हूँ मुझे चोदो - Jhanthe kaat ke aayi hun mujhe chodo , झांटें साफ़ करवा कर चुत चुदवाई , खुल्लम खुल्ला चोदो चूत - Largest Sex Story Collection , बिन झांठो की छोटी सी चूत को आराम से चोदो
मेरा नाम रेशमा है. मेरी उम्र 30 साल की हैं। मेरी शादी के 5 साल हो चुके हैं। मैं यह बात उस समय की बता रही हूँ जब मैं 20 साल की थी। मेरे मकान की दूसरी मंजिल पर एक कपल किराए पर रहते थे। मेरा उसके घर आना जाना बहुत होता था। मैं उन्हें भाई जान और भाभी जान कहती थी। उसका नाम था आरिफ और आतिफा। आतिफा भाभी बुर्का इस्तेमाल करती थी और बहुत ही खूबसूरत थीं। मैं बुर्का बिलकुल छूती नहीं थी। मैं बिंदास यूं ही बिना बुर्के के घूमा करती थी।
एक दिन दोपहर में मैं अचानक उनके कमरे में चली गयी। मैंने उन्हें एकदम नंगे देखा। अच्छा यह हुआ की न मुझे भाई जान ने देखा और न भाभी जान ने। मैं थोड़ा पीछे हटी और खिड़की सी उनकी हरकतें देखने लगी। मैंने देखा की भाभी जान भाई जान का लौड़ा हिला रही है और भाई जान अपनी बीवी की चूँची दबा रहें हैं और उसकी चूत भी सहला रहें हैं। मैं दोनों को नंगे देख कर उत्तेजित हो गयी। मेरी उत्तेजना का सबसे बड़ा कारण था भाई जान का लण्ड ? बहन चोद इतना मोटा तगड़ा लण्ड मैं पहली बार देख रही थी। इसके पहले मैं 3/4 लण्ड पकड़ कर देख चुकी थी पर चुदवाया किसी से भी नहीं था। लण्ड देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया और नीचे चूत ने भी पानी छोड़ दिया। मैं लाल हो गयी। मेरा मन हुआ की आज मैं भाभी जान से लण्ड छीन लूं और अपने मुंह में घुसेड़ लूं लेकिन मैं सब्र से सब कुछ देखने लगी। आतिफा भाभी जान की बड़ी बड़ी सुडौल चूँचियाँ देख कर मज़ा आ रहा था। उसकी आलू का पराठा जैसी चूत देख कर खूब मज़ा आया। उसकी चूत पर झांटें थीं। आरिफ बोला यार तुम अपनी झांटें बनाकर मेरे पास आया करो। मुझे चिकनी चूत पसंद है। मैं चूत पहले चाटता हूँ और फिर चोदता हूँ। मुझे बिना झांट की चूत चाटने में ज्यादा मज़ा आता है। हां चूत के ऊपर वाले चबूतरे पर अपनी छोटी छोटी झांटें रख लो तो अच्छा है। उसमे मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है। मैंने यह बात अच्छी तरह याद कर ली। तब आतिफा भाभी ने कहा अच्छा मैं अभी बाथ रूम से आती हूँ ।
वह चली गयी और भाई जान का लण्ड टन टनाता रहा। मेरा मन हुआ की मैं अभी अंदर घुस जाऊं और भाई जान का लण्ड पकड़ कर अपने मुंह में घुसा लूं। मेरा मन लण्ड चूसने का और लण्ड पीने का हो रहा था पर मैं मजबूर थी। सब कुछ दूर से ही देखती रही। बस 5 मिनट में भाभी जान वापस आ गई और अपनी चूत खोल कर दिखा दी। उसकी झांटें बिलकुल साफ़ हो गयीं थीं। भाई जान उसकी चूत चाटने में जुट गये और वह भाई जान का लण्ड चाटने में। मुझे यह सीन बड़ा ही मनमोहक और उत्तेजित करने वाला लग रहा था। मैं आतिफा को लण्ड चाटते हुए बड़े गौर से देख रही थी। कुछ देर बाद आरिफ ने लण्ड अपनी बीवी की बुर पर टिका दिया और एक धक्का मारा तो लण्ड सटाक से अंदर घुस गया। वह गचागच चोदने लगा और भाभी जान भी एक मंजी हुई खिलाड़ी की तरह चुदवाने लगी। उनकी चुदाई देख कर मैं भी उत्तेजित हो गयी पर मेरे पास कोई लण्ड नहीं था। सिर्फ उंगलियां थीं। उन्हीं से काम लिया।
दो दिन बाद मैं फिर उसके घर पहुँच गई। इस बार आतिफा के पास कोई और मरद बैठा था। आतिफा भाभी उसके पजामा के अंदर हाथ घुसेड़े हुए उसका लण्ड सहला रहीं थीं। लण्ड बाहर नहीं था इसलिए मैं उसका दीदार नहीं कर पाई। भाभी जान की चूँचियाँ खुलीं थीं और उसकी सलवार का नाड़ा भी खुला था। उन दोनों की कुछ बातें हो रहीं थीं वो मैं कान लगाकर सुनने लगी।
एक दिन ऐसा आया की आतिफा भाभी कहीं चली गयी और घर में केवल आरिफ भाई जान ही थे। मैं उसके पास चली गयी। वह बोला अरे रेशमा आओ बैठो। आज तुम बहुत अच्छी लग रही हो। क्या कोई ख़ास बात है। मैंने कहा नहीं भाई जान तुम भी तो बहुत अच्छे लग रहे हो। मैं उस समय केवल एक बुर्का ओढ़े थी अंदर से बिलकुल नंगी थी। मैंने पूंछा भाई जान भाभी कहाँ गयीं हैं। वह बोला तेरी भाभी अपने माईके गयी है। दो दिन के बाद आएगी। मैंने कहा तो फिर दो दिन तक तुम क्या करोगे भाई जान ? उसने कहा कुछ नहीं करूंगा बस अकेला ही पड़ा रहूंगा। मैंने कहा अकेले क्यों ? मैं हूँ न तेरे पास। मेरे पास पड़े रहना। उसने कहा ऐसा कैसा हो सकता है ? मैंने बताया की जब तुम चले जाते हो तो भाभी जान अकेली नहीं रहती हैं भाई जान ? वह भी किसी के साथ पड़ी रहती हैं।
उसने कहा ज़रा खुल कर बताओ तुम कहना क्या चाहती हो ?
मैंने कहा - तुम्हारे जाने के बाद यहाँ कोई न कोई मरद आता है। भाभी जान उसी के साथ नंगी लेटती हैं। वह भी नंगा लेटता है ?
उसने कहा - क्या तुमने कभी उन दोनों को नंगा देखा है रेशमा।
मैंने कहा - हां देखा है और कई बार देखा है। न मानो लो देख लो ये वीडियो ?
मैंने उसे वीडियो दिखा दिया तो उसकी झांटें सुलग गईं।
वह बोला - अब मैं भी उसके जाने के बाद किसी और की बीवी के साथ नंगा लेटा करूंगा ? उसको भी नंगी लिटाऊंगा।
मैंने कहा - तो फिर मुझे नंगी लिटाओ न भाई जान। मैं तुम्हारे साथ नंगी लेटने को तैयार हूँ। मैं खुद तुम्हे नंगा कर दूँगी।
वह बोला - अरे रेशमा कहीं तेरे अब्बू जान और अम्मी नाराज़ न हो जाएँ ?
अम्मी की बिटिया की बुर ? अब्बू की बहन का भोसड़ा ? मेरी अम्मी बुर चोदी खुद ग़ैर मर्दों के साथ लेटती है और अब्बू भोसड़ी का दूसरों की बीवियां चोदता है। उनकी बहू बेटियां चोदता है। उसका भी वीडियो मेरे पास है। वो दोनों बहन चोद मुझसे कुछ नहीं कह सकते ?
मैंने उसके गाल चूम कर कहा - भाई जान मैं आज अपनी झांटें बना कर आई हूँ, मुझे चोदो। मैं जानती हूँ की तुम झांट वाली चूत नहीं पसंद करते हो।
ऐसा बोल कर मैंने अपना बुरका उठाया और उसे अपनी बुर दिखा दी। उसकी लार टपकने लगी। उसका लौड़ा खड़ा हो गया। मैंने उसका पजामा खोला और लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी। लण्ड तो एकदम से खड़ा हो गया। तब तक मैंने अपना बुरका उतार कर फेंक दिया और नंगी नंगी उसके सामने खड़ी हो गयी। वह मुझे नंगी देख कर बुरी तरह ललचा गया और अपनी जबान होठों पर फिराने लगा।
उसने मेरी चूँचियाँ पकड़ीं और दबाने लगा। मेरी चूत पर हाथ फेरने लगा और मेरी गांड सहलाने लगा। आरिफ भाई जान की भी झांटें साफ़ थीं। इसलिए उसका लण्ड खूबसूरत लग रहा था और बड़ा भी। मैंने अनुमान लगाया की आज भाई जान का लण्ड उस दिन के लण्ड से बड़ा भी है औअर मोटा भी। इसका कारण यह है की परायी बीवी या परायी बेटी या परायी बहन के हाथ में जाकर लण्ड भोसड़ी का बड़ा और मोटा हो जाता है। मैं भाई जान के ऊपर चढ़ गई और अपनी चूत उसके मुंह पर रख दी। मैंने कहा लो भाई जान अब तुम बड़े मजे से चाटो मेरी बुर। घुसा दो अपनी जबान मेरी चूत के अंदर। वह मस्ती से चाटने लगा बुर और मैं मैं मज़ा लेने लगी। मुझे तो और अच्छा लग रहा था। मैं लड़कों से भी बुर चटवाती हूँऔर अब्बू के बराबर मर्दों से भी। अब्बू के २/३ दोस्त भी मेरी बुर चाटते हैं।
मैं जिसके सामने नंगी होती हूँ उसको अपनी बुर जरूर चटवाती हूँ। मैं सिस्याने लगी बोलने लगी। हाय रे भाई जान बड़ा मज़ा आ रहा है। और चाटो मेरी बुर। अपनी जबान से चोद डालो मेरी बुर भोसड़ी के आरिफ। तेरी जबान में जादू है माँ के लौड़े। तेरी बहन की बुर साले तू बहुत बड़ा चटोरा है। बुर चट्टू है तू। हाय अल्लाह मैं मर जाऊंगी। बड़ा मज़ा आ रहा है। इसी तरह मेरी बुर किसी ने भी नहीं चाटी। तू तो बहुत बड़ा खिलाड़ी है मादर चोद। मैं तुझे एक दिन अपनी माँ का भोसड़ा चटाऊँगी। अब मेरी बारी थी। मैं झुक गई और लण्ड चाटने लगी। मुझे तो लण्ड चाटने का अच्छा खासा अनुभव है। मैं कुतिया की तरह चपर चपर लण्ड चाटने में लग गयी और पेलहड़ भी चाटने में । लण्ड की झांटें जब नहीं होतीं हैं तो फिर लण्ड और पेल्हड़ चाटने में बड़ा मज़ा आता है। मुझे लण्ड का सुपाड़ा चाटने में बड़ा अच्छा लगता है। आरिफ भाई जान भी सिसियाने लगे बोले तू रेशमा बड़ी कुत्ती चीज है यार। इस तरह तो मेरी बीवी ने भी मेरा लण्ड नहीं चाटा। तेरी माँ की चूत। तू मेरी सबसे अच्छी लण्ड चटोरी दोस्त है।
वॉवो और चाटो मेरा लण्ड पूरा चाट डालो। चिकना कर दो लौड़ा। मुंह में ले लो पूरा लण्ड। मैंने सच में लौड़ा मुंह में घुसा लिया और उसे हलक तक ले गयी। वह बोला यार मैं यहाँ झड़ जाऊंगा। जल्दी निकालो लण्ड। मैं तेरी बुर चोदूंगा रेशमा। मैंने जैसे ही लण्ड मुंह से निकाला वैसे ही उसने लण्ड घुसेड़ दिया मेरी बुर में। वह बहन चोद कुत्ते की तरह मुझे चोदने लगा। मैं भी धकाधक चुदवाने लगी। बिलकुल वैसे ही जैसे आतिफा भाभी कबीर से चुदवा रही थी। आज मुझे वाकई ज़न्नत का मज़ा मिल रहा था। मैंने कहा आरिफ भोसड़ी के भाई जान और पेल पेल के चोदो लण्ड । अपनी बीवी समझ कर चोदो मुझे। साले तू बड़ा हरामजादा है। तेरे लण्ड की माँ का भोसड़ा। साले हरामी लड़कियों की बुर चोदता है तू। हाय रे फट रही है मेरी गांड तुमसे चुदवाकर। तू तो मेरी माँ भी चोद डालेगा। मेरी बहन की बुर ले लेगा तू ? मेरी खाला का भोसड़ा चोद डालेगा तू। मैं चुदवाते समय ऐसे ही अल्लम गल्लम बातें बकती जाती हूँ।
मैं चुदवा ही रही थी की इतने में जाने कहाँ से उसकी बीवी आतिफा भाभी आ गईं वह भी दो दो मर्दों के साथ।
एक तो कबीर था और दूसरा कौन था यह मैं नहीं जानती। मैंने भाई जान को इशारा किया की तुम चोदते रहो बाकी मैं निपट लूँगी। फाड़ डालूंगी आतिफा भाभी की गांड अगर उसने कुछ कहा तो ? भाभी चुप रही कुछ नहीं बोली। उसके साथ के लोग भी बैठ गए। मैं चुदवाती रही और भाई जान चोदते रहे। आतिफा भाभी भी बैठ कर मेरी चुदाई देखने लगीं। अचानक मेरी चूत ढीली हो गयी और भाई जान भी झड़ने के मुकाम पर आ गए। फिर मैंने उसका झड़ता हुआ लंडबदे प्यार से चाटा।
तब आतिफा भाभी बोली सुनो आरिफ मियां ये है कबीर मेरा दोस्त और ये है इसका मामू जान अकबर। मैं इन दोनों के साथ ही आई हूँ। तुमने आज रेशमा की बुर ली अच्छा किया। मेरे न रहने पर आखिर कार कोई तो तुम्हे चाहिए जिसकी बुर तुम ले सको। मुझे पता चला है की रेशमा की माँ भी एक अच्छी चुदक्कड़ औरत है। तुम उसे भी चोदा करो।
इतने में भाई जान बाथ रूम चले गए।
मैंने कहा - आतिफा भाभी जान मैं तेरे सामने तेरे मियां से चुदवा रही थी तो तुम्हे बुरा नहीं लगा ?
वह बोली - बुरा क्यों लगेगा ? मैं तो चाहती थी की मेरा मियां मेरे पीछे किसी और की बुर चोदा करे तो मैं भी उसके पीछे किसी और से चुदवाया करूं। मेरा भी मन करता है की मैं ग़ैर मर्दों से चुदवाऊँ।
मैंने कहा - अच्छा भाभी जान ये बताओ की कबीर का लण्ड कितना बड़ा और कितना मोटा है ?
वह बोली - मुझसे क्या पूंछ रही हो तुम खुद ही पकड़ कर देख लो कबीर का लण्ड।
मैंने कहा - अरे भाभी जान तम्हे सब मालूम है। तुम्हे उसके लण्ड का साइज मालूम है तेरी चूत को उसके लण्ड का साइज मालूम है। आज तू कबीर में मामू को लायी है उससे चुदवाने के लिए। मैं सब जानती हूँ।
वह मेरे कान में बोली - अरे यार तुम्हे क्या चाहिए ?
मैंने कहा - कबीर का लण्ड और उसके मामू का लण्ड ?
वह बोली - तू पहले कबीर का लण्ड ले ले और मैं उसके मामू का लण्ड। फिर तुम मामू का लण्ड ले लेना और मैं कबीर का लण्ड ले लूंगी। मेरा मियां का लण्ड हम दोनों के बीच रहेगा। जब आरिफ भाई जान बाथ रूम से आया तो आतिफा भाभी बाथ रूम चली गयी। तो मैंने भाई जान को पूरी कहानी बता दी। वह बोला हां रेशमा ठीक है। अब तो मेरा भी रास्ता खुल गया है। अब मैं भी अपनी बीवी के आगे किसी और की बीवी चोदा करूंगा। उसके बाद बाद सब लोग अपने अपने कपड़े उतारने लगे। सबसे पहले मैं नंगी हुई फिर आतिफा भाभी और फिर कबीर और उसका मामू। आरिफ तो लगभग नंगा था ही। मैंने कबीर का लण्ड पकड़ा और भाभी जान ने मामू का लंड। मैंने दूसरे हाथ से भाई जान का लौड़ा फिर से पकड़ लिया। वह अब पूरी तरह दुबारा खड़ा हो गया था। कबीर का लण्ड साला 9" का था और मोटा भी गज़ब का था। इतना बड़ा लौड़ा उसके मामू का भी था। मैं दोनों लण्ड देख देख कर मस्त हो गई। कबीर का लौड़ा मुंह में डाला और चूसने लगी। मामू का लौड़ा भाभी ने अपने मुंह में घुसेड़ लिया। हम दोनों लण्ड चाटने लगीं।
मेरी चूत तो लण्ड खाने में माहिर हो चुकी थी। यही हाल भाभी जान की चूत का भी था। कबीर ने जैसे ही लण्ड मेरी चूत में पेला वैसे ही मुझे ज़न्नत का मज़ा आया और मेरे सामने भाभी जान भी मामू का लण्ड अपनी बुर में पेलवा लिया और राहत की सांस ली। हम दोनों रंडियों की तरह भकाभक चुदवाने लगीं। मैं बीच बीच में भाई जान का लौड़ा बड़े प्यार से मुठियाने भी लगी। इस तरह हम दोनों ने तीन तीन लण्ड का मज़ा रात भर लिया।
खुदा करे की ऐसा मज़ा सबको मिले।
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मेरा नाम रेशमा है. मेरी उम्र 30 साल की हैं। मेरी शादी के 5 साल हो चुके हैं। मैं यह बात उस समय की बता रही हूँ जब मैं 20 साल की थी। मेरे मकान की दूसरी मंजिल पर एक कपल किराए पर रहते थे। मेरा उसके घर आना जाना बहुत होता था। मैं उन्हें भाई जान और भाभी जान कहती थी। उसका नाम था आरिफ और आतिफा। आतिफा भाभी बुर्का इस्तेमाल करती थी और बहुत ही खूबसूरत थीं। मैं बुर्का बिलकुल छूती नहीं थी। मैं बिंदास यूं ही बिना बुर्के के घूमा करती थी।
एक दिन दोपहर में मैं अचानक उनके कमरे में चली गयी। मैंने उन्हें एकदम नंगे देखा। अच्छा यह हुआ की न मुझे भाई जान ने देखा और न भाभी जान ने। मैं थोड़ा पीछे हटी और खिड़की सी उनकी हरकतें देखने लगी। मैंने देखा की भाभी जान भाई जान का लौड़ा हिला रही है और भाई जान अपनी बीवी की चूँची दबा रहें हैं और उसकी चूत भी सहला रहें हैं। मैं दोनों को नंगे देख कर उत्तेजित हो गयी। मेरी उत्तेजना का सबसे बड़ा कारण था भाई जान का लण्ड ? बहन चोद इतना मोटा तगड़ा लण्ड मैं पहली बार देख रही थी। इसके पहले मैं 3/4 लण्ड पकड़ कर देख चुकी थी पर चुदवाया किसी से भी नहीं था। लण्ड देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया और नीचे चूत ने भी पानी छोड़ दिया। मैं लाल हो गयी। मेरा मन हुआ की आज मैं भाभी जान से लण्ड छीन लूं और अपने मुंह में घुसेड़ लूं लेकिन मैं सब्र से सब कुछ देखने लगी। आतिफा भाभी जान की बड़ी बड़ी सुडौल चूँचियाँ देख कर मज़ा आ रहा था। उसकी आलू का पराठा जैसी चूत देख कर खूब मज़ा आया। उसकी चूत पर झांटें थीं। आरिफ बोला यार तुम अपनी झांटें बनाकर मेरे पास आया करो। मुझे चिकनी चूत पसंद है। मैं चूत पहले चाटता हूँ और फिर चोदता हूँ। मुझे बिना झांट की चूत चाटने में ज्यादा मज़ा आता है। हां चूत के ऊपर वाले चबूतरे पर अपनी छोटी छोटी झांटें रख लो तो अच्छा है। उसमे मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है। मैंने यह बात अच्छी तरह याद कर ली। तब आतिफा भाभी ने कहा अच्छा मैं अभी बाथ रूम से आती हूँ ।
वह चली गयी और भाई जान का लण्ड टन टनाता रहा। मेरा मन हुआ की मैं अभी अंदर घुस जाऊं और भाई जान का लण्ड पकड़ कर अपने मुंह में घुसा लूं। मेरा मन लण्ड चूसने का और लण्ड पीने का हो रहा था पर मैं मजबूर थी। सब कुछ दूर से ही देखती रही। बस 5 मिनट में भाभी जान वापस आ गई और अपनी चूत खोल कर दिखा दी। उसकी झांटें बिलकुल साफ़ हो गयीं थीं। भाई जान उसकी चूत चाटने में जुट गये और वह भाई जान का लण्ड चाटने में। मुझे यह सीन बड़ा ही मनमोहक और उत्तेजित करने वाला लग रहा था। मैं आतिफा को लण्ड चाटते हुए बड़े गौर से देख रही थी। कुछ देर बाद आरिफ ने लण्ड अपनी बीवी की बुर पर टिका दिया और एक धक्का मारा तो लण्ड सटाक से अंदर घुस गया। वह गचागच चोदने लगा और भाभी जान भी एक मंजी हुई खिलाड़ी की तरह चुदवाने लगी। उनकी चुदाई देख कर मैं भी उत्तेजित हो गयी पर मेरे पास कोई लण्ड नहीं था। सिर्फ उंगलियां थीं। उन्हीं से काम लिया।
दो दिन बाद मैं फिर उसके घर पहुँच गई। इस बार आतिफा के पास कोई और मरद बैठा था। आतिफा भाभी उसके पजामा के अंदर हाथ घुसेड़े हुए उसका लण्ड सहला रहीं थीं। लण्ड बाहर नहीं था इसलिए मैं उसका दीदार नहीं कर पाई। भाभी जान की चूँचियाँ खुलीं थीं और उसकी सलवार का नाड़ा भी खुला था। उन दोनों की कुछ बातें हो रहीं थीं वो मैं कान लगाकर सुनने लगी।
- भाभी ने कहा - यार कबीर आज तेरा लण्ड कुछ ज्यादा मोटा लग रहा है। मेरी चूत के अलावा ये किसी किस की चूत खाता है।
- वह बोला - अरे भाभी जान कल मैंने दिन में अपनी खाला का भोसड़ा चोदा। रात में उसकी बिटिया की बुर चोदी। मुझे माँ बेटी दोनों की बुर अलग अलग चोदने में खूब मज़ा आया।
- किसी दिन दोनों को एक साथ चोदो तो और मज़ा आएगा।
- हां मुझे लगता है की वो दोनों एक साथ चुदवा भी लेगीं। क्योंकि माँ अपनी बेटी को गाली दे रही थी और बेटी अपनी माँ को।
- अच्छा कबीर, तेरा कोई दोस्त ऐसा है जिसका लण्ड तेरे लण्ड जैसा मोटा हो।
- हां है दोस्त नहीं वह मेरा चचा जान है जो मेरी ही उम्र का है। वो एक दिन मेरी भाभी की बुर ले रहा था तो मैंने उसका लण्ड देख लिया।
- अच्छा तो फिर किसी दिन उसे लेकर आओ और फिर तुम दोनों मिलकर मेरी बुर चोदो।
- ठीक है, मैं परसों आऊंगा। उसे भी परायी बीवी चोदने का बड़ा शौक है।
एक दिन ऐसा आया की आतिफा भाभी कहीं चली गयी और घर में केवल आरिफ भाई जान ही थे। मैं उसके पास चली गयी। वह बोला अरे रेशमा आओ बैठो। आज तुम बहुत अच्छी लग रही हो। क्या कोई ख़ास बात है। मैंने कहा नहीं भाई जान तुम भी तो बहुत अच्छे लग रहे हो। मैं उस समय केवल एक बुर्का ओढ़े थी अंदर से बिलकुल नंगी थी। मैंने पूंछा भाई जान भाभी कहाँ गयीं हैं। वह बोला तेरी भाभी अपने माईके गयी है। दो दिन के बाद आएगी। मैंने कहा तो फिर दो दिन तक तुम क्या करोगे भाई जान ? उसने कहा कुछ नहीं करूंगा बस अकेला ही पड़ा रहूंगा। मैंने कहा अकेले क्यों ? मैं हूँ न तेरे पास। मेरे पास पड़े रहना। उसने कहा ऐसा कैसा हो सकता है ? मैंने बताया की जब तुम चले जाते हो तो भाभी जान अकेली नहीं रहती हैं भाई जान ? वह भी किसी के साथ पड़ी रहती हैं।
उसने कहा ज़रा खुल कर बताओ तुम कहना क्या चाहती हो ?
मैंने कहा - तुम्हारे जाने के बाद यहाँ कोई न कोई मरद आता है। भाभी जान उसी के साथ नंगी लेटती हैं। वह भी नंगा लेटता है ?
उसने कहा - क्या तुमने कभी उन दोनों को नंगा देखा है रेशमा।
मैंने कहा - हां देखा है और कई बार देखा है। न मानो लो देख लो ये वीडियो ?
मैंने उसे वीडियो दिखा दिया तो उसकी झांटें सुलग गईं।
वह बोला - अब मैं भी उसके जाने के बाद किसी और की बीवी के साथ नंगा लेटा करूंगा ? उसको भी नंगी लिटाऊंगा।
मैंने कहा - तो फिर मुझे नंगी लिटाओ न भाई जान। मैं तुम्हारे साथ नंगी लेटने को तैयार हूँ। मैं खुद तुम्हे नंगा कर दूँगी।
वह बोला - अरे रेशमा कहीं तेरे अब्बू जान और अम्मी नाराज़ न हो जाएँ ?
अम्मी की बिटिया की बुर ? अब्बू की बहन का भोसड़ा ? मेरी अम्मी बुर चोदी खुद ग़ैर मर्दों के साथ लेटती है और अब्बू भोसड़ी का दूसरों की बीवियां चोदता है। उनकी बहू बेटियां चोदता है। उसका भी वीडियो मेरे पास है। वो दोनों बहन चोद मुझसे कुछ नहीं कह सकते ?
मैंने उसके गाल चूम कर कहा - भाई जान मैं आज अपनी झांटें बना कर आई हूँ, मुझे चोदो। मैं जानती हूँ की तुम झांट वाली चूत नहीं पसंद करते हो।
ऐसा बोल कर मैंने अपना बुरका उठाया और उसे अपनी बुर दिखा दी। उसकी लार टपकने लगी। उसका लौड़ा खड़ा हो गया। मैंने उसका पजामा खोला और लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी। लण्ड तो एकदम से खड़ा हो गया। तब तक मैंने अपना बुरका उतार कर फेंक दिया और नंगी नंगी उसके सामने खड़ी हो गयी। वह मुझे नंगी देख कर बुरी तरह ललचा गया और अपनी जबान होठों पर फिराने लगा।
उसने मेरी चूँचियाँ पकड़ीं और दबाने लगा। मेरी चूत पर हाथ फेरने लगा और मेरी गांड सहलाने लगा। आरिफ भाई जान की भी झांटें साफ़ थीं। इसलिए उसका लण्ड खूबसूरत लग रहा था और बड़ा भी। मैंने अनुमान लगाया की आज भाई जान का लण्ड उस दिन के लण्ड से बड़ा भी है औअर मोटा भी। इसका कारण यह है की परायी बीवी या परायी बेटी या परायी बहन के हाथ में जाकर लण्ड भोसड़ी का बड़ा और मोटा हो जाता है। मैं भाई जान के ऊपर चढ़ गई और अपनी चूत उसके मुंह पर रख दी। मैंने कहा लो भाई जान अब तुम बड़े मजे से चाटो मेरी बुर। घुसा दो अपनी जबान मेरी चूत के अंदर। वह मस्ती से चाटने लगा बुर और मैं मैं मज़ा लेने लगी। मुझे तो और अच्छा लग रहा था। मैं लड़कों से भी बुर चटवाती हूँऔर अब्बू के बराबर मर्दों से भी। अब्बू के २/३ दोस्त भी मेरी बुर चाटते हैं।
मैं जिसके सामने नंगी होती हूँ उसको अपनी बुर जरूर चटवाती हूँ। मैं सिस्याने लगी बोलने लगी। हाय रे भाई जान बड़ा मज़ा आ रहा है। और चाटो मेरी बुर। अपनी जबान से चोद डालो मेरी बुर भोसड़ी के आरिफ। तेरी जबान में जादू है माँ के लौड़े। तेरी बहन की बुर साले तू बहुत बड़ा चटोरा है। बुर चट्टू है तू। हाय अल्लाह मैं मर जाऊंगी। बड़ा मज़ा आ रहा है। इसी तरह मेरी बुर किसी ने भी नहीं चाटी। तू तो बहुत बड़ा खिलाड़ी है मादर चोद। मैं तुझे एक दिन अपनी माँ का भोसड़ा चटाऊँगी। अब मेरी बारी थी। मैं झुक गई और लण्ड चाटने लगी। मुझे तो लण्ड चाटने का अच्छा खासा अनुभव है। मैं कुतिया की तरह चपर चपर लण्ड चाटने में लग गयी और पेलहड़ भी चाटने में । लण्ड की झांटें जब नहीं होतीं हैं तो फिर लण्ड और पेल्हड़ चाटने में बड़ा मज़ा आता है। मुझे लण्ड का सुपाड़ा चाटने में बड़ा अच्छा लगता है। आरिफ भाई जान भी सिसियाने लगे बोले तू रेशमा बड़ी कुत्ती चीज है यार। इस तरह तो मेरी बीवी ने भी मेरा लण्ड नहीं चाटा। तेरी माँ की चूत। तू मेरी सबसे अच्छी लण्ड चटोरी दोस्त है।
वॉवो और चाटो मेरा लण्ड पूरा चाट डालो। चिकना कर दो लौड़ा। मुंह में ले लो पूरा लण्ड। मैंने सच में लौड़ा मुंह में घुसा लिया और उसे हलक तक ले गयी। वह बोला यार मैं यहाँ झड़ जाऊंगा। जल्दी निकालो लण्ड। मैं तेरी बुर चोदूंगा रेशमा। मैंने जैसे ही लण्ड मुंह से निकाला वैसे ही उसने लण्ड घुसेड़ दिया मेरी बुर में। वह बहन चोद कुत्ते की तरह मुझे चोदने लगा। मैं भी धकाधक चुदवाने लगी। बिलकुल वैसे ही जैसे आतिफा भाभी कबीर से चुदवा रही थी। आज मुझे वाकई ज़न्नत का मज़ा मिल रहा था। मैंने कहा आरिफ भोसड़ी के भाई जान और पेल पेल के चोदो लण्ड । अपनी बीवी समझ कर चोदो मुझे। साले तू बड़ा हरामजादा है। तेरे लण्ड की माँ का भोसड़ा। साले हरामी लड़कियों की बुर चोदता है तू। हाय रे फट रही है मेरी गांड तुमसे चुदवाकर। तू तो मेरी माँ भी चोद डालेगा। मेरी बहन की बुर ले लेगा तू ? मेरी खाला का भोसड़ा चोद डालेगा तू। मैं चुदवाते समय ऐसे ही अल्लम गल्लम बातें बकती जाती हूँ।
मैं चुदवा ही रही थी की इतने में जाने कहाँ से उसकी बीवी आतिफा भाभी आ गईं वह भी दो दो मर्दों के साथ।
तब आतिफा भाभी बोली सुनो आरिफ मियां ये है कबीर मेरा दोस्त और ये है इसका मामू जान अकबर। मैं इन दोनों के साथ ही आई हूँ। तुमने आज रेशमा की बुर ली अच्छा किया। मेरे न रहने पर आखिर कार कोई तो तुम्हे चाहिए जिसकी बुर तुम ले सको। मुझे पता चला है की रेशमा की माँ भी एक अच्छी चुदक्कड़ औरत है। तुम उसे भी चोदा करो।
इतने में भाई जान बाथ रूम चले गए।
मैंने कहा - आतिफा भाभी जान मैं तेरे सामने तेरे मियां से चुदवा रही थी तो तुम्हे बुरा नहीं लगा ?
वह बोली - बुरा क्यों लगेगा ? मैं तो चाहती थी की मेरा मियां मेरे पीछे किसी और की बुर चोदा करे तो मैं भी उसके पीछे किसी और से चुदवाया करूं। मेरा भी मन करता है की मैं ग़ैर मर्दों से चुदवाऊँ।
मैंने कहा - अच्छा भाभी जान ये बताओ की कबीर का लण्ड कितना बड़ा और कितना मोटा है ?
वह बोली - मुझसे क्या पूंछ रही हो तुम खुद ही पकड़ कर देख लो कबीर का लण्ड।
मैंने कहा - अरे भाभी जान तम्हे सब मालूम है। तुम्हे उसके लण्ड का साइज मालूम है तेरी चूत को उसके लण्ड का साइज मालूम है। आज तू कबीर में मामू को लायी है उससे चुदवाने के लिए। मैं सब जानती हूँ।
वह मेरे कान में बोली - अरे यार तुम्हे क्या चाहिए ?
मैंने कहा - कबीर का लण्ड और उसके मामू का लण्ड ?
वह बोली - तू पहले कबीर का लण्ड ले ले और मैं उसके मामू का लण्ड। फिर तुम मामू का लण्ड ले लेना और मैं कबीर का लण्ड ले लूंगी। मेरा मियां का लण्ड हम दोनों के बीच रहेगा। जब आरिफ भाई जान बाथ रूम से आया तो आतिफा भाभी बाथ रूम चली गयी। तो मैंने भाई जान को पूरी कहानी बता दी। वह बोला हां रेशमा ठीक है। अब तो मेरा भी रास्ता खुल गया है। अब मैं भी अपनी बीवी के आगे किसी और की बीवी चोदा करूंगा। उसके बाद बाद सब लोग अपने अपने कपड़े उतारने लगे। सबसे पहले मैं नंगी हुई फिर आतिफा भाभी और फिर कबीर और उसका मामू। आरिफ तो लगभग नंगा था ही। मैंने कबीर का लण्ड पकड़ा और भाभी जान ने मामू का लंड। मैंने दूसरे हाथ से भाई जान का लौड़ा फिर से पकड़ लिया। वह अब पूरी तरह दुबारा खड़ा हो गया था। कबीर का लण्ड साला 9" का था और मोटा भी गज़ब का था। इतना बड़ा लौड़ा उसके मामू का भी था। मैं दोनों लण्ड देख देख कर मस्त हो गई। कबीर का लौड़ा मुंह में डाला और चूसने लगी। मामू का लौड़ा भाभी ने अपने मुंह में घुसेड़ लिया। हम दोनों लण्ड चाटने लगीं।
मेरी चूत तो लण्ड खाने में माहिर हो चुकी थी। यही हाल भाभी जान की चूत का भी था। कबीर ने जैसे ही लण्ड मेरी चूत में पेला वैसे ही मुझे ज़न्नत का मज़ा आया और मेरे सामने भाभी जान भी मामू का लण्ड अपनी बुर में पेलवा लिया और राहत की सांस ली। हम दोनों रंडियों की तरह भकाभक चुदवाने लगीं। मैं बीच बीच में भाई जान का लौड़ा बड़े प्यार से मुठियाने भी लगी। इस तरह हम दोनों ने तीन तीन लण्ड का मज़ा रात भर लिया।
खुदा करे की ऐसा मज़ा सबको मिले।
=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०= समाप्त
Tags: मैं झांटें बना के आई हूँ मुझे चोदो - Jhanthe kaat ke aayi hun mujhe chodo , झांटें साफ़ करवा कर चुत चुदवाई , खुल्लम खुल्ला चोदो चूत - Largest Sex Story Collection , बिन झांठो की छोटी सी चूत को आराम से चोदो
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